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इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
Petrol Diesel Price Vs Election 2022: पिछले लगभग ढाई माह से देश में डीजल-पेट्रोल की कीमतों में कोई बढ़ोतरी नहीं देखी गई है। बता दें कि 2021 की दीपावली के आसपास प्रधानमंत्री मोदी सरकार ने डीजल-पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी घटाई थी। (Vidhan Sabha Election) देश में डीजल-पेट्रोल की कीमतों में बढोतरी नहीं होने का एक कारण पांच राज्यों में 10 फरवरी से होने वाले (उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, मणिपुर और गोवा) विधानसभा चुनाव को भी माना जा रहा है। (Uttar Pradesh Punjab Vidhan Sabha Chunav, Goa, Uttarakhand, Manipur, Election 2022) चुनाव होने में मात्र 15 दिन शेष बचे हैं। आइए जानते हैं कैसे चुनावों के दौरान देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतों की बढ़ोतरी पर लग जाता है ब्रेक।
सूत्रों के मुताबिक, 2021 की दिवाली से एक दिन पहले (3 नवंबर 2021) केंद्र सरकार ने पेट्रोल, (Petrol Diesel Price) डीजल की एक्साइज ड्यूटी में क्रमश: 10 रुपए/लीटर और 5 रुपए/लीटर की कटौती का ऐलान किया था। इसका असर तत्काल प्रभाव से पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कमी के रूप में देखने को मिला था। उस समय तेल की कीमत अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच चुकी थी और पेट्रोल 100 रुपये/लीटर को पार कर गया था (petrol diesel rate) और डीजल 100 रुपये/लीटर के करीब पहुंच गया था। देश तब से लेकर आज तक पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कोई बढ़ोतरी नहीं देखी जा रही है। (Petrol Diesel Price Vs Election 2022)
ये पहली बार नहीं है जब चुनाव के पहले पेट्रोल-डीजल की कीमतों में ठहराव आया है। पिछले कुछ सालों के ट्रेंड को देखें तो ये साफ नजर आता है कि कैसे सरकार चुनावों से ठीक पहले पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर ब्रेक लगाती है और चुनाव खत्म होते ही कीमत फिर से बढ़ने लगती हैं।
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इस साल जनवरी में इंटरनेशनल मार्केट में कच्चा तेल की कीमत करीब 30 फीसदी बढ़कर 88 डॉलर/बैरल तक पहुंच गई हैं, जोकि 2014 के बाद से कच्चे तेल की सर्वाधिक कीमत है। एक्सपर्ट का मानना है कि यूएई के तेल ठिकानों पर हौती विद्रोहियों के हमले से उपजे विवाद और रूस-यूक्रेन विवाद के चलते कच्चे तेल की कीमत आने वाले महीनों में 100 डॉलर/बैरल तक जा सकती है।
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