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गन्ने की कीमत में मामूली वृद्धि किसानों से धोखा : आप

इंडिया न्यूज, चंडीगढ़: आम आदमी पार्टी पंजाब किसान विंग के अध्यक्ष और विधायक कुलतार सिंह संधवां ने राज्य सरकार की ओर से साढ़े चार साल बाद गन्ने के दामों में मामूली वृद्धि को सिरे से खारिज करते हुए उस पर नरेंद्र मोदी सरकार की तरह अन्नदाता को धोखा देने का आरोप लगाए हैं। पार्टी मुख्यालय […]

BY: Amit Gupta • UPDATED :
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इंडिया न्यूज, चंडीगढ़:
आम आदमी पार्टी पंजाब किसान विंग के अध्यक्ष और विधायक कुलतार सिंह संधवां ने राज्य सरकार की ओर से साढ़े चार साल बाद गन्ने के दामों में मामूली वृद्धि को सिरे से खारिज करते हुए उस पर नरेंद्र मोदी सरकार की तरह अन्नदाता को धोखा देने का आरोप लगाए हैं। पार्टी मुख्यालय से जारी एक बयान में कुलतार सिंह संधवां ने कहा कि सत्ताधारी कांग्रेस गन्ना किसानों के लिए बहुत देर से आगे आई लेकिन फिर भी किसानों को इसका फायदा नहीं हुआ। राज्य सरकार द्वारा गन्ने की कीमतों (एसएएपी) में महज 15 रुपए प्रति क्विंटल की वृद्धि का फैसला बेहद निराशाजनक और किसान-हत्या जैसा कदम है, क्योंकि इस से पहले 2017-18 में यह केवल 10 रुपए प्रति क्विंटल था। संधवां ने बताया कि 15 रुपए की मामूली वृद्धि से गन्ने की खरीद मूल्य में पिछले 5 साल में सिर्फ 5 प्रतिशत वृद्धि हुई लेकिन इस दौरान गन्ने की लागत में प्रति एकड़ 30 फीसदी वृद्धि हुई है। जो लागत 2017 में 30 हजार रुपए प्रति एकड़ थी, वह मौजूदा समय में बढ़कर 40 से 42 हजार प्रति एकड़ हो गई है। संधवां ने सरकार को कटघरे में खड़ा कर सवाल किया कि एक निजी मिल मालिक जो हमेशा अपने लाभ की तलाश में रहता है, वह किसानों के अधिकारों के बारे में कैसे बात कर सकता है?
संधवां ने कहा कि पंजाब की 16 गन्ना मिलों में से 9 सहकारी और 7 निजी हैं। शिअद-भाजपा और कांग्रेस की किसान विरोधी नीतियों के कारण सहकारी मिलों की हालत खराब हो गई है और क्षमता कम हो गई है जिसके कारण आज 70 प्रतिशत गन्ने पर निजी मिलों का एकाधिकार है। संधवां ने लंबे समय से खड़े गन्ने के बकाया के लिए सीधे तौर पर कांग्रेस सरकार को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि गन्ना नियंत्रण बोर्ड-1966 के अनुसार यदि कोई मिल 15 दिनों के भीतर भुगतान नहीं करती है, तो किसान 15 प्रतिशत ब्याज का हकदार है। लेकिन यहां पहले से ही 160 करोड़ रुपए का बकाया खड़ा है जिसमें से 106 करोड़ का बकाया अकाली, कांग्रेस और अन्य बड़े राजनीतिक नेताओं की निजी मिलों पर है।

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