होम / Indira Ekadashi today, Recite the Story of Fasting, you will get the fruits of Vajpeya Yagya इंदिरा एकादशी आज, करें व्रत कथा का पाठ, मिलेगा वाजपेय यज्ञ का फल

Indira Ekadashi today, Recite the Story of Fasting, you will get the fruits of Vajpeya Yagya इंदिरा एकादशी आज, करें व्रत कथा का पाठ, मिलेगा वाजपेय यज्ञ का फल

India News Editor • LAST UPDATED : October 1, 2021, 1:40 pm IST

Indira Ekadashi today, Recite the Story of Fasting, you will get the fruits of Vajpeya Yagya

आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को इंदिरा एकादशी कहते हैं। एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है। ऐसे में इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा की जाती है। पितृ पक्ष में आने से इंदिरा एकादशी का महत्व और बढ़ जाता है। जानिए तिथि, शुभ मुहूर्त, महत्व और व्रत पारण का समय

Indira Ekadashi today, Recite the Story of Fasting, you will get the fruits of Vajpeya Yagya एकादशी का शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 01 अक्टूबर, शुक्रवार को रात 1 बजकर 03 मिनट से प्रारंभ होगी। एकादशी तिथि का समापन 02 अक्टूबर, शनिवार को रात 11 बजकर 10 मिनट पर होगा। इंदिरा एकादशी व्रत 02 अक्टूबर को रखा जाएगा।

Indira Ekadashi today, Recite the Story of Fasting, you will get the fruits of Vajpeya Yagya एकादशी का व्रत पारण का समय

इंदिरा एकादशी का व्रत द्वादशी तिथि में होगा। व्रत पारण का शुभ समय 03 अक्टूबर को सुबह 06 बजकर 15 मिनट से सुबह 08 बजकर 37 मिनट तक है।

Indira Ekadashi today, Recite the Story of Fasting, you will get the fruits of Vajpeya Yagya इंदिरा एकादशी महत्व

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इंदिरा एकादशी का व्रत सभी घरों में करना चाहिए। जो भी व्यक्ति इंदिरा एकादशी का व्रत रखता है और उस व्रत पुण्य को अपने पितरों को समर्पित कर देता है, तो इससे उसके पितरों को लाभ होता है। जो पितर यमलोक में यमराज का दंड भोग रहे होते हैं, उनको इंदिरा एकादशी व्रत के प्रभाव से मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। ऐसा करने से आपके पितर नरक लोक के कष्ट से मुक्त हो जाते हैं और उनको श्रीहरि विष्णु के चरणों में स्थान मिलता है। इससे प्रसन्न होकर पितर सुख, समृद्धि, वंश वृद्धि, उन्नति आदि का आशीष देते हैं।

पितर पक्ष में पड़ने वाली एकादशी तिथि को इंदिरा एकादशी के नाम से जाना जाता है। इंदिरा एकादशी का व्रत विशेष रूप से पितरों की आत्मा की शांति के लिए रखा जाता है। इस साल इंदिरा एकादशी का व्रत 02 अक्टूबर को रखा जाएगा। पौराणिक मान्यता है कि इस दिन विधि पूर्वक व्रत रखने तथा पितरों के निमित्त श्राद्ध और दान करने से पितरों को अधोगति से मुक्ति मिलती है। इस दिन व्रत और पूजन के साथ व्रत कथा का पाठ करना वाजपेय यज्ञ के समान फल प्रदान करता है। इसकी व्रत कथा का वर्णन महाभारत में स्वयं भगवान श्री कृष्ण ने किया है। आइए जानते हैं इंदिरा एकादशी की व्रत कथा….

Indira Ekadashi today, Recite the Story of Fasting, you will get the fruits of Vajpeya Yagya इंदिरा एकादशी की व्रत कथा

सतयुग में इंद्रसेन नाम के एक राजा माहिष्मति नामक क्षेत्र में शासन करते थे। इंद्रसेन परम् विष्णु भक्त और धर्मपरायण राजा थे और सुचारू रूप से राज-काज कर रहे थे। एक दिन आचानक देवर्षि नारद का उनकी राज सभा में आगमन हुआ। राजा ने देवर्षि नारद का स्वागत सत्कार कर उनके आगमन का कारण पूछा। नारद जी ने बताया कि कुछ दिन पूर्व वो यमलोक गए थे वहां पर उनकी भेंट राजा इंद्रसेन के पिता से हुई। राजन आपके पिता ने आपके लिए संदेशा भेजा है। उन्होंने कहा कि जीवन काल में एकादशी का व्रत भंग हो जाने के कारण उन्हें अभी तक मुक्ति नहीं मिली है और उन्हें यमलोक में ही रहना पड़ रहा है। मेरे पुत्र और संतति से कहिएगा कि यदि वो अश्विन कृष्ण पक्ष की एकादशी का व्रत रखें तो उसके भाग से मुझे मुक्ति मिल जाएगी।

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