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India News (इंडिया न्यूज़), Rajasthan:अजीत मेंदोला, राजस्थान के प्रदेश प्रभारी पार्टी महासचिव सुखजिंदर सिंह रंधावा जल्द ही पंजाब की राजनीति में वापस लौट सकते है। सूत्रों की माने तो पार्टी रंधावा को गुरदासपुर से चुनाव लड़ा सकती है। पंजाब में कांग्रेस अब तक के सबसे बुरे दौर से गुजर रही है। कई प्रमुख नेता पार्टी छोड़ चुके हैं, जिसके चलते स्थिति काफी चिंताजनक बनी हुई है।
दो साल पहले विधानसभा चुनाव के समय पार्टी में जो टूट का दौर शुरू हुआ वह अभी तक जारी है। पूर्व मुख्यमंत्री अमरेंद्र सिंह के पार्टी छोड़ने के बाद ,सुनील जाखड़ का पार्टी छोड़ना पार्टी के लिए बड़ा झटका था। वहीं सांसद रवनीत सिंह बिट्टू का पार्टी छोड़ना चौंकाने वाला था। अब तीन बार के सांसद रवनीत को बीजेपी ने लुधियाना से टिकट दे दिया है।
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इसी तरह बीजेपी ने अमरेंद्र सिंह की पत्नी परनीत कौर को पटियाला से उम्मीदवार बना दिया है। कांग्रेस के गढ़ समझे जाने वाली सीट पर बीजेपी ने मजबूत प्रत्याशी दे दिया है। वहीं जालंधर से आप सांसद सुशील रिंकू को उम्मीदवार बनाया है। जानकार मान रहे हैं कि बीजेपी पटियाला,लुधियाना,गुरदासपुर,अमृतसर,होशियारपुर,जालंधर जैसी सीटों पर मजबूत दिख रही है।
कांग्रेस का संकट यह है इन प्रमुख नेताओं के पार्टी छोड़ने के बाद नवजोत सिंह सिद्धू का क्रिकेट कमेंट्री में वापस लौटने से पार्टी बिखर सी गई है। अब ले दे कर प्रदेश अध्यक्ष राजा अमरेंद्र बराड़ और विधायक दल नेता प्रताप सिंह बाजवा के साथ मनीष तिवारी ही बड़े नेता रह गए हैं। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री चरण जीत सिंह चन्नी का कोई विशेष आधार नहीं है, पार्टी उन्हें होशियारपुर से टिकट दे सकती है।
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इस हालात में अगर रंधावा पंजाब कांग्रेस की राजनीति में वापस लौटते हैं तो पार्टी को ताकत मिलेगी। पंजाब में अंतिम चरण में चुनाव 1 जून को है। वहीं राजस्थान में 26 अप्रैल को दूसरे चरण की वोटिंग पूरी हो जायेगी। समझा जाता है कि इसके बाद रंधावा एक बार फिर पंजाब में सक्रिय हो सकते हैं, रंधावा पंजाब कांग्रेस में सबसे वरिष्ठ हैं। वहीं पार्टी से अमरेंद्र सिंह को हटाने के बाद उन्हें मुख्यमंत्री बनाने का फैसला कर लिया था। जबकि सिद्धू और पार्टी की वरिष्ठ नेता अंबिका सोनी ने चन्नी को मौका दिलवाया था।
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रंधावा और बाजवा दोनों गुरदासपुर से सक्रिय राजनीति करते है। ऐसे संकेत हैं कि बाजवा खुद को प्रदेश की राजनीति में सक्रिय रखना चाहते है,इसलिए इस बार वह लोकसभा का चुनाव नहीं लडेंगे। ऐसे में पार्टी के अंदर रंधावा ही मजबूत चेहरा रह जाते हैं। ऐसे संकेत हैं कि बीजेपी की गढ़ समझे जाने वाली सीट पर कांग्रेस रंधावा को चुनावी मैदान में उतार सकती है। सांसद मनीष तिवारीवैसे तो टिकट चंडीगढ़ से चाहते हैं। अब देखना होगा पार्टी इस बार उनकी मांग मानती है या नहीं।
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