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इंडिया न्यूज, नई दिल्ली | Penalty on Edtech Platform : सही अध्ययन सामग्री न मिलने पर एक व्यक्ति ने एडटेक प्लेटफॉर्म पर केस किया था। व्यक्ति का आरोप था कि उसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर वो स्टडी मैटिरियल नहीं मिला था। जिसके बाद शिकायतकर्ता की शिकायत पर मुकदमा दर्ज हुआ।
एडटेक प्लेटफॉर्म पर खराब लर्निंग गुणवत्ता का आरोप लगाने वाले शिकायतकर्ता के पक्ष में कोर्ट ने फैसला सुनाया है और कोर्ट ने कंपनी को मुआवजा देने का आदेश दिया है। एडटेक प्लेटफॉर्म अब प्रभावित व्यक्ति को 12 प्रतिशत ब्याज के साथ 99 हजार रुपए की फीस रिफंड करेगा और 30 हजार रुपए मुआवजा देगा।
शिकायताकर्ता मंजू आर चंद्रा ने बताया कि 2021 में उन्होंने बच्चों की पढ़ाई के लिए लर्निंग ऐप को सब्सक्राइब किया था। इस दौरान कंपनी के कर्मचारी ने उन्हें बताया था कि बच्चों को 25 हजार रुपए मूल्य के दो टेबलेट भी दिए जाएंगे। वहीं सदस्यता की फीस को भी ईएमआई में परिवर्तित कर दिया जाएगा। जिसके बाद मंजू और उनके भाई मधुसूदन बी. ने के्रेडिट कार्ड की मदद से 99 हजार रुपए का भुगतान किया।
जिसके बाद कुछ दिनों में उन्हें पता चला कि स्टडी मैटिरियल और टेबलेट उनके चुकाए रुपए के लायक नहीं है। जिसके बाद उन्होंने सदस्यता को रद करने के लिए कंपनी से बात की लेकिन किसी भी कर्मचारी या कंपनी की तरफ से कोई रिप्लाई नहीं आया।
कंपनी से सदस्यता रद करवाने के लिए मंजू और उनके भाई ने कंपनी को फोन और ईमेल किए। कंपनी के अधिकारियों की तरफ से कोई रिस्पॉन्स नहीं आया। जिसके बाद मंजू और उनके भाई ने बेंगलुरु रूरल एंड अर्बन फर्स्ट एडिशनल डिस्ट्रिक्ट कंज्यूमर डिस्प्यूट्स रिड्रेसल फोरम, शांतिनगर में थिंक एंड लर्न प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ शिकायत दर्ज की।
शिकायतकर्ता ने कोर्ट में पेमेंट के सभी सबूत और प्रोड््क्ट पेश किए। नोटिस मिलने के बाद भी कंपनी का कोई प्रतिनिधि कोर्ट में पेश नहीं हुआ। जिसके बाद कोर्ट ने शिकातयकर्ता मंजू के पक्ष में फैसला सुनाया और कहा कि एडटेक प्लेटफॉर्म की सर्विस में ही कमी थी।
कोर्ट ने शिकायतकर्ता मंजू के पक्ष में फैसला सुनाया क्योंकि कंपनी की तरफ से कोई भी प्रतिनिधि कोर्ट में पेश नहीं हुआ था। जिसके बाद कोर्ट ने लर्निंग ऐप के एमडी को ग्राहक का पैसा लौटाने का आदेश सुनाया। कंपनी के एमडी को अब उपभोक्ता मंजू को 99 हजार रुपये का शुल्क 12 फीसदी ब्याज के साथ चुकाना होगा।
इसके साथ ही 25 हजार रुपए हर्जाने के तौर पर देने होंगे। वहीं 5 हजार रुपए मुकदमेबाजी खर्च के लिए भुगतान करने का भी आदेश दिया। कंपनी की तरफ से रुपए मिलने के बाद शिकायतकर्ता को टैबलेट वापिस करना होगा।
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