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Election 2024: इस बार के चुनाव में रोजगार कितना कारगर मुद्दा, भाजपा पेश कर रही ताबड़तोड़ आंकड़े

Rajesh kumar • LAST UPDATED : March 21, 2024, 6:17 am IST
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Election 2024: इस बार के चुनाव में रोजगार कितना कारगर मुद्दा, भाजपा पेश कर रही ताबड़तोड़ आंकड़े

Election 2024: इस बार के चुनाव में रोजगार कितना कारगर मुद्दा, भाजपा पेश कर रही ताबड़तोड़ आंकड़े

India News(इंडिया न्यूज),Election 2024: रोजगार हर चुनाव का स्थायी मुद्दा होता है। पहले लोकसभा चुनाव के बाद से शायद ही कोई ऐसा चुनाव हुआ हो जिसमें रोज़गार कोई मुद्दा न रहा हो। भारत ही नहीं, बल्कि अमेरिका जैसे विकसित देशों में भी रोजगार का सवाल कभी दबाया नहीं गया। अहम सवाल यह है कि क्या यह स्थायी मुद्दा निर्णायक मुद्दा भी है।।। इसमें कोई शक नहीं कि युवाओं के बीच इसका असर है, यही कारण है कि मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस इसे धार देने में जुटी है, लेकिन सत्ताधारी बीजेपी की ओर से भी कुछ आंकड़े पेश किए जा रहे हैं।

यह भी कहा जा रहा है कि सरकार युवाओं को नौकरी मांगने वालों से ज्यादा नौकरी देने वाला बनाने की दिशा में काम कर रही है। ऐसे में यह मान लिया जाना चाहिए कि रोजगार के मुद्दे का असर विश्वसनीयता और प्रतिबद्धता पर निर्भर करेगा। इस स्थाई समस्या के स्थाई समाधान के लिए नया रास्ता खोजना होगा।

युवाओं के लिए कांग्रेस की गारंटी

कांग्रेस ने करीब 21 करोड़ युवाओं को अपने पाले में लाने के लिए पांच गारंटी देने का ऐलान किया है। इसमें सरकार में खाली पड़े 30 लाख पदों को तय समय में भरना और युवाओं को एक साल तक 8500 रुपये मासिक मानदेय देकर कुशल बनाना शामिल है।

इसकी गारंटी में नौकरी परीक्षाओं के पेपर लीक को रोकना, गिग श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना और 5,000 करोड़ रुपये का स्टार्टअप फंड स्थापित करना भी शामिल है ताकि सभी जिलों में युवाओं को स्टार्टअप फंड मिल सके। ध्यान रहे कि बिहार में हुए विधानसभा चुनाव में राजद नेता और लालू प्रसाद यादव के बेटे तेजस्वी यादव ने सत्ता में आते ही 10 लाख नौकरियां देने का जोरदार प्रचार किया था और इसके साथ ही वह सभी वर्ग के युवाओं का वोट पाने में सफल रहे थे।

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कांग्रेस ने दक्षिण भारतीय राज्यों तेलंगाना और कर्नाटक के विधानसभा चुनावों में भी रोजगार का मुद्दा उठाया था, लेकिन अगर कांग्रेस को युवाओं का दिल जीतने के लिए विश्वसनीय तरीके से जीत हासिल करनी है, तो उसे यह भी बताना होगा कि पिछली कांग्रेस सरकारों के दौरान और वर्तमान में एक। शासित राज्यों में इस दिशा में कितना काम हुआ है। अन्यथा यह महज चुनावी स्टंट बनकर रह जाएगा।

स्टेटिस्टा कंज्यूमर ने किया सर्वेक्षण

स्टेटिस्टा कंज्यूमर ने हाल ही में चुनावी मुद्दों की जानकारी पाने के लिए शहरी इलाकों में 24 हजार उपभोक्ताओं का ऑनलाइन सर्वे किया। इसमें 52 फीसदी उपभोक्ताओं ने बेरोजगारी को अहम चुनावी मुद्दा माना। सरकार कुछ भी कहे, उसे भी इस बात का अहसास है कि रोजगार का मुद्दा गंभीर है और इसीलिए एक साल पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने करीब 10 लाख सरकारी नौकरियों के लिए भर्ती की प्रक्रिया शुरू की थी।

उल्लेखनीय है कि स्टेटिस्टा एक ऑनलाइन पोर्टल है, जो वैश्विक डिजिटल अर्थव्यवस्था, औद्योगिक क्षेत्रों, उपभोक्ता बाजारों, जनमत, मीडिया और व्यापक आर्थिक विकास पर डेटा प्रदान करता है।

बीजेपी कह रही है कि ऐसे मिलेगा रोजगार का मौका

बीजेपी के घोषणापत्र में क्या होता है यह तो समय बताएगा लेकिन उसने यह बताना शुरू कर दिया है कि भारत के युवाओं को देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में कैसे रोजगार के अवसर मिलने वाले हैं। आज भारत में विज्ञान, प्रौद्योगिकी और गणित के जानकार अंग्रेजी बोलने वाले युवाओं की संख्या सबसे अधिक है। बार्कलेज की रिपोर्ट के मुताबिक, 2023 से 2027 के बीच ऑटोमेशन के कारण दुनिया भर में 85 मिलियन नौकरियां खत्म हो जाएंगी, जबकि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, फिनटेक और ई-कॉमर्स में 69 मिलियन नौकरियां पैदा होंगी।

भारत इन नौकरियों के लिए सबसे बड़ा मानव संसाधन आपूर्तिकर्ता होगा। बार्कलेज पीएलसी एक वैश्विक वित्तीय सेवा कंपनी है, जो व्यक्तिगत और व्यावसायिक बैंकिंग, थोक और वाणिज्यिक बैंकिंग के साथ-साथ निजी और निवेश बैंकिंग समाधान पेश करती है।

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