Hindi News / Mahakumbh / Trembling Voices Of Chanting Mantras Resonating Damru Aghora Tantra Sadhana Of Kinnar Sadhus In Maha Kumbh

मंत्रोच्चार की कांपती आवाजें, गूंजता डमरू, महाकुंभ में मौजूद किन्नर साधुओं की अघोर तंत्र साधना, क्या है रहस्य!

Mahakumbh 2025: प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान किन्नर अखाड़े में तंत्र विधान के अनुसार अघोर काली पूजा की गई।

BY: Preeti Pandey • UPDATED :
Advertisement · Scroll to continue
Advertisement · Scroll to continue

India News (इंडिया न्यूज), Mahakumbh 2025: प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान किन्नर अखाड़े में तंत्र विधान के अनुसार अघोर काली पूजा की गई, जिसमें नए साधकों को दीक्षा दी गई। तमिलनाडु से आईं अघोर साधना गुरु महामंडलेश्वर मणि कांतन ने पूजा संपन्न कराई। जनवरी की सर्द रात, महाकुंभ का समय और किन्नर अखाड़े में खुले आसमान के नीचे मानव खोपड़ियों पर जलते दीप और हवन कुंड में धधकती ज्वाला इन सबके बीच डमरू की गूंज और कांपते होठों से निकलते मंत्रों के बीच किन्नर अखाड़े की अघोर काली साधना की गई।

तांत्रिक परंपराओं का अहम हिस्सा

किन्नर अखाड़े से जुड़े नए साधकों को दीक्षा दी गई। यह पूजा किन्नर अखाड़े की तांत्रिक परंपराओं का अहम हिस्सा है। बड़े से हवन कुंड के चारों ओर दीपों से सजी मानव खोपड़ियां, गूंजता डमरू और मंत्रोच्चार की कांपती आवाजें माहौल को रहस्यमय और आध्यात्मिक बना रही थीं। तमिलनाडु से आए महामंडलेश्वर मणि कंतन ने इस पूजा का संचालन किया। अपने शिष्यों को दीक्षा देते हुए उन्होंने अघोर साधना और इसकी परंपराओं का महत्व समझाया। मणि कंतन कहते हैं कि यह पूजा अघोर तंत्र की सात्विक पूजा है, जिसमें आस्था और साधना का अनूठा संगम होता है।

Mahakumbh 2025: महाकुंभ में 60 करोड़ से ज्यादा लोगों ने लगाई आस्था की डुबकी, बरसा इतना खजाना, हिंदुओं का महा मेला देखती रह गई पूरी दुनिया

Mahakumbh 2025: मंत्रोच्चार की कांपती आवाजें

कठोर तपस्वी नागा साधुओं का इस परंपरा से होता है अंतिम संस्कार, अखाड़े के साधु करते हैं ऐसा काम!

कल्याण और समृद्धि की पूजा

महामंडलेश्वर पवित्रा मां ने बताया कि यह पूजा लोगों के कल्याण और समृद्धि के लिए की जाती है। यह तंत्र और धर्म का ऐसा संगम है जो आध्यात्मिक उन्नति के द्वार खोलता है। यह विशेष साधना आमतौर पर काशी के मणिकर्णिका घाट और कामाख्या देवी मंदिर में की जाती है, लेकिन पूर्ण महाकुंभ के दौरान इसका महत्व बढ़ जाता है। दो घंटे तक चली यह साधना किन्नर अखाड़े की विशेष परंपराओं का हिस्सा थी।

इस दौरान नए साधकों को दीक्षा दी गई और तंत्र विद्या का ज्ञान दिया गया। पूजा के बाद भक्तों को आशीर्वाद भी दिया गया। महाकुंभ का यह आयोजन न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि तंत्र विद्या और परंपरा के संरक्षण की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है। किन्नर अखाड़े की यह तांत्रिक पूजा आस्था और रहस्य का अद्भुत संगम है।

ये नागा साधु होते हैं सभी से अलग, इनके अखाड़ों में नही होता ऐसा काम, हुक्का और नशे को लेकर बनाए गए हैं कठोर नियम!

Tags:

Kinnar Akhadamahakumbh 2025
Advertisement · Scroll to continue

लेटेस्ट खबरें

Advertisement · Scroll to continue