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India News (इंडिया न्यूज), अजीत मेंदोला, नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव में आखिकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सूट बूट की एंट्री हो ही गई। यह एंट्री कराई रायबरेली के कांग्रेस उम्मीदवार राहुल गांधी ने। पिछली बार भी राहुल ने ही पीएम पर दस लाख का सूट पहनने को मुद्दा बनाया था। राहुल ने आज अपने चुनाव प्रचार के लिए रायबरेली में जनसभाएं की। उन जनसभाओं में जुटी भीड़ को राहुल गांधी ने समझाया कि प्रधानमंत्री को ढाई लाख की सेलरी में मिलती और दिन भर में 50 से 60 हजार की लागत से बनने वाले तीन तीन सूट बदलते है। इस हिसाब से डेढ़ लाख के सूट रोज अलग अलग बनाने के लिए पैसा कहां से आता है। जबकि एक सूट को दोबारा नहीं पहनते। राहुल ने वहां उमड़ी भीड़ को दो बातें विशेष रूप से समझाई। एक तो मोदी ने गरीबों के लिए कुछ नहीं किया। दूसरा मीडिया ने कांग्रेस का साथ नहीं दिया।
राहुल और पूरी कांग्रेस के रवैए से ऐसा लगता है कि उनकी पार्टी को मीडिया ने ही कमजोर किया। केरल से लेकर राजस्थान,मध्यप्रदेश,छत्तीसगढ़ सब मीडिया ने हराए। संगठन कमजोर हुआ तो शायद इसके लिए भी मीडिया ही जिम्मेदार था। राहुल को उनके रणनीतिकारों ने यह समझा दिया है कि इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया ने ही कांग्रेस को कमजोर किया है। इसलिए पूरी कांग्रेस जब भी मौका मिलता अपनी गलती देखने के बजाए मीडिया को निशाना बनाने से नहीं चूकती है। इसलिए रणनीतिकारों ने राहुल को यूट्यूबरो पर ही भरोसा करने को कहा है। उनके ही भरोसे कांग्रेस चुनाव भी लड़ रही है।
राहुल गांधी कमजोर होते अपने मीडिया विभाग को शायद नहीं समझ पा रहे हैं। जयराम रमेश मीडिया विभाग के मुखिया हैं। कई प्रवक्ता पार्टी छोड़ चुके हैं। शुरुआत सोनिया गांधी के करीबी रहे टाम बड्डकन ने की थी। मतलब कहीं ना कहीं मीडिया विभाग में कुछ ना कुछ तो गड़बड़ है। लेकिन राहुल जितना प्रधानमंत्री मोदी पर हमला बोलते उतना ही मीडिया को कोसते।
राहुल रायबरेली की जनसभाओं में अपने 15 से 20 मिनट के भाषण में जितनी बार पीएम पर हमला बोलते उतनी बार मिडिया पर तंज कसते। उनके भाषण से ऐसा झलकता कि मीडिया ही मोदी को जिताता है। वह भूल गए 2014 के लोकसभा चुनाव कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार ने कराए थे। उस समय कांग्रेस की सबसे ज्यादा छवि आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल और उनकी सोशल मीडिया की टीम ने की थी जो आज कांग्रेस के साथ है। बाद में इसमें बीजेपी भी शामिल हो गई। मतलब सोशल मीडिया ने ही कांग्रेस को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया था। 2019 के चुनाव में राहुल गांधी ने खुद मुद्दे तय किए थे। चौकीदार चोर, दस लाख के सूट जैसे। जिन्हे जनता ने स्वीकारा नहीं। इसके अब राहुल गांधी ने अडानी और अंबानी का मुद्दा खुद सेट किया हुआ है।
हालांकि लोकसभा चुनाव की घोषणा के साथ मुद्दा गायब हो गया था। लेकिन तेलंगाना की एक रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कांग्रेस पर लेन देन का तंज कसने के बाद फिर अडानी अंबानी मुद्दा बन गए। आज राहुल ने फिर कहा की पीएम अडानी अंबानी को पैसे देते है और वह उनसे विदेशों में जमीन खरीदते है। लेकिन कांग्रेस ऐसा नहीं करेगी। किसान और गरीब को पैसा मिलेगा। जनसभाओं में उनकी बहन साए की तरह साथ रही। उन्होंने अपनी बहन की तारीफ भी की वह उनके लिए दिन रात एक किए हुए हैं।
हालांकि राहुल आम जन के लिए की जाने वाली हर घोषणा से पहले प्रधानमंत्री मोदी को टारगेट करते फिर मीडिया पर तंज कसते कहते ये कुछ नहीं दिखाएंगे। राहुल गांधी ने रायबरेली में आरक्षण पर बोलने से परहेज किया। उन्होंने बताया कि 4 जून को इंडी गठबंधन सरकार के बनते ही देश की गरीब 36 लाख महिलाओं को 1 जुलाई से 8500 रुपए देने शुरू कर दिए जायेंगे। एक लाख रुपए साल 36 लाख महिलाओं को मिलेगा। इस पर बीजेपी सवाल उठा चुकी है 36 लाख करोड़ जैसी राशि कहां से आएगी। 33 लाख युवाओं को 1 जुलाई को नौकरी दे दी जाएगी। पेपर लीक के लिए कानून बनाया जायेगी। जब मोदी अडानी अंबानी जैसे 22 उद्योगपतियों का करोड़ों का कर्जा माफ कर सकते हैं तो हम किसानों का कर्जा माफ करेंगे।
राहुल ने जब जब इन मुद्दों पर बात की तो कहते में मीडिया ने यूपीए शासन में किए कर्जा माफी की आलोचना की। मनरेगा की आलोचना की। कोरोनो को लेकर मोदी सरकार पर हमला बोला तो मिडिया को भी निशाने पर रखा। जब पीएम बोलते ताली बजाओ तो मिडिया तारीफ करता। फिलहाल राहुल का फोकस रायबरेली और अमेठी को जिताने पर है। उनकी बहन प्रियंका गांधी ने बकायदा वहां डेरा डाला हुआ है और वह वहां पर काफी लोकप्रिय भी हैं।
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