Community Transmission: देश में ओमिक्रॉन का कम्युनिटी ट्रांसमिशन शुरू, जानिए कितना खतरनाक है?
Community Transmission: देश में ओमिक्रॉन का कम्युनिटी ट्रांसमिशन शुरू, जानिए कितना खतरनाक है? इंडिया न्यूज, नई दिल्ली: 2019 से चीन के वुहान शहर से शुरू हुई महामारी ”कोरोना ” (Corona Virus) ने देश-दुनिया को हिला के रख दिया है। बता दें देश में कोरोना महामारी शुरू होने के बाद से पहली बार किसी सरकारी संस्था […]
Community Transmission: देश में ओमिक्रॉन का कम्युनिटी ट्रांसमिशन शुरू, जानिए कितना खतरनाक है?
इंडिया न्यूज, नई दिल्ली: 2019 से चीन के वुहान शहर से शुरू हुई महामारी ”कोरोना ” (Corona Virus) ने देश-दुनिया को हिला के रख दिया है। बता दें देश में कोरोना महामारी शुरू होने के बाद से पहली बार किसी सरकारी संस्था ने माना है कि कोरोना का (Community Transmission) कम्युनिटी ट्रांसमिशन हो रहा है। देश में जीनोम सीक्वेंसिंग की निगरानी करने वाली सरकारी संस्था इंडियन सार्स-सीओवी-2 कंसोर्टियम आन जेनोमिक्स (INSACOG) ने कहा है कि देश में ओमिक्रॉन का कम्युनिटी ट्रांसमिशन हो रहा है। यह संस्था भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय के अंतर्गत आती है। भारत से पहले अमेरिका, ब्रिटेन, आस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया जैसे देश कोरोना वायरस के कम्युनिटी ट्रांसमिशन की पुष्टि कर चुके हैं। आइए जानते हैं देश के लिए कितना खतरनाक है कम्युनिटी ट्रांसमिशन?।
Covid-19 In India: संस्था का कहना है कि ओमिक्रॉन कई बड़े शहरों में डोमिनेंट वेरिएंट बन गया है, जहां केस काफी तेजी के साथ फैल रहे हैं। यानी वायरस अब बिना ट्रैवल हिस्ट्री वाले लोगों में भी सोर्स का पता चले बिना ही तेजी से फैल रहा है। आपको बता दें कि दूसरी लहर के दौरान भी सरकार ने कम्युनिटी ट्रांसमिशन की बात नहीं स्वीकारी थी।
(What is community transmission) वर्ल्ड हेल्थ आर्गनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक, इसका मतलब है कि वायरस बिना ट्रैवल हिस्ट्री के स्थानीय स्तर पर फैलने लगा है। इस स्टेज में स्थानीय स्तर पर किसी के संपर्क में आने से बीमारी फैलती है और यह पता ही नहीं चल पाता कि किसने किसको संक्रमित किया। कम्युनिटी ट्रांसमिशन से पहले के स्टेज में सभी केस किसी न किसी तरह से विदेशी यात्रियों से जुड़े होते हैं।
कम्युनिटी ट्रांसमिशन की परिभाषा के अनुसार, कम्युनिटी ट्रांसमिशन उन लोगों (कम्युनिटी) के समूह के अंदर इन्फेक्शन का प्रसार (ट्रांसमिशन) है, जिनका वायरस से संक्रमित या इसके कॉन्टैक्ट में आने वाले व्यक्ति के साथ कोई ज्ञात संपर्क नहीं है।
सीधे शब्दों में कहें तो, कम्युनिटी ट्रांसमिशन एक ऐसा स्टेज है, जहां इन्फेक्शन की चेन स्थापित करना या यह निर्धारित करना मुश्किल हो जाता है कि किसने किसे संक्रमित किया है। ऐसा होने पर महामारी से निपटने के लिए रोकथाम की रणनीतियां प्रभावित होती हैं।
यानी कम्युनिटी ट्रांसमिशन का मतलब है कि एक संक्रमित व्यक्ति को पता नहीं होता है कि वह किसके संपर्क में आने से संक्रमित हुआ। मतलब कोरोना वायरस बस्तियों, शहरों और कम्युनिटी के बीच मौजूद है। ऐसे में इन्फेक्शन की चेन को तोड़ना मुश्किल होता है और संक्रमण तेजी से फैलता है।
कम्युनिटी ट्रांसमिशन से देश में तेजी से बढ़ सकते हैं केस
Covid India Danger: कम्युनिटी ट्रांसमिशन विशेष रूप से स्वास्थ्य अधिकारियों के लिए चिंताजनक होता है क्योंकि इसका मतलब है कि वायरस कम्युनिटी या समुदाय में मौजूद है लेकिन कोई नहीं जानता कि यह कहां से आया है या इसके सोर्स का पता नहीं लग पाता है। इससे यह भी पता चलता है कि वायरस एक कम्युनिटी में व्यापक रूप से फैल चुका है।
INSACOG ने कहा है कि ज्यादातर ओमिक्रॉन के केस एसिम्प्टोमिटक और माइल्ड हैं, लेकिन ताजा लहर में भी हॉस्पिटलाइजेशन और आईसीओ केस बढ़ रहे हैं और खतरे का लेवल वही है। ओमिक्रॉन के कम्युनिटी ट्रांसमिशन से देश में केस तेजी से बढ़ सकते हैं, जिससे हॉस्पिटलाइजेशन बढ़ने से आने वाले दिनों में हेल्थ सिस्टम प्रभावित हो सकता है।
देश में किन लोगों को है ज्यादा खतरा?
ओमिक्रॉन से डेल्टा की तुलना में कई गुना ज्यादा रीइन्फेक्शन का खतरा रहता है, ऐसे में न केवल अनवैक्सीनेटेड बल्कि वैक्सीनेटेड लोगों के भी संक्रमित होने का खतरा रहेगा।
भारत जैसी बड़ी और घनी आबादी वाले देश में वायरस का कम्युनिटी ट्रांसमिशन बेहद खतरनाक साबित हो सकता है। वह भी तब जब देश की महज आधी आबादी ही फुली वैक्सीनेटेड है। कैंसर, हार्ट ट्रांसप्लांट या फेफड़े की बीमारी से जूझ रहे लोगों को ज्यादा खतरा।
कम्युनिटी ट्रांसमिशन से सबसे ज्यादा खतरा अनवैक्सीनेटेड, एक डोज लगवाने वालों, 60 साल से ज्यादा उम्र के लोगों और किसी पुरानी बीमारी से पीड़ितों को रहेगा।
किन अन्य रोगों में हो चुका Community Transmission?
कोरोना वायरस से पहले कई अन्य बीमारियों का भी कम्युनिटी ट्रांसमिशन हो चुका है। इंफ्लुएंजा और बर्ड फ्लू जैसी बीमारियां कम्युनिटी ट्रांसमिशन के जरिए फैली थीं। 2009 में एचवनएनए का प्रकोप, जिसे आमतौर पर स्वाइन फ्लू के नाम जाना जाता है। वह भी मुख्यत: कम्युनिटी ट्रांसमिशन के जरिए ही फैला था। हालांकि इनमें से ज्यादातर बीमारियों का कम्युनिटी ट्रांसमिशन भारत के बजाय चीन और अन्य देशों में हुआ था।