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इंडिया न्यूज, नई दिल्ली।
भारतीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक ओमिक्रॉन (Omicron variant) भारत समेत 59 देशों में फैल चुका है और दुनिया भर में 2936 केस सामने आ चुके हैं। साथ ही 78,064 पॉजिटिव मामले ऐसे हैं जिन्हें ओमिक्रॉन (Coronavirus) संदिग्ध मानते हुए जांच के तहत रखा गया है। भारत में भी ओमिक्रॉन के लगभग 38 से मामले मिल चुके हैं।
वहीं ओमिक्रॉन वेरिएंट को लेकर ब्रिटिश ने दावा करते हुए कहा है कि उनकी दवा सोट्रोविमाब (Sotrovimab) ओमिक्रॉन के हर म्यूटेशन के खिलाफ असरदार है। इस दवाई को ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन (जीएसके) (British drugmaker GSK) ने यूएस पार्टनर वीर (वीआईआर) बायोटेक्नोलॉजी (Vir Biotechnology) के साथ मिलकर विकसित किया है। अब इसी दवाई को ओमिक्रॉन वेरिएंट के खिलाफ असरदार माना जा रहा है जो इस नए वेरिएंट ओमिक्रॉन के 37 म्यूटेशन पर कारगर साबित होगी।
ओमिक्रॉन के खिलाफ लड़ाई के लिए ब्रिटेन की कंपनी ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन ने ब्रिटेन की ही फर्म वीर बायोटेक्नोलॉजी के साथ मिलकर सोट्रोविमाब नामक मोनोक्लोनल एंटीबॉडी दवा बनाई है। सोट्रोविमाब नामक ये दवा ब्रैंड नेम जेवुडी के नाम से बेची जाती है। इस दवा का प्रयोग लोगों में कोरोना लक्षणों को गंभीर होने से रोकने में किया जाता है।
Omicron Variant Vaccine FAQ ओमिक्रॉन को लेकर पढ़िए क्या हैं आपके सवालों के जवाब
साथ ही ये कम इम्यूनिटी वाले लोगों के लिए लाभदायक है। पिछले सप्ताह आए प्री-क्लिनिकल डेटा दिखाते हैं कि दवा से बनी मोनोक्लोनल एंटीबॉडी ओमिक्रॉन के 37 म्यूटेशन के खिलाफ कारगर और प्रभावशाली है।
COVID-19 New Variant Live News: इस दवा के प्रयोग से वायरस के खिलाफ लड़ने के लिए शरीर में एंटीबॉडीज पैदा होती हैं, जबकि इसमें मौजूद एंटीवायरल वायरस के बढ़ने की दर में रुकावट पैदा कर देता है। इस नई थेरेपी को इस तरह डिजाइन किया गया है कि ये कोरोना वायरस की सतह पर ही स्पाइक प्रोटीन को बांध देती है। स्पाइक प्रोटीन के जरिए ही वायरस इंसान की सेल में प्रवेश के द्वार खोलता है।
Covid News: ओमिक्रॉन के खिलाफ इस नई मोनोक्लोनल एंडीबॉडी दवा का टेस्ट लैब में एक कृत्रिम-वायरस के खिलाफ किया गया। इससे पता चला कि गैलेक्सो का एंटीबॉडी ट्रीटमेंट, सोट्रोविमाब, ओमिक्रॉन के स्पाइक प्रोटीन में हुए अब तक के सभी 37 म्यूटेशन के खिलाफ कारगर रहा।
दवा के ट्रायल्स के दौरान कोरोना से संक्रमित हल्के और मध्यम लक्षण वाले लोगों में हॉस्पिटलाइजेशन का खतरा 79 फीसदी तक कम हो गया। इसी माह इस दवा को यूके रेगुलेटर्स से क्लियरेंस मिल गया है। ब्रिटेन ने पहले ही इसके एक लाख डोज के आर्डर दे दिए हैं।
Omicron variant News: जीएसके के चीफ साइंटिस्ट आॅफिसर और आरएंडडी प्रेसिडेंट ने कहा कि प्री-क्लिनिकल डेटा दिखाते हैं कि हमारी मोनोक्लोनल एंटीबॉडी दवा नए वेरिएंट ओमिक्रॉन के खिलाफ कारगर रही है। साथ ही ये डब्ल्यूएचओ की ओर से घोषित किए गए सभी वेरिएंट आॅफ कंसर्न के खिलाफ भी कारगर है। कंपनी ने कहा है कि वह इस ट्रायल के नतीजों को दुनिया भर की अन्य ड्रग रेगुलेटरी अथॉरिटीज के साथ साझा करेगी।
यूके मेडिसिन एंड हेल्थकेयर प्रोडक्ट्स रेगुलेटरी एजेंसी की की ओर से कहा गया है ‘यह अभी तक एक और ट्रीटमेंट है जिसने कोविड -19 के खिलाफ सुरक्षा करने की उम्मीद जगाई है। ये विनाशकारी बीमारी के खिलाफ हमारी लड़ाई में एक और महत्वपूर्ण कदम आगे बढ़ने का संकेत है।
गैलेक्सो का यह आंकलन ऐसे समय में आया है जब इस बात को लेकर अनिश्चितता है कि ओमिक्रॉन पर मौजूदा वैक्सीन और दवाइयां कारगर होंगी भी या नहीं। इसकी वजह इस नए वंरिएंट के स्पाइक प्रोटीन में हो रहे तेज बदलाव हैं, जो ज्यादातर ट्रीटमेंट और वैक्सीन का टारगेट होता है। इसी बात ने ओमिक्रॉन को लेकर दुनिया भर में चिंता बढ गई है, लेकिन इस नई दवा ने ओमिक्रॉन के खिलाफ सफल लड़ाई की उम्मीद भी जगा दी है।
omicron Coronavirus india: सबसे पहले 24 नवंबर को दक्षिण अफ्रीका में सामने आने के बाद से ओमिक्रॉन भारत समेत 55 से ज्यादा देशों में फैल चुका है। इस नए वैरिएंट से रीइंफेक्शन का खतरा बीटा और डेल्टा की तुलना में तीन गुना अधिक है। ओमिक्रॉन की वजह से दक्षिण अफ्रीका में चौथी लहर का खतरा पैदा हो गया है। इस नए वेरिएंट से बच्चों में भी संक्रमण का खतरा बढ़ा है और दक्षिण अफ्रीका में ओमिक्रॉन फैलने के बाद पांच साल से कम उम्र के बच्चों के अस्पताल में भर्ती होने की दर भी बढ़ी है।
हाल ही में आई अपनी वीकली रिपोर्ट में वर्ल्ड हेल्थ आग्रेनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) ने ओमिक्रॉन को लेकर दुनिया को आगाह करते हुए इसे गंभीरता से लेने की अपील की है। 59 देशों में फैल चुके इस नए वेरिएंट को लेकर डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि अगर अब भी दुनिया भर की सरकारों ने इस नए वेरिएंट को गंभीरता से नहीं लिया तो यह घातक सिद्ध होगा।
डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि शुरूआती डेटा में भले ही ओमिक्रॉन से मौत नहीं हो रही है, लेकिन तेजी से फैलने में सक्षम होने की वजह से इस वेरिएंट की वजह से दुनिया भर में हॉस्पिटलाइजेशन रेट बढ़ने की आशंका है। साथ ही ओमिक्रॉन के संक्रमित को ठीक होने में ज्यादा समय लग सकता है और इससे ठीक होने के बाद पोस्ट कोविड बीमारियां पैदा होने का खतरा भी अधिक है।
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