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दिमाग को रखना है तनाव मुक्त, तो ये तरीके अपनाएं

Suman Tiwari • LAST UPDATED : April 28, 2022, 11:36 am IST

इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
आज के दौर में हर व्यक्ति किसी ना किसी बात को लेकर तनाव में रहता है। इन दिनों व्यक्ति पहले से ही ज्यादा तनाव से गुजर रहा है। पहले कोरोना महामारी, फिर रूस-यूक्रेन युद्ध और अब रोजाना के बढ़ते खर्चे। हर व्यक्ति भविष्य की योजना तो बनाता है, लेकिन रोजाना के नकारात्मक विचारों से इन पर काफी असर पड़ता है। इन्हीं बातों को देखते हुए कनाडा की यूनिवर्सिटी में रिसर्च हुई। तो चलिए जानते हैं उस रिसर्च के बारे में।

क्या कहती है रिसर्च?

कनाडा क्वींस यूनिवर्सिटी रिसर्च मुताबिक, हर दिन दिमाग में 6, 000 विचार आते हैं। वहीं नेशनल साइंस फाउंडेशन का विश्लेषण कहता है इनमें से 80 फीसदी नकारात्मक होते हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि विचारों के उपद्रव से रोजमर्रा के काम प्रभावित होते हैं। इसका उपाय है दिमाग को व्यवस्थित किया जाए और इसमें सकारात्मक विचार भरे जाएं।

सकारात्मक सोचें

यह रोजमर्रा के काम की सूची बनाने से अलग है। कुछ हफ्तों के लिए रोज 5 मिनट अपने उन विचारों को शब्दों में पिरोने के लिए समय दें, जो दिमाग में रहते हैं। बहुत से लोग इसके साथ शुरू करते हैं, क्या लिखूं? मैं निराश हूं। मुद्दा यह है कि वे निराश हैं क्योंकि बाध्य महसूस कर रहे हैं। आप जो करते हैं, उस बारे में विकल्प चुनकर शुरूआत करें। जब आप सही कारण के लिए विकल्प चुनते हैं, तो यह सकारात्मक सोच में बदल जाता है। यह दिमाग में जगह बनती है।

उन चीजों को छोड़ना होगा, जो पुरानी हो चुकी हैं

मचान, गैरेज या बगीचे को साफ करने की तरह मुक्त रूप से लिखने से आपको अपने दिमाग को साफ करने में मदद मिलेगी। इसके लिए आपको उन चीजों को छोड़ना होगा, जो पुरानी हो चुकी हैं। अब प्रासंगिक नहीं हैं। मान लें कि किचन में सामग्री सब तरफ बिखरी पड़ी है। आपको इन्हें कैबिनेट में जमाना है। जब आप चीजों को जमाते हुए व्यवस्थित करते हैं तो ऐसा करके आप प्रभावी बनते हैं। दिमाग के विचारों को व्यवस्थित करके भी आप प्रभावी बनते हैं।

बदलाव अनुभव करने के लिए काम करें

दिमाग को रखना है तनाव मुक्त, तो ये तरीके अपनाएं

ज्यादा नहीं, रोजाना सिर्फ 4 मिनट तक खुद के साथ रहें। ध्यान मुद्रा में बैठें। हालांकि बदलाव को अनुभव करने के लिए आपको काम भी करना होगा। एक बच्चा अपने आप स्कूली होमवर्क कर सकता है, लेकिन जब माता-पिता साथ बैठते हैं, तो बच्चे बहुत बेहतर करते हैं।

सोची-समझी प्रतिक्रिया से विचारों की भीड़ घटेगी

जब भी आपको किसी मुद्दे पर चुनौती दी जाए, या किसी चीज पर प्रतिक्रिया की जरूरत हो तो थोड़ा ठहरें और यह तय करें कि आप किस तरह प्रतिक्रिया देना चाहते हैं। सोच-समझकर प्रतिक्रिया देने से दिमाग में विचारों की भीड़ कम होगी। आप सधा हुआ जवाब भी दे सकेंगे।

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