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India News (इंडिया न्यूज़), Santosh Kumar, Jharkhand News: हेमंत सोरेन की सरकार बनने के बाद से ही झारखंड मुक्ति मोर्चा कांग्रेस के साथ राष्ट्रीय जनता दल के कार्यकर्ताओं में बोर्ड और निगम के लिए होड़ मच गई। सरकार बनने के बाद हेमंत सोरेन को सबसे ज्यादा परेशानी शुरू हुई तो उसकी वजह खाली पड़े बोर्ड और निगम के पद थे।
हेमंत सोरेन ने चालाकी से लगभग साढे तीन साल तक किसी को भी कोई बोर्ड या निगम की जिम्मेदारी नहीं दी। इसको लेकर कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ताओं ने रांची से लेकर दिल्ली में कांग्रेस आलाकमान तक शिकायत की। कार्यकर्ताओं की शिकायत के बाद कांग्रेस आलाकमान और हेमंत सोरेन के बीच बातचीत का दौर बोर्ड और निगम को लेकर बात चीत शुरू हुई, एक कोऑर्डिनेशन कमिटी बनाई गई। आखिरकार जब चुनाव नजदीक आया लगभग डेढ़ साल का समय बच गया है तब हेमंत सरकार ने बोर्ड और निगम उन कार्यकर्ताओं को देने का फैसला किया जो नाराज चल रहे थे। पिछले कुछ दिनों से बोर्ड और निगम के बटवारा शुरू हो गया है। इसमें सबसे ज्यादा फायदे में सत्ताधारी झारखंड मुक्ति मोर्चा और उसके सबसे बड़े घटक कांग्रेस को होता हुआ दिख रहा है।
वहीं एक और गठबंधन का साथी जो की सरकार में मंत्री तो है लेकिन अब तक उसे एक भी बोर्ड या निगम नहीं मिला है वह पार्टी है लालू प्रसाद यादव की आरजेडी। राजद के कार्यकर्ताओं के बीच इस बात को लेकर काफी नाराजगी है। उनका मानना है कि राजद के सपोर्ट के बिना झामुमो सत्ता में नहीं आ पाती हकीकत भी यही है कि जो बिहार से सीमावर्ती विधानसभा क्षेत्र लगते हैं वहां पर राजद भले अपने दम पर चुनाव नहीं जीत सकता है लेकिन राजद के सहयोग से ही झामुम या फिर कांग्रेस जीती है ऐसे में कार्यकर्ताओं की उम्मीद बोर्ड और निगम की तो बनती ही है।
फिलहाल हेमंत सोरेन की सरकार में राष्ट्रीय जनता दल के कार्यकर्ताओं की सरकार को आने वाले लोकसभा और फिर विधानसभा में भरी पड़ सकता हैं। अब देखना होगा राजद का नेतृत्व कितना जल्दी इस मसले का समाधान कर पता है।वैसे हेमंत सोरेन के लिए भी चुनाव से पहले इस तरह की परेशानियां दूर करना मुनासिब होगा क्योंकि राजद भले ही 81 विधानसभा की सीट पर एक सीट जीत पाई है लेकिन उसका प्रभाव सीमावर्ती इलाकों से इनकार नहीं किया जा सकता है ऐसे में राजद की उपेक्षा हेमंत सोरेन सरकार के लिए मुसीबत खड़ी कर सकती है।
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