Neeraj Chopra | Special Interview - Supriya Saxena | Olympian
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ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता नीरज चोपड़ा के साथ स्पेशल इंटरव्यू

Harpreet Singh • LAST UPDATED : July 15, 2022, 4:55 pm IST
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ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता नीरज चोपड़ा के साथ स्पेशल इंटरव्यू

Neeraj Chopra

इंडिया न्यूज (Supriya Saxena) , नई दिल्ली | Neeraj Chopra : नीरज चोपड़ा भारतीय खेल जगत का ऐसा सितारा है जो किसी पहचान को मोहताज नहीं है। Neeraj Chopra ने अपने दम पर भारत को एथलेटिक्स में पहला मेडल जितवाया वो भी गोल्ड मेडल। इतना ही नहीं उसके बाद भी नीरज ने कई प्रतियोगिताओं में शानदार प्रदर्शन किया। नीरज यहीं नहीं रूके। इसके बाद उन्होंने 14 जून को फिनलैंड के पावो नूरमी में 89.30 मीटर भाला फेंका। स्टाकहोम डायमंड लीग में वो मात्र 6 सेंटीमीटर से 90 मीटर का मार्क छूने से चूक गए।

नीरज शानदार फॉर्म में है। विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में नीरज से देश को काफी उम्मीदें हैं। भारत के इस स्टार परफॉर्मर के साथ सुप्रिया सक्सेना ने बातचीत की। इस दौरान सुप्रिया ने नीरज से ओलंपिक मेडल जीतने के बाद के सफर के बारे में बात की। कैसे नीरज ने स्टाकहोम डायमंड लीग में अपना ही रिकॉर्ड तोड़ दिया। आइए जानते हैं सुप्रिया सक्सेना के सवाल और नीरज चोपड़ा के जवाब।

1. Neeraj Chopra विश्व चैंपियनशिप और राष्ट्रमंडल खेलों के लिए आपकी तैयारी कैसी चल रही है? आप दो प्रमुख इवेंट्स में भाग लेने जा रहे हैं आप कैसा महसूस कर रहे हैं?

उत्तर। तैयारी अच्छी चल रही है, जैसा की सबने देखा कि अभी तक मैंने 3 बड़ी प्रतियोगिताओं में भाग लिया है और सभी में बढ़िया प्रदर्शन किया है। जिसमें मेरे 2 पर्सनल बेस्ट रहे हैं, तो अच्छा महसूस कर रहा हूं। फिलहाल हम यूएस में है ट्रेनिंग के लिए। इसके बाद हमारी कल सुबह बस हैं, सुबह 7 बजे के आसपास और फिर फ्लाइट हैं।

2. विश्व चैंपियनशिप के लिए आपने जिस 3 प्रतियोगिता का उल्लेख किया है, उसमें अपने शानदार प्रदर्शन से आपने कितना आत्मविश्वास हासिल किया है?

उत्तर। काफी बढ़िया रहा है, कॉन्फिडेंस मिला है क्योंकि सिर्फ बेस्ट थ्रो की बात नहीं है पर कंसिस्टेंसी अच्छी रही है वही मैटर करता हैं। कंसिस्टेंसी के साथ-साथ दो बार पर्सनल बेस्ट भी हुआ तो काफी कॉन्फिडेंस आया है। अब और बेस्ट करना है अपना 100% देना है। 90 मीटर के करीब था लेकिन 6 सेंटीमीटर रह गया था, तो उसे पूरा करने की कोशिश रहेगी।

3. ओलंपिक से पहले भी आपने ज्यदा प्रतियोगिताओं में भाग नहीं लिया था, औरा अब विश्व चैंपियनशिप के पहले भी आपकी 3 ही प्रतियोगिताएं हुई हैं जैसा आपने बताया। तो क्या कम प्रतियोगिताएं करने के पीछे कोई विचार प्रक्रिया है?

उत्तर। कम प्रतियोगिताएं इसलिए हैं कि हाल ही में प्रमुख प्रतियोगिताएं यही थी। हमारा प्लान दोहा डायमंड लीग खेलने का भी था। उसके बाद शायद हम ओस्त्रवा भी खेलते, हमें देर से शुरू एशियन गेम्स की वजह से किया, जो सितंबर के अंत में होना हैं। आगे काफी प्रतियोगिताएं जैसे कि विश्व चैंपियनशिप, कॉमनवेल्थ गेम्स और एशियन गेम्स हैं।

इसलिए हमने सब मेंटेन करने के लिए कम प्रतियोगिताएं चुनी और उन्हें खेला। अब एशियन गेम्स पोस्टपोन हो गई हैं तो अब फोकस में बस यही दोनों हैं। ऐसी कोई स्पेशल प्लानिंग नहीं थी कि कम ही प्रतियोगिताएं खेलना हैं पर हां, एशियाई खेलों की वजह से हमने सोचा था कि हम थोड़ा देर से शुरू करेंगे।

4. चुला विस्टा पहुंचने के बाद ये जो तैयारी का अंतिम चरण रहा है आपका वो किस तरह का रहा है? क्या एडजस्टमेंट करने पड़े आपको जो आप पहले तुर्की में ट्रेन कर रहे थे। फिर स्वीडन में ट्रेन कर रहे थे उसकी तुलना में क्या चेंज आया है आपमें? और आप वर्ल्ड चैंपियनशिप के लिए कितने तैयार हैं आपके हिसाब से?

उत्तर। ट्रेनिंग में तो कुछ ज्यादा नहीं बदलाव नहीं आया है, वही ट्रेनिंग चल रही है। बाकी कुछ नई चीज उसमें नहीं जोड़ी हैं। कोच ये भी बताते हैं कि जब प्रतियोगिताएं नहीं होती हैं तो कुछ नए बदलाव नहीं करने चाहिए, क्योंकि नई एक्सरसाइज नई मांसपेशियों पर लोड डालती है तो चोटों के मौके रहते हैं। हम जो कर रहे थे उसे ही बेहतर कर रहे हैं।

5. आपने चुला विस्ता में काफी टाइम स्पेंड किया है। ओलंपिक के बाद आपने ज्यादातर बाहर ही ट्रेनिंग की है। तो चुला विस्टा में ट्रेनिंग का कैसा माहौल है जो आपको सूट कर रहा है, क्या कहना चाहेंगे उस जगह के बारे में ?

उत्तर। यहां पर मौसम काफी अच्छा रहता है। सुविधाएं और खाना भी अच्छा है। मैं काफी सराहना करता हूं की सरकार और फेडरेशन ने ये सब करवाया, वर्ल्ड चैंपियनशिप से पहले यहां पर प्री-कैंप लगवाया। भारत और यहां पर समय का काफी अंतर है तो इसलिए थोड़े समय पहले ही यहां आकार प्रशिक्षण करना बेहतर रहता है ताकि हम यहां के मौसम में ढल सके। काफी अच्छा था ये कैंप और ट्रेनिंग भी बहुत अच्छी रही।

6. वर्ल्ड चैंपियनशिप जैसे बड़े कॉम्पिटिशन में जब आप जाते हैं तो क्या माइंडसेट रहता है आपका। जैसा आपने पहले भी बताया है कि आप दूरी के बारे में ज्यादा सोचते नहीं हो। पर वर्ल्ड चैंपियनशिप इतना बड़ा इवेंट है, आपके बहुत मेडल आए है बाकी कॉम्पिटिशन में पर शायद इसमें नहीं आए हैं। तो क्या माइंडसेट रहता है आपका और इस बार क्या टारगेट रहा आपका?

उत्तर। जैसी मानसिकता टोक्यो में थी, कि बस जाना है और मन खोल के खेलना है अपना 100% देना है। एक चीज बोलना चाहूंगा जो मैंने पिछले वर्ल्ड चैंपियनशिप से तलाशी थी और जो मैं अभी फॉलो कर रहा हूं। 2017 में लंदन वर्ल्ड चैंपियनशिप मेरा पहला सीनियर लेवल कॉम्पिटिशन था, तो क्वालिफिकेशन राउंड में मुझे इतनी नॉलेज नहीं थी।

83 मीटर का गोल था क्वालिफाई करने के लिए, मुझे लगा कि हो जाएगा कर लेंगे, लेकिन उसके बाद मैंने जाना कि हमें क्वालिफाई राउंड में भी अच्छे से फोकस्ड रहकर अपना बेस्ट देना चाहिए। अब यही है कि सबसे अच्छा देना है अपना और बाकी कुछ ज्यादा सोचना नहीं है डिस्टेंस वगैरहा का।

7. आप अपने कॉम्पिटिशन को वर्ल्ड चैंपियनशिप में कैसे देखते हैं ? एक तरफ एंडरसन पीटर्स की परफॉर्मेंस काफी शानदार रही है, 90 के ऊपर फेंक रहे हैं सीजन बेस्ट थ्रो भी उनका है और काफी साल से आप लोग कॉम्पिटिशन कर रहे हैं। दूसरी साइड जोहान्स वेटर है, आपकी और वेटर की दोस्ती की भी काफी चर्चा रही है। आपकी राय क्या है वर्ल्ड चैंपियनशिप के प्रतियोगियों को लेकर ?

उत्तर। मुझे लगता है कि काफी टक्कर की प्रतियोगिता चल रही हैं, जैसा कि आप देख चुके हैं कि काफी प्रतियोगिताओं में निशान 89 से ऊपर ही रहता है तो एंडरसन पीटर्स भी काफी अच्छा प्रदर्शन करता है और भी बहुत सारे खिलाड़ी हैं। एंड्रियास हॉफमैन ने भी कमबैक किया है तो उम्मीद है काफी अच्छा कॉम्पिटिशन रहेगा जैवलिन थ्रो का।

8. नीरज क्या कोच के साथ कुछ खास रणनीतियों की बात होती है, किसी विशेष प्रतियोगी को लेकर?

उत्तर। कौन कैसे फेंकता है इससे फर्क नहीं पड़ता। मेरे कोच ट्राई करते हैं कि मैं खुद का परफॉर्मेंस बेहतर करूं। किसी की तकनीक देखकर फॉलो नहीं करते, पर जिसकी तकनीक अच्छी होती है उसे टैरिफ जरूरी करते हैं।

9. इस बार काफी एक्साइटमेंट है टीम इंडिया को लेकर, आपकी परफॉर्मेंस काफी चर्चा में रही है। अब 22-23 लोगों की टीम है जो इंडिया को रिप्रेजेंट कर रही है। अब चुला विस्टा में इंडियन टीम का क्या माहौल है, आपको कैसा लगता है बाकी भारतीय एथलीट्स के साथ ट्रेनिंग करना। क्या आप लोग टिप्स वगैरह शेयर करते हो?

उत्तर। बहुत ही अच्छा है टीम के साथ दोबारा खेलना और पूरी इंडियन टीम है यहां पर। और कभी सेशन हुए हैं तो मैंने रोहित के साथ ट्रेनिंग की, एक दिन मनु के साथ भी की थी। जंपर्स और स्ट्राइकर्स के साथ भी एक्सरसाइज की है तो आपस में वर्कआउट कर के अच्छा लगता है। बाकी भी देशों की टीम है यहां पर, जैसे यूक्रेन की टीम है और भी काफी देशों की टीमों थी।

10. इस साल रोहित और आप साथ दिखने वाले हैं। तो आप रोहित को क्या प्रेरणा या टिप्स देते हैं उनके पहले विश्व चैंपियनशिप के लिए?

उत्तर। बस मैं उसे यही बोल रहा हूं कि अपना सबसे अच्छा देना, चाहे वो क्वालिफिकेशन राउंड ही क्यों न हो। और दूरी का प्रेशर मत लेना, 2016 में मेरी 83 मीटर रेंज थी और मैंने वर्ल्ड जूनियर में बहुत सुधार किया था 86 मीटर तक थ्रो किया था। तो मैंने उसे यही बोला कि कभी पता नहीं होता कि दूरी कितना अच्छा निकल जाए। इसलिए अपना बेस्ट ही देना।

11. राष्ट्रमंडल खेलों में आपके साथ मनु होंगे तो उसके साथ आपका कैसा अनुभव रहा है?

उत्तर। मनु से मैं पूना में मिला था, अच्छा लड़का है काफी। और शायद वर्ल्ड चैंपियनशिप के लिए भी क्वालिफाई हो जाता लेकिन रैंकिंग की वजह से रह गया। पर अच्छा है कि कॉमनवेल्थ में आ रहा है और 84+ रेंज हैं उसकी जो काफी अच्छी है।

12. जब एक भाला प्रतियोगिता होती है तो हम लोगों को टीवी में या स्ट्रीम में पता नहीं लगता कि वहां किससे क्या बात हो रही होती है। तो एथलीटों के बीच में बड़े प्रतियोगिताओं के बीच में क्या बात होती है?

उत्तर। बहुत ज्यादा बात नहीं होती लेकिन कोई भी अच्छा थ्रो करता है तो सब मिलकर उसे सराहते हैं। मैच में ज्यादा बात नहीं होती लेकिन प्रतियोगिता से बाहर बात होती है।

13. दो मेजर इवेंट-वर्ल्ड चैंपियनशिप और सीडब्ल्यूजी बहुत पास है। तो क्या आपके करियर में ये पहली बार हो रहा है कि ऐसे दो प्रमुख प्रतियोगिताएं एक साथ आई हैं?

उत्तर। नहीं, शायद ये पहली बार हो रहा है कि दो सप्ताह के गैप में दो प्रमुख प्रतियोगिताएं हैं। पर हां मैंने एकदम नजदीक प्रतियोगिता खेली हुई हैं जैसे कि जकार्ता फाइनल गेम्स के बाद मैंने डायमंड लीग खेल ज्यूरिख 2018 में खेला था।

14. आप हमें अपने प्रतियोगिता दिन की दिनचर्या के बारे में बताइये, और ये दिन बाकी प्रशिक्षण के दिनों से कैसे अलग होता है? और टोक्यो से अभी तक उसमें कुछ बदलाव आया है?

उत्तर। मौसम की स्थिति जगह के हिसाब से हम बदलते रहते हैं। टोक्यो में गर्मी थी तो हम वार्मअप थोड़ा देर से शुरू करते थे और यूरोप में ठंडा मौसम होता है तो वार्मअप जल्दी करना पड़ता है। ट्रेनिंग प्लानिंग एक दिन पहले करते हैं। ज्यादा फोकस रेस्ट और रिकवरी पर रहता है, और हम अच्छी डाइट लें। ट्रेनिंग पहले ही हो चुकी होती है तो प्रतियोगिता से पहले हम रिलेक्स करते हैं। कॉम्पिटिशन वाले दिन डाइट पर ज्यादा जोर रहता है, कार्ब्स ज्यादा लते हैं।

15. जैसे कि ओलंपिक के बाद आपको बहुत स्टारडम मिला है तो आप इस स्टारडम और अपनी आन द फीन्ड की कंसिस्टेंसी को कैसे बनाए रख रहे हैं?

उत्तर। जिस समय पर हम जो काम कर रहे हैं उस पर ध्यान केंद्रित रहे तो वो काम आसन हो जाता है। अगर ट्रेनिंग के दौरान मैं किसी और चीज के बारे में सोचूं तो वो ठीक से नहीं हो पाती। और ओलंपिक के बाद में किसी कार्यक्रम के लिए जाता था तो मेरी ट्रेनिंग नहीं हो पाती थी, तो मन में ये बात आती थी कि ट्रेनिंग नहीं हो पा रही है तो उस समय पर मैं जिस काम के लिए जाता था उस पर फोकस कम हो जाता था। जो काम कर रहे हैं उस पल को जीना अच्छा रहता है।

16. आपको प्रेशर महसूस होता है कि अब आप अपनी लाइफ बिना कुछ सोचे समझे नहीं जी सकते हैं, या कुछ भी अपने मन का नहीं कर सकते हैं। क्योंकि आप जो कुछ भी करते हैं पूरी दुनिया की नजर रहती है उस पर। या आप कुछ करें तो उसे किसी और ढंग से पेश कर दिया जाएगा?

उत्तर। कैमरा का डर तो लगता ही है। जैसे मैं पहले एनआईएस में था तो हम कुछ भी कर देते थे, दोस्तों के साथ नाच लेते हैं, क्योंकि हम एथलीट हैं तो नाचना नहीं आता कैसे भी नाच देते थे। अब वो डांस वाली वीडियो वायरल हो गई है। लेकिन अब थोड़ी हिचकिचाहट रहती है जैसे पहले खुल के नाचते थे वैसे अब नहीं नाच सकते, देखना पड़ता है कि कहीं वीडियो न बन रही हो।

17. गुरु पूर्णिमा के दिन आप आपके किसी गुरु को धन्यवाद करना चाहेंगे या आम तौर पर किसी छात्र और शिक्षक को कोई संदेश देना चाहेंगे?

उत्तर। मैं सभी को गुरु पूर्णिमा की बधाई देना चाहता हूं। जैसे हमारी टीम में तगेंद्रपाल तूर है तो उनसे हाल ही में मिलकर अच्छा लगा था। हम सारे त्यौहार या अवसर साथ मिल कर ही मनाते हैं तो अच्छा लगता है।

18. आपके बेस्ट थ्रो शुरुआती राउंड्स में ही आ जाते हैं, तो क्या इसके पीछे कोई कारण है?

उत्तर। कोशिश यही रहती है कि पहले ही थ्रो से अपना बेस्ट देकर चालू तो मैं वही करता हूं। कई बार शुरू में ही अच्छा हो जाता है और कई बार हमसे अच्छी थ्रो नहीं भी होती है। मुझे लगता है कि शुरू से आखिरी तक हमें सर्मपण के साथ ही फेंकना चाहिए।

19. बहुत से एथलीटों को आपसे प्रेरणा मिली है टोक्यो ओलंपिक के बाद, लोग आपको लीडर के रूप में देख रहे हैं, तो इसे आपको इससे कोई दबाव महसूस होता है? साथ ही क्या जूनियर एथलीट से बात होती है उनका हौंसला बढ़ाने में?

उत्तर। लीडर तो नहीं बनना लेकिन साथ चल कर ज्यादा मजा आएगा। मुझे इस बात की खुशी है कि बाकी एथलीट ये बोल रहे हैं फिर से अगर नीरज जीत सकता है तो हम भी जीत सकते हैं। अगर उनके अंदर विश्वास मेरी मेरी वजह से आया है तो मैं खुद को बहुत खुश किस्मत मानता हूं।

20. आपके कोच क्लॉज से आपकी क्या बात होती है, हमने सोशल मीडिया पर देखा भी है कि वो बहुत मजाकिया हैं। बड़े कॉम्पिटिशन से पहले उनकी खुद की क्या तैयारी रहती है और वो आपसे क्या उम्मीद करते हैं।

उत्तर। काफी शांत हैं मेरे कोच, मैं जब भी उनसे पूछता हूं कि कैसे करना होगा मुझे या लक्ष्य क्या होना चाहिए तो वो कहते हैं कि “आप तनाव क्यों ले रहे हैं, आनंद लें”। बस यही कहते हैं की सही लाइन पर थ्रो करो, कोशिश करो की थ्रो परफेक्ट हो। काफी प्रेरित रखते हैं वो मुझे।

21. नीरज आप अंधविश्वासी हो क्या, क्या कोई ऐसा अनुष्ठान या दिनचर्या है जो आप मैच से पहले करते हो?

उत्तर। नहीं ऐसा कुछ नहीं है। बहुत पहले मेरी एक टी-शर्ट होती थी जिसे पहन कर मुझे कंफर्टेबल महसूस होता था, तो मैं हर प्रतियोगिता में वही पहनता था। अब सभी प्रतियोगिताओं में अलग कपड़े पहनने होते हैं। अंधविश्वास का कुछ नहीं है, मैं बस ये देखता हूं कि किसमे मुझे कंफर्टेबल फील हो रहा है।

22. आप मीडिया के जरिये जितने भी भारतीय प्रशंसक हैं जो कि अब एथलीट्स को फॉलो करने लगे हैं, तो आप उन्हें कुछ बोलना चाहेंगे?

उत्तर। मैं बस सभी को हाथ जोड़ के यही कहना चाहूंगा कि टीम इंडिया को सपोर्ट करें। वर्ल्ड चैंपियनशिप के लिए। आशा करते हैं कि हम यहां अच्छा करेंगे, और इसके बाद राष्ट्रमंडल खेलों में भी आप समर्थन करें। अच्छा लगता है जब आप लोग देखते हैं और खुद भी खुशी मनाते हैं। तो आशा करुंगा कि हम मेहनत कर के और बेहतर करें। कोशिश करें कि अपने बच्चों को भी स्पोर्ट्स की तरफ लेकर जाएं।

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