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Republic Day 2024 History: आखिर क्यों मनाया जाता है गणतंत्र दिवस, जानें इस दिन का महत्व

India News (इंडिया न्यूज), Republic Day 2024 History:  26 जनवरी का दिन हर भारतीय के लिए बेहद खास है। यह दिन भारतीय नागरिकों की लोकतांत्रिक रूप से अपनी सरकार चुनने की शक्ति को दर्शाता है। साथ ही भारत के इतिहास में यह दिन कई तरह से महत्वपूर्ण है। यही वजह है कि इस दिन को […]

BY: Mudit Goswami • UPDATED :
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India News (इंडिया न्यूज), Republic Day 2024 History:  26 जनवरी का दिन हर भारतीय के लिए बेहद खास है। यह दिन भारतीय नागरिकों की लोकतांत्रिक रूप से अपनी सरकार चुनने की शक्ति को दर्शाता है। साथ ही भारत के इतिहास में यह दिन कई तरह से महत्वपूर्ण है। यही वजह है कि इस दिन को पूरे देश में हर्षोल्लास और उत्साह के साथ मनाया जाता है। वहीं, इस राष्ट्रीय त्योहार की अपनी अलग खासियत है, जिसके चलते लोग इसे धूमधाम से सेलिब्रेट करते हैं।

बता दें कि देश इस साल अपना 75वां गणतंत्र दिवस मनाने जा रहा है। इसके लिए दिल्ली के कर्तव्य पथ पर महिनों से तैयारियां जारी है। वहीं इस बार गणतंत्र दिवस में राम मंदिर, चंद्रयान-3 और विदेश मंत्रालय के उपलब्धियों से जुड़ी 26 झांकियां निकाली जाएंगी। जिनके साक्षी फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों बनेंगे।   लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में गणतंत्र दिवस 26 जनवरी को ही क्यों मनाया जाता है? तो यहां जानिए गणतंत्र दिवस के इतिहास और इसके महत्व के बारे में जानकारी।

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Republic Day 2024 History

गणतंत्र दिवस का इतिहास

आपको बता दें कि हर साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस इसलिए मनाया जाता है, क्योंकि इसी दिन पूरे देश में संविधान लागू किया गया था। 26 जनवरी, 1950 को संविधान लागू होने के साथ ही भारत को पूर्ण गणराज्य घोषित किया गया था। यही वजह है कि हर साल इस खास दिन की याद में 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाया जाता है। साल 1947 में भारत को मिली आजादी के बाद इसे लोकतांत्रिक बनाने के मकसद से देश का संविधान बनाना शूरू किया गया। 2 साल 11 महीने और 18 दिन में बनकर तैयार हुए भारत के संविधान को 26 नवंबर, 1949 में देश की संविधान सभा ने स्वीकार किया। इसके बाद अगले ही साल 26 जनवरी, 1950 को पूरे देश में यह संविधान लागू किया गया था।

गणतंत्र दिवस का महत्व

26 नवंबर को स्वीकार किए गए भारत के संविधान को लागू करने के लिए 26 जनवरी का दिन ही क्यों चुना गया। बता दें कि संविधान लागू करने के लिए इस तारीख को चुनने का भी एक खास मकसद था। दरअसल, 26 जनवरी 1930 को अंग्रेजों की गुलामी के खिलाफ कांग्रेस ने भारत को पूर्ण स्वतंत्र घोषित किया था। ऐसे में पूर्ण स्वराज का प्रस्ताव लागू होने की इस तिथि के महत्व को ध्यान में रखते हुए संविधान लागू करने के लिए 26 जनवरी का दिन चुना गया था। 1950 में इसी दिन संविधान लागू करने के साथ ही देश को पूर्ण गणतंत्र घोषित किया गया और तब से लेकर अब तक हर साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाया जाता है।

दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान

अंग्रेजों से मिली आजादी के बाद देश के लिए एक संविधान की जरूरत महसूस हुई। ऐसे में इसे बनाने के लिए एक संविधान सभा का गठन हुआ था। इस सभा ने 9 दिसंबर, 1946 से संविधान बनाने का काम शुरू किया। भारत की इस संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र प्रसाद थे। जबकि संविधान की ड्राफ्टिंग समिति के अध्यक्ष डॉ. भीमराव अंबेडकर थे। डॉ. अंबेडकर ने भारत के संविधान को बनाने में एक अहम भूमिका निभाई थी, जिसकी वजह से उन्हें संविधान निर्माता भी कहा जाता है। भारत का संविधान दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है, जिसे बनाने में पूरे 2 साल, 11 माह, 18 दिन लगे थे। इसके बाद 26 नवंबर, 1949 को संविधान सभा ने अध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को देश का संविधान सौंपा था। यही वजह है कि हर साल 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है।

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