Hindi News / Mahakumbh / After Becoming A Naga Sadhu They Have Their Own Clan It Is Connected With Lord Shiva

नागा साधु बनने के बाद होता है उनका गोत्र, त्याग के बाद भी क्यों होता है ऐसा भगवान शिव से जुड़ा है कनेक्शन!

Naga Sadhu: भारत में जन्म लेने वाले हर व्यक्ति का कोई न कोई कुल, गोत्र आदि होता है। सनातन धर्म में गोत्र का बहुत महत्व है।

BY: Preeti Pandey • UPDATED :
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India News (इंडिया न्यूज), Naga Sadhu: भारत में जन्म लेने वाले हर व्यक्ति का कोई न कोई कुल, गोत्र आदि होता है। सनातन धर्म में गोत्र का बहुत महत्व है, गोत्र का अर्थ है इंद्रिय क्षति से रक्षा करने वाला यानि ऋषि। आमतौर पर गोत्र को ऋषि परंपरा से संबंधित माना जाता है। वहीं ब्राह्मणों के लिए गोत्र का विशेष महत्व है, क्योंकि मान्यता है कि हर ब्राह्मण ऋषिकुल से संबंध रखता है। जानकारी के अनुसार गोत्र परंपरा प्राचीन काल के 4 ऋषियों से शुरू हुई, जिसमें अंगिरा, कश्यप, वशिष्ठ और भगु ऋषि शामिल हैं। कुछ समय बाद जमदग्नि, अत्रि, विश्वामित्र और अगस्त्य मुनि भी इसमें शामिल हो गए। अगर इसे ऐसे समझें तो गोत्र का मतलब एक तरह की पहचान है।

कुछ समय बाद इस वर्ण व्यवस्था ने जाति व्यवस्था का रूप ले लिया, तब से यह जाति व्यवस्था एक पहचान के रूप में शामिल हो गई। ये तो हुई आम लोगों के गोत्र की बात, लेकिन क्या आप जानते हैं कि नागा साधुओं का भी एक गोत्र होता है, जबकि वो सब कुछ त्याग देते हैं। आइए जानते हैं इसका नाम क्या है और ये कैसे तय होता है?

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Naga Sadhu: नागा साधु बनने के बाद होता है उनका गोत्र

नागा साधुओं का गोत्र क्या होता है?

जो साधु-महात्मा होते हैं, परंपरा के अनुसार उनका भी एक गोत्र होता है। जबकि वो इस सांसारिक मोह-माया को त्याग चुके होते हैं। उन्होंने आगे बताया कि श्रीमद्भागवत के चतुर्थ स्कंद के अनुसार जो साधु-संत सब कुछ त्याग चुके होते हैं, ऐसे में उनका गोत्र अच्युत होता है, क्योंकि मोह-माया त्यागने के बाद वो सीधे भगवान से जुड़ जाते हैं।

चूंकि नागा साधु भी भगवान शिव के उपासक होते हैं और वो सब कुछ त्याग कर सिर्फ भगवान की भक्ति में लीन रहते हैं। ऐसे में उनका गोत्र भी अचूक होता है।

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अगर किसी को अपना गोत्र नहीं पता तो क्या होगा?

किसी ब्राह्मण को अपना गोत्र नहीं पता तो वह कश्यप गोत्र बोल सकता है क्योंकि कश्यप ऋषि ने एक से अधिक विवाह किए थे और उनके कई पुत्र थे जिनके अनुसार उनके गोत्र होते हैं। कई पुत्र होने की स्थिति में ऐसा व्यक्ति जिसे अपना गोत्र नहीं पता हो उसे कश्यप ऋषि के कुल का माना जाता है। साधु-संत अक्सर लोगों को यह गोत्र बता देते हैं जिसके बाद व्यक्ति विधि-विधान से पूजा-पाठ कर पाता है।

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