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इंडिया न्यूज, नई दिल्ली, (New School Curriculum) : नए स्कूली पाठ्यक्रम के लिए अभी और इंतजार करना होगा। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) लागू करने में अभी कम से कम एक वर्ष का समय लगेगा। इस पर काम जारी है। फिलहाल इसके फ्रेमवर्क पर ही काम किया जा रहा है। हालांकि प्री-प्राइमरी पाठ्यक्रम के फ्रेमवर्क को अगले साल जनवरी तक तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है। ऐसे में प्री-प्राइमरी का नया पाठ्यक्रम वर्ष 2023 के अंत तक या फिर 2024 की शुरूआत में आ जाएगा।
स्कूली पाठ्यक्रम के फ्रेमवर्क को तैयार करने के लिए पूर्व इसरो प्रमुख और देश के शीर्ष विज्ञानी डा. के. कस्तूरीरंगन की अगुवाई में गठित कमेटी को यह लक्ष्य दिया गया है। इसमें स्कूलों से जुड़े पहला पाठ्यक्रम फ्रेमवर्क अगले साल बसंत पंचमी यानी 26 जनवरी 2023 तक लाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
इसके तहत सबसे पहले प्री-प्राइमरी का फ्रेमवर्क लाया जाएगा। इसके बाद स्कूली शिक्षा के बाकी स्तरों का फ्रेमवर्क तैयार किया जाएगा। गौरतलब है कि फ्रेमवर्क में पाठ्यक्रम की विषयवस्तु तैयार की जाती है। इसके तहत यह निर्धारित किया जाता है कि किस स्तर पर कौन सी विषयवस्तु पढ़ाई जाए। जो भी विषय वस्तु पढ़ाई जाए, वह छात्रों के लिए किस तरह से उपयोगी हो।
इसमें विषयों को रूचिकर बनाने पर भी ध्यान दिया जाता है। यह भी ध्यान रखा जाता है कि विषय वस्तु बढ़ती कक्षाओं के साथ ज्यादा वृहद हो। ऐसे में यह पाठ्यक्रम को तैयार करने की सबसे कठिन और अहम प्रक्रिया है। इसके बाद तो सिर्फ फ्रेमवर्क के अनुसार विषय वस्तु को शामिल किया जाता है।
पाठ्यक्रम तैयार करने की कमेटी में राज्यों की भी समितियां शिक्षा मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों के अनुसार स्कूली पाठ्यक्रम को तैयार करने के लिए कस्तूरीरंगन कमेटी के साथ ही एनसीईआरटी (नेशनल काउंसिल आफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग), सभी राज्यों में गठित की गई एससीईआरटी (स्टेट काउंसिल आफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग) और एनसीटीई (नेशनल काउंसिल आफ टीचर्स एजुकेशन) आदि संस्थाओं को शामिल किया गया है।
वर्ष 2024 तक नए स्कूली पाठ्यक्रम को तैयार करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है। हालांकि इसके लिए अलग-अलग स्तरों पर काफी काम चल रहा है। वैसे भी नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के जरिये स्कूली शिक्षा को एक नया रूप दिया गया है। इसके ढांचे को 10 प्लस 2 से निकालकर 5 प्लस 3 प्लस 3 प्लस 4 के पैटर्न को लागू किया गया है। पहले पांच वर्ष में तीन वर्ष प्री-प्राइमरी और उसके बाद पहली और दूसरी कक्षा शामिल किया गया है।
इसके बाद के तीन वर्ष में तीसरी, चौथी और पांचवी कक्षा है। फिर इसके बाद के तीन वर्ष में छठवीं, सातवीं आठवीं कक्षा की पढ़ाई होगी। आखिर के चार वर्ष के चरण में नौवीं से 12वीं तक की पढ़ाई को शामिल किया गया है ताकि विद्यार्थियों का समुचित विकास किया जा सकें। इसके साथ ही पढ़ाई को बच्चे अपने जीवन में सदुपयोग कर सकें।
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