Thyroid Diet Precautions बदलता खान-पान और बदलता रहन सहन आज के समय में कई भयंकर बीमारियों को जन्म दे रहा है। एक तो भागदौड़ भरी जिंदगी में लोग अपने शरीर को समय बहुत कम दे पा रहे हैं दूसरा हेल्दी फूड्स को भी पीछे छोड़ रहे हैं। यह सब बदलती आदतें अच्छी सेहत के लिए सही नहीं हैं। इनमें बदलाव लाना बेहद जरुरी है। अन्यथा शरीर धीरे-धीरे कई गंभीर बीमारियों की जकड़ में आ जाएगा।
(Thyroid Diet Precautions)
Thyroid Diet Precautions
इनमें से एक बीमारी है जिसे थायराइड कहा जाता है। इस बीमारी से मोटापा बढ़ जाता है और में दर्द रहने लगता है। इसकी ओर ध्यान देना काफी जरुरी है। थायराइड की बीमारी होने पर खाने-पीने का काफी खयाल रखना पड़ता है। थायराइड होने पर खाने पीने की कुछ चीजों को छोड़ देना ही स्वास्थ्य की भलाई है।
गले में एक एंडोक्राइन ग्लैंड पाया जाता है जो कि गले में रहकर थायराइड नाम के हार्मोन को बनाता है। यह हार्मोन हमारे शरीर में मेटाबॉलिज्म रेट को संतुलित करने में मदद करता है।
आयोडीन की मदद से थाइराइड ग्लैंड यह हार्मोन बनाता है। थायराइड हार्मोन लेवल शरीर में असंतुलित होने लगता है कई समस्याएं पैदा होने लगती हैं। इसकरे सही करने के लिए दवाइयों का सहारा लेते हैं और खान-पान की ओर ध्यान देना छोड़ देते हैं। इससे समस्या कम होने की बजाय बढ़ने लगती है।
सोयाबीन, टोफू, सोया मिल्क, पत्ता गोभी, फूल गोभी, पालक, ब्रोकली, शकरकंद, आड़ू, स्ट्रौबरी, बाजरा और मूंगफली में गोइट्रोजेंस पाया जाता है।
यह ऐसे कंपाउंड होते हैं जो थायराइड ग्रंथि के काम करने के तरीके पर असर डालते हैं। हाइपोथायराइड वाले लोगों को इन चीजों का सेवन कम करना चाहिए। जिन लोगों में आयोडीन की कमी पाई जाती है उन लोगों को भी इन खाद्य पदार्थों का सेवन कम करना चाहिए।
थायराइड के मरीज ग्रीन टी, चाय, कॉफी, ब्लैक टी आदि का सेवन थायराइड की दवाई खाने से पहले या खाने के 1 घंटे के अंदर करते हैं तो इससे आपके द्वारा खाई गई दवाई का असर कम हो जाता है।
कैफीन शरीर के अंदर आंतों को दवाई अवशोषित करने नहीं देती। इस बजह से थायराइड घटता और बढ़ता रहता है। तो इस बात का ध्यान रखें कि जो इस बीमारी से ग्रस्त हैं वे खाली पेट दवाई खाएं और उसके बाद कम से कम 1 घंटे तक कोई भी ठंडा या गर्म पेय पदार्थ जैसे चाय, काफी, ग्रीन टी आदि न लें।
थाइराइड के मरीजों को शराब कभी नहीं पीना चाहिए। शराब थायराइड ग्रंथि के फंक्शनिंग में रुकावट पैदा करती है। शराब पीने से थाइराइड हार्मोन टी-3 और टी-4 के स्तर कम हो जाता है। शराब पीने से थायराइड ग्रंथि की कोशिकाओं प्रभावित होती हैं जिसकी वजह से ग्रंथि छोटी हो जाती है। थायराइड ग्रंथि छोटी होने से टी-3 हार्मोन अनियंत्रित होने लगता है जिससे समस्या बढ़ने लगती है।
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