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मद्रास उच्च न्यायालय ने अन्नाद्रमुक की सामान्य परिषद की बैठक दोबारा बुलाने का दिया आदेश

इंडिया न्यूज़ (चेन्नई): मद्रास उच्च न्यायालय ने तमिलनाडु की सत्ताधारी पार्टी अन्नाद्रुमक (AIADMK ) की सामान्य परिषद् की बैठक फिर से बुलाने का आदेश दिया है। कोर्ट ने पार्टी के दोनों गुटों को 23 जून से पहले वाली यथास्थिति को बनाए रखने का आदेश दिया है. तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री ओ पनीरसेल्वम ने खुद को […]

BY: Roshan Kumar • UPDATED :
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इंडिया न्यूज़ (चेन्नई): मद्रास उच्च न्यायालय ने तमिलनाडु की सत्ताधारी पार्टी अन्नाद्रुमक (AIADMK ) की सामान्य परिषद् की बैठक फिर से बुलाने का आदेश दिया है। कोर्ट ने पार्टी के दोनों गुटों को 23 जून से पहले वाली यथास्थिति को बनाए रखने का आदेश दिया है.

तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री ओ पनीरसेल्वम ने खुद को पार्टी से निष्कासित करने और 11 जुलाई को हुई पार्टी की सामान्य परिषद् की बैठक के खिलाफ याचिका लगाईं थी। एक और सामान्य परिषद् के सदस्य पी वैरामुथु ने भी पार्टी के 11 जुलाई को हुई परिषद् की बैठक के खिलाफ याचिका लगाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने पनीरसेल्वम को मद्रास उच्च न्यायालय में अपील करने को कहा था.

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ओ पनीरसेल्वम और पलानीस्वामी के बीच पार्टी पर अधिकार को लेकर लड़ाई है.

ओ पनीरसेल्वम की तरफ से कोर्ट में तर्क दिया गया की समन्वयक और सह-समन्वयक के मंजूरी के बिना कोई भी बैठक नही बुलाई जा सकती, ओपीएस को पार्टी का समन्वयक 1.5 करोड़ सदस्यों द्वारा चुना गया था, सिर्फ 2665 सदस्यों द्वारा की गई बैठक में उन्हें निकाला नही जा सकता.

वही वर्त्तमान मुख्यमंत्री पलानीस्वामी की तरफ से यह तर्क दिया गया की 11 जुलाई को सामान्य परिषद् की बैठक बुलाने का निर्णय 23 जून की बैठक में लिया गया था, जब पार्टी के 2500 से ज्यादा सदस्यों ने बैठक बुलाने का अनुरोध लिखकर किया था। पार्टी के कानून अनुसार अगर 1/5 पार्टी सदस्यों द्वारा बैठक बुलाने का अनुरोध किया जाएं तो तीस दिन के अंदर बैठक बुलानी होती है। 11 जुलाई को बैठक की जानकारी सभी अखबारों और समाचार माध्यमों से प्रकाशित की गई थी। 11 जुलाई की बैठक सभी नियमो का पालन करते हुए बुलाई गई थी.

आगे पलानीस्वामी गुट की तरफ से कहा गया की समन्वयक और सह-संयुक्त समन्वयक के पद के लिए चुनाव कराने के कार्यकारी परिषद के निर्णय को 23 जून की आम परिषद की बैठक द्वारा अनुमोदित नहीं किया गया था और इसलिए ये पद समाप्त हो गए थे। यह भी कहा गया की सामान्य परिषद के निर्णय को उस दल के निर्णय के रूप में लिया जाना चाहिए जो एकल नेतृत्व चाहता है। इसका ओपीएस पक्ष ने विरोध किया, जिसने प्रस्तुत किया कि 23 जून की बैठक के लिए मसौदा प्रस्ताव में अनुसमर्थन के मुद्दे का कोई उल्लेख नहीं था और इस प्रकार ऐसा अनुमान नहीं लगाया जा सकता.

वरिष्ठ वकील गुरु कृष्णकुमार, पीएच अरविंद पांडियन, और एके श्रीराम, ओपीएस की तरफ से उपस्थित हुए वही वरिष्ठ वकील विजय नारायण, एसआर राजगोपाल और नर्मदा संपत, पलानीस्वामी की तरफ से पेश हुए.

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