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Manipur violence: महिलाओं के साथ बर्बरता पर केंद्र चल रहा जीरो टॉलरेंस की नीति, मणिपुर मामले में सुप्रीम कोर्ट में कही ये बातें

Shubham Pathak • LAST UPDATED : July 28, 2023, 5:32 am IST

India News (इंडिया न्यूज़),Manipur violence: मणिपुर (Manipur violence) में हो रहे दंगे ने एक अलग रूप ले लिया है। जिस प्रकार से महिलाओं के साथ वहा पर अत्याचार हो रहे है लगातार रुप से केंद्र सरकार पर सवाल खड़े हो रहे है। जिसके बाद मणिपुर में महिलाओं के साथ बर्बरता के मामले में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि, महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले में कंद्र सरकार जीरो टॉलरेंस की नीति पर चल रही है।

 पुलिस के कई नई टीमों का गठन (Manipur violence)

इस केस में अब तक सात लोगों को गिरफ्तार किया गया है। अलग-अलग जगहों से दोषियों की पहचान कर उनकी गिरफ्तारी के लिए पुलिस की कई टीमें बनाई गई हैं और अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक रैंक के एक अधिकारी को केस की जांच का काम सौंपा गया है। बता दें कि, सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं का वीडियो सामने आने के बाद मामले का स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई की थी और कहा था कि, यदि केंद्र और राज्य सरकारें कदम नहीं उठाएंगी तो वह खुद कार्रवाई करेगा। उसने दोनों सरकारों से इस मामले में उठाए जाने वाले कदमों की जानकारी भी मांगी थी। केंद्र का यह हलफनामा उसी कड़ी में पेश किया गया है।

मणिपुर सरकार ने डीओपीटी को लिखा पत्र

मिली जानकारी के अनुसार बता दें कि, केंद्र सरकार द्वारा हलफनामे में कहा गया है कि, मणिपुर सरकार ने 26 जुलाई को डीओपीटी सचिव को पत्र लिखकर इस केस को सीबीआई को सौंपने की सिफारिश की है। इसके आधार पर गृह मंत्रालय ने सीबीआई जांच का आदेश दिया है। सरकार को उम्मीद है कि जांच कम से कम समय में पूरी होगी और केस का ट्रायल भी समय पर पूरा होगा। इसके लिए केंद्र सरकार शीर्ष कोर्ट से अनुरोध करती है कि मामले की सुनवाई मणिपुर के बाहर स्थानांतरित की जाए क्योंकि सिर्फ इसी अदालत के पास केस को राज्य के बाहर स्थानांतरित करने की शक्ति है।

केंद्रीय गृह सचिव ने बताई ये बातें

बता दें कि, केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने जारी हलफनामे में कोर्ट को बताया कि, मणिपुर सरकार ने डिस्ट्रिक्ट सायकोलॉजिकल सपोर्ट टीमों का गठन किया है जो राहत शिविरों में लोगों के मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रख रही हैं। इसके अलावा दो महिलाओं के साथ जैसा हुआ, वैसी घटनाओं को रोकने के लिए अब यह अनिवार्य किया गया है कि इस तरह के हर मामले की जानकारी सीधे राज्य के पुलिस महानिदेशक को दी जाएगी। डीजीपी की निगरानी में एसपी रैंक का अधिकारी ऐसे मामलों की जांच करेगा। इस तरह के मामलों की जानकारी देने और दोषियों की गिरफ्तारी करवाने वालों को पुरस्कृत करने का भी फैसला किया गया है।

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