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इंडिया न्यूज:
वेजिटेरियन और नॉनवेज खाने को लेकर कनाडा के टोरंटो स्थित सेंट मिशेल्स हॉस्पिटल की ओर से एक रिसर्च की गई है। इसमें खुलासा हुआ है कि नॉनवेज खाने वाले बच्चों की तुलना में वेजिटेरियन बच्चों का वजन आधे से कम हो सकता है। तो चलिए जानते हैं क्या कहती है रिसर्च।
रिसर्च में शाकाहारी बच्चों की लंबाई, BMI और पोषण लगभग मांस खाने वाले बच्चों के ही बराबर था। रिसर्च में 9 हजार बच्चों को शोध में शामिल किया गया। इसमें कुल 250 शाकाहारी बच्चों को शामिल किया गया। इन बच्चों की लंबाई, बॉडी मास इंडेक्स (BMI) और पोषण लगभग मांस खाने वाले बच्चों के ही बराबर था। लेकिन जब इनके इटक की गणना की गई, तो पता चला कि शाकाहारी बच्चों में वजन कम रहने की संभावना 94 फीसदी तक है।
रिसर्च में 8,700 मांसाहारी बच्चों में से 78 फीसदी बच्चों का वजन उम्र के हिसाब से सही निकला। शाकाहारी बच्चों में सही वजन वाले 79 फीसदी बच्चे थे। जब उम्र के हिसाब से कम वजन वाले बच्चों को देखा गया तो मांसाहारी में सिर्फ 3 फीसदी ही अंडरवेट मिले। ऐसे शाकाहारी बच्चों की संख्या 6 फीसदी निकली। इसी आधार पर वैज्ञानिकों ने बताया कि शाकाहारी बच्चों के अंडरवेट होने की संभावना ज्यादा होती है।
शोध से पता चला कि मीट खाने वाले बच्चों में मोटापा बढ़ने का खतरा ज्यादा रहता है। वैज्ञानिकों ने इसके लिए एक वजह शाकाहारी खाने में बच्चों के विकास के जरूरी न्यूट्रिएंट्स नहीं होने को माना है। साथ ही यह बात भी जोड़ी है कि एशिया के बच्चे ज्यादातर शाकाहारी होते हैं। इससे संभावना रहती है कि उनका वजन कम हो।
भारत व अमेरिका में बच्चों के विकास का पैमाना अलग है। भारत में 5 साल की लड़की का वजन 17 किलो, लंबाई 108 सेंटीमीटर होना चाहिए। वहीं, अमेरिका में वजन 18 किलो होना चाहिए। ऐसे में स्टडी में शाकाहारी बच्चों के ज्यादातर एशिया से होने से उनके वजन को लेकर यह नतीजे निकले।
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