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India News(इंडिया न्यूज), Hyderabad News: डिजिटल दुनिया में आज किसी को आसानी से ढूढ़ लेना बेहद आसान है। लेकिन यहां खूद को नई पहचान देना भी कोई मुश्किल काम नहीं है। आप आसानी से अपनी दुनिया बदलकर सबकी नजरो से छिप सकते हैं। हैदराबाद से कुछ ऐसा ही मामला सामने आया है। दरअसल तेलंगाना की महिला सुरक्षा विंग और मानव तस्करी विरोधी इकाई ने एक ऐसी महिला के रहस्य को सुलझा लिया है जो अचानक से गायब हो गई थी। खास बात ये है कि महिला ने बड़े चालाकी से डिजिटल दुनिया से अपने होने के एक – एक सबुत को पूरी तरह से मिटा दिया था, और एक नए जीवन की शुरूआत की थी।
बता दें 29 जून, 2018 को हुमायूंनगर से एक संपन्न परिवार की 36 वर्षीय विवाहित महिला रहस्यमय तरीके से गायब हो गई। उसने अपनी धार्मिक संबद्धता सहित अपनी डिजिटल और व्यक्तिगत पहचान के सभी निशानों को सावधानीपूर्वक मिटाकर दिया। यहां तक कि उसने दूसरे आदमी से शादी भी कर ली और महाराष्ट्र में एक एनजीओ के साथ काम करते हुए नई जिंदगी की शुरू आत कर ली। इतना ही नहीं अपनी पहचान छूपाने के लिए महिला ने अपने शारीरिक रूप में भी बदलाव कर लिए।
पुलिस ने उसे सफलतापूर्वक गोवा तक ट्रैक किया जहां उस महिला ने अपनी पहचान और अपना आधार कार्ड बदल कर नया जीवन जीने लगी। पुलिस महानिदेशक, महिला सुरक्षा विंग, शिखा गोयल ने जानकारी दी हमने डिजिटल टेक्नोलॉजी का उपयोग करके कई लापता लोगों का पता लगाया है। शुरू में, हमें परिवार में होने वाले झगडो के कारण घर के सदस्यों पर शक था लेकिन बाद में यह मामला अपनी पहचान मिटाने का बना।
बता दें महिला पांच साल पहले अपने परिवार के सदस्यों को बिना बताए लापता हो गई और अपना फोन भी घर पर छोड़ गई थी परिवार के लोगों को घर के अंदर बंद कर दिया था। यह महिला कि पहली गुमशुदगी नहीं थी, वह इससे पहले 2014 और 2015 में दो बार लापता हो चुकी थी जब वह अपने पति के साथ वाद विवादों में थी। फिर वह कुछ समय बाद घऱ लौट आई थी। 2018 में उसके पिता ने दहेज उत्पीड़न की शिकायत दर्ज कराई, और उसके ससुराल वालों पर आरोप लगाया कि वे लोग दहेज के लिए उसे मार पीट करते है जिस वजह से वह घर से लापता हो गई थी जिसके बाद मामला दर्ज किया गया। सीसीटीवी फुटेज से जांच शुरू हुई जिसमें पता चला कि उसने अपनी मर्जी से घर छोड़ा था।
महिला के पिता ने 2019 में हाईकोर्ट में याचिका दायर की, जिसमें पुलिस को महिला सुरक्षा विंग और मानव तस्करी विरोधी इकाई से सहायता लेने का आदेश दिया गया। महिला सुरक्षा विंग के उप-निरीक्षक पी हरीश ने बताया कि उन्हें महिला के दोस्तों से सुराग मिला, उसके दोस्तों ने खुलासा किया कि उसने कैब बुक करने के लिए दूसरे फोन का यूज किया था। कैब कंपनी के साथ उसकी वॉयस रिकॉर्डिंग और पुणे में उसने शुरूआत में यात्रा करने से सुराग मिला।
फिर महिला ने अपना फोन बेच दिया और फिर कोविड के कारण जांच बीच में रूक गई। आखिरकार काफी लंबे समय बाद सफलता मिली जब जांचकर्ताओं को पता लगा कि उसका आधार पिछले महीने अपडेट किया था। उसने अपने आधार कार्ड में अपना पति का नाम चेंज कर अब वह मराठी बन गई। इससे उसके बैंक खाते के बारें मे पता चला। जिसके बाद ऑनलाइन इन्वेस्टिगेशन से सोशल मीडिया पर उसकी नई पहचान सामने आई। ऑनलाइन इन्वेस्टिगेशन टूल से उसके नए नाम के तहत उसके सोशल मीडिया अकांउट का पता लगा। उसके इंस्टाग्राम पोस्ट से पता चला कि वह गोवा में थी। और सोशल एक्टिविटी में है।
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