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India News (इंडिया न्यूज), Karpoori Thakur: अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन समापन होते ही अगले दिन मोदी सरकार ने जननायक कर्पूरी ठाकुर को मरणोपरांत भारत रत्न देने का ऐलान कर सियासी दांव खेला है। बता दें कि यह निर्णय कर्पूरी ठाकुर की जयंती के 100 साल पूरा होने के ठीक एक दिन पहले लिया गया। बीजेपी सरकार के इस फैसले से विपक्ष बौखला गई है। ऐसा माना जा रहा है कि मोदी सरकार ने कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न से नवाज कर बिहार की राजनीति में बड़ी लकीर खींच दी है।
वहीं, लोकसभा चुनाव से पहले नीतीश सरकार ने जातीय जगनणना और आरक्षण के दायरे को बढ़ाकर देश की राजनीति में चेहरा उपर करने के कवायद में लगे थे। बिहार की राजनीति का गेम चेंजर कहा जाने वाला नीतीश इन दो मुद्दों के बलबूते राम मंदिर के माहौल को काउंटर करने की फिराक में जुटे थे। लेकिन मोदी सरकार की कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न से नवाजे जाने के फैसलों से बिहार में महागठबंधन को मुश्किलों में डाल दिया है।
जननायक कर्पूरी ठाकुर जी को मरणोपरांत घोषित भारत रत्न दरअसल ‘सामाजिक न्याय’ के आंदोलन की जीत है, जो दर्शाती है कि सामाजिक न्याय व आरक्षण के परंपरागत विरोधियों को भी मन मारकर अब पीडीए के 90% लोगों की एकजुटता के आगे झुकना पड़ रहा है।
PDA की एकता फलीभूत हो रही है। #PDA_हराएगा_NDA pic.twitter.com/C4BjxfBXCv
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) January 23, 2024
इस पर महागठबंधन के नेता और सपा का अध्यक्ष अखिलेश यादव ने एक्स पर ट्वीट कर कहा कि जननायक कर्पूरी ठाकुर जी को मरणोपरांत घोषित भारत रत्न दरअसल ‘सामाजिक न्याय’ के आंदोलन की जीत है, जो दर्शाती है कि सामाजिक न्याय व आरक्षण के परंपरागत विरोधियों को भी मन मारकर अब पीडीए के 90% लोगों की एकजुटता के आगे झुकना पड़ रहा है।
इस तरह की प्रतिक्रियाओं से कहीं न कहीं लगता है कि कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न से नवाजे जाने को लेकर सियासी हलचल मच गया है। पहले राम मंदिर का उद्घाटन और रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने पर विपक्ष ने जातिगत भेदभाव के बयानबाजी की। अब जननायक कर्पूरी ठाकुर को मरणोपरांत भारत रत्न देने की घोषणा होने पर बौखला गई है। वहीं, बीजेपी खुद को वोटों का असली हकदार बता दिया। इस तरह बीजेपी ने एक फैसले से दो शिकार किए हैं।
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