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Indore में सब्जीवाले की बेटी बनी Civil Judge

इंडिया न्यूज़, इंदौर : इंदौर में सब्जी का ठेला लगाने वाले की बेटी सिविल जज (Civil Judge) बन गई। यह खुशखबरी सबसे पहले अंकिता नागर ने अपनी मां को दी। अंकिता नागर (Ankita Nagar) की मां ठेले पर सब्जी बेच रही थी। जिसके बाद वो अपने रिजल्ट का प्रिंटआउट लेकर मां के पास पहुंची और […]

BY: India News Desk • UPDATED :
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इंडिया न्यूज़, इंदौर : इंदौर में सब्जी का ठेला लगाने वाले की बेटी सिविल जज (Civil Judge) बन गई। यह खुशखबरी सबसे पहले अंकिता नागर ने अपनी मां को दी। अंकिता नागर (Ankita Nagar) की मां ठेले पर सब्जी बेच रही थी। जिसके बाद वो अपने रिजल्ट का प्रिंटआउट लेकर मां के पास पहुंची और बोली मम्मी मैं जज बन गई। अंकिता ने बताया कि उसका रिजल्ट एक हफ्ता पहले ही आ गया था लेकिन परिवार में मौत हो जाने के कारण सभी इंदौर से बाहर थे।

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जिस कारण वो घर में किसी को कुछ नहीं बता पाई। अंकिता नागर ने सिविल जज एग्जाम के कोर्ट में 5वां स्थान हासिल किया। अंकिता ने बताया कि उसके घर में सभी सब्जी बेचने का काम करते हैं। पापा सुबह 5 बजे मंडी चले जाते हैं। मम्मी भी 8 बजे पापा के ठेले पर सब्जी बेचने चली जाती हैं। बड़ा भाई रेत मंडी में मजदूरी करता है और छोटी बहन की शादी हो चुकी है।

हर रोज की 8 घंटे पढ़ाई : अंकिता 

अंकिता ने बताया कि वह हर रोज 8 घंटे पढ़ाई करती है। शाम को ठेले पर मां के साथ सब्जी बेचने चली जाती थीं। रात 10 बजे दुकान बंद कर घर आकर रात 11 बजे से पढ़ाई करना शुरू कर देती।

उधार पैसे लेकर कॉलेज की फीस भरी

Sabziwala's daughter became Civil Judge in Indore

Indore में सब्जीवाले की बेटी बनी Civil Judge

अंकिता ने बताया कि उसने सबसे पहले यह खुशखबरी अपनी मम्मी को दी। अंकिता ने बताया कि 2017 में उन्होंने इंदौर के वैष्णव कॉलेज से एलएलबी (LLB) किया। 2021 में एलएलएम की परीक्षा पास की। अंकिता ने बताया कि उसके पिता उधार पैसे लेकर उनकी कॉलेज की फीस भरते थे। कॉलेज के बाद वो सिविल जज की तैयारी में जुट गई। दो बार सिलेक्शन नहीं हुई। माता-पिता ने हौंसला दिया ।

आज जैसे ही रिजल्ट आया पहले खुशखबरी माता-पिता को दी। अंकिता ने अपने अनुभव को साझा करते हुए कहा कि अगर आपके नंबर कम-ज्यादा आ रहे हैं तो आपको हौंसला रखना चाहिए। नए सिरे से कोशिश करनी चाहिए। सफलता जरूर मिलेगी।

काफी मुश्किलों में की पढ़ाई

अंकिता ने बताया कि उसके घर में छोटे-छोटे कमरे हैं। गर्मी में छत का शैड तपने लग जाता है। पसीने से किताबें गीली हो जाती थीं। बारिश में पानी टपकता था। गर्मी में मजदूरी के पैसे बचाकर कूलर खरीदा। परिवार ने मेरे लिया इतना किया कि मैं बता भी नहीं सकती। उनकी तारीफ के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं।

बेटी ने नाम रोशन कर दिया : पिता अशोक नागर

अंकिता के पिता अशोक नागर ने बताया कि हमारी बेटी ने काफी लंबे समय तक संघर्ष किया है। हमारी आर्थिक स्थिति सही नहीं है। ऐसे में कई बार उधार लेकर अंकिता की पढ़ाई जारी रखी। उसकी पढ़ाई नहीं रूकने दी। मां लक्ष्मी ने बताया कि अंकिता ने जब जज बनने की खबर सुनाई तो मेरी आंखों से आंसू छलक पड़े। काफी देर तक आंसू रुके ही नहीं।

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