Relationship Tips: आज के इस नए दौर में प्यार या तथाकथित डेटिंग तक पहुंच बहुत आसान हो गई है. ऑनलाइन वर्ल्ड में हजारों डेटिंग ऐप मौजूद हैं, लेकिन ये डेटिंग ऐप रोमांस से ज्यादा धोखा और तनाव दे रहे हैं. इसके साथ ही ये लोगों की मेंटल हेल्थ को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं. आजकल रिलेशनशिप में बढ़ता फिजिकल और मेंटल अब्यूज किसी से छिपा नहीं रह गया है. थेरेपिस्ट के पास लोगों की बढ़ती लाइन इस बात का जीता-जागता प्रमाण है. लव और रिलेशनशिप में बढ़ती इन समस्याओं की सबसे बड़ी वजह है लव बॉम्बिंग.
स्वाइपिंग कल्चर लव बॉम्बिंग को बढ़ावा दे रहा है. ये गुमनाम शिकारियों को तेजी से नकली पहचान बनाने देती है, जिससे लव बॉम्बिंग जैसी कई रिलेशनशिप समस्याओं का जन्म होता है. एक सर्वे के अनुसार 30% डेटिंग ऐप यूज़र्स रोमांटिक रिलेशनशिप में मैनिपुलेशन का सामना करते हैं.
लव बॉम्बिंग एक मैनिपुलेटिव टैक्टिक है, जिसमें कोई व्यक्ति अक्सर कंट्रोल या अब्यूज होने से पहले नए पार्टनर को बहुत ज्यादा प्यार, तोहफ़े, तारीफ़ और अटेंशन देकर इमोशनल डिपेंडेंसी पैदा करता है. यह एक साइकोलॉजिकल स्ट्रेटजी है, जो 1970 के दशक की कल्ट रिक्रूटमेंट स्ट्रैटेजी में शुरू हुई थी. यह समस्या टिंडर और बम्बल जैसे ऐप्स के जरिए मॉडर्न डेटिंग में फैल गई है, जहां जल्दी कनेक्शन इसके असर को और बढ़ा देते हैं. जब भी कोई व्यक्ति रिलेशनशिप में आते ही महंगे तोहफे देना शुरू कर दे, हर टाइम अवेलेबल रहे, रिश्ते की शुरुआत में ही शादी की बात करने लगे और फिर धीरे-धीरे कंट्रोल करने लगे. समय देना ही बंद कर दे और बात-बात पर गुस्सा होने लगे तो समझ जाइये आप लव बॉम्बिंग ट्रैप में फंस चुके हैं या फंस चुकी हैं.
सोशल मीडिया ने कुछ शब्दों को भी ट्रेंडिंग बना दिया है, जिनमें से एक है- रेड फ्लैग. यह टर्म आमतौर पर उन लड़के या लड़कियों के लिए यूज किया जाता है, जो रिलेशनशिप में आने के बाद दूसरे पार्टनर को कंट्रोल करने लगते हैं या उनको हर जगह बुरा फील कराते हैं. इसके साथ ही अब्युजिव भी होते हैं. लव बॉम्बिंग से बचने के लिए जरूरी है कि आप रिश्ते की शुरुआत में ही ‘रेड फ्लैग्स’ को पहचानें. अगर पार्टनर जरूरत से ज्यादा इनसिक्योर है या हर समय आपके सोशल मीडिया अकाउंट का पासवर्ड मांगता है. इसके अलावा प्यार और केयर के नाम पर अनावश्यक कंट्रोल कर रहा है तो जरूरी है कि समय रहते आप उनसे दूर हो जाएं. इसके पीछे वजह यह है कि अगर सब कुछ सही दिख रहा है तो मतलब कुछ तो गड़बड़ है, क्योंकि एक कहावत है कि “There’s no rose without a thorn”
युवतियां स्वाभाविक रूप से अधिक इमोशनल होती हैं. इस वजह से आमतौर पर वो पार्टनर के कंट्रोलिंग होने के बावजूद रिश्ता निभाती रहती हैं. भारतीय समाज में ज्यादातर घर पितृसत्तात्मक हैं. अधिकांश लड़कियां घरों में अपनी मां और दादी लोगों को रिश्ता नभाने के नाम पर चुपचाप सब सहन करते हुए देखती हैं तो ये गुण उनमें स्वतः ही विकसित हो जाता है. एक सीमा तक उन्हें ये नॉर्मल लगता है और जब तक पता चलता है तब तक वो इस ट्रैप में फंस चुकी होती हैं. इसके अलावा जो महिलाएं अकेलापन या उपेक्षा का शिकार हैं वो भी इस ट्रैप में आसानी से फंस जाती हैं, क्योंकि लोग उन्हीं को टारगेट करते हैं. अकेलेपन की शिकार युवतियां-महिलाएं सॉफ्ट टारगेट होती हैं. जब उन्हें प्यार मिलता है, केयर मिलती है तो वे अपनी खुशियों के लिए पूरी तरह से इसपर निर्भर हो जाती हैं, जिसका लोग फायदा उठाते हैं.
Indoor Plant: इंडोर पौधे लगाने से सांस लेने में मदद मिलती है, ऑक्सीजन बढ़ता है,…
सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर कपल (Social Media Influencer Couple) ऋषभ जायसवाल (Rishabh Jaiswal) और श्रेया कालरा…
Indian Train Facts: ट्रेनों में अक्सर लोग सफर करते है, लेकिन क्या आप जानते है…
Nitin Nabin: बिहार के दिग्गज नेता नितिन नबीन को भारतीय जनता पार्टी का राष्ट्रीय कार्यकारी…
केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने देश भर में ऑनलाइन ठगी (Online Cyber Fraud) करने वालों…
Saphala Ekadashi 2025: शास्त्रों के अनुसार, सफला एकादशी का दिन बहुत शुभ माना जाता है,…