दुनिया के 5 सबसे अजब-गजब स्कूल
Weird Schools Around the World: हम सभी के दिमाग में स्कूलों की निश्चित छवि बनी है.एक इमारत, क्लासरूम, बेंच और ब्लैकबोर्ड. सामान्य स्कूल में भी इतना बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर होता ही है. यह ढांचा सदियों से शिक्षा प्रदान करता आ रहा है. लेकिन कल्पना कीजिए कि आपका स्कूल बाढ़ के पानी में तैर रहा हो या किसी गुफा के अंदर हो? दुनिया भर में ऐसे कई स्कूल हैं जो अपनी अजीबोगरीब बनावट, यूनीक टीचिंग मेथड या असाधारण कोर्स से शिक्षा की बुनियादी कॉन्सेप्ट को चुनौती देते हैं।
ये अजब-गजब स्कूल न केवल ज्ञान के केंद्र हैं, बल्कि इनोवेशन के साथ विषम परिस्थितियों में भी शिक्षा के प्रसार के अटूट संकल्प का प्रमाण भी है. ये अजीबोगरीब स्कूल दिखाते हैं कि शिक्षा की कोई सीमा नहीं होती, न भौगोलिक और न ही वैचारिक. ये हमें याद दिलाते हैं कि शिक्षा हमेशा दीवारों के भीतर कैद नहीं होती है. चाहे जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का समाधान हो, दूरदराज के इलाका में बच्चों तक पहुंचना हो, या शिक्षा को डेमोक्रेटिक और फ्री बनाना हो, इन स्कूलों ने पारंपरिक नियमों को तोड़ा है और नए रास्ते बनाए है.
बांग्लादेश में मानसून के मौसम में बड़े पैमाने पर आती है. जिससे लाखों बच्चों का स्कूल जाना असंभव हो जाता है. इस समस्या के समाधान के लिए एक NGO गैर-सरकारी संगठन, शिधुलाई स्वनिर्भर संस्था ने नावों को स्कूलों में बदल दिया गया है. ये स्कूल सौर ऊर्जा से संचालित होते हैं और इनमें कंप्यूटर, इंटरनेट और एक छोटा पुस्तकालय भी है. ये तैरते हुए स्कूल बच्चों को उनके गांवों के पास नदी के किनारे से लाते हैं और कक्षा के बाद उन्हें वहां छोड़ देते हैं. यह पहल सुनिश्चित करती है कि बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं के बावजूद भी बच्चों की शिक्षा बाधित न हो.
चीन के गुइझोउ प्रांत के मियाओ गांव के पास स्थित डोंगझोंग गुफा स्कूल एक अजीबोगरीब उदाहरण है. यह हज़ारों सालों में हवा बारिश और भूकंपों द्वारा बनाई गई एक विशाल प्राकृतिक गुफा के अंदर स्थापित किया गया था. यह स्कूल 1984 में खुला था और इसमें लगभग 200 छात्र और 8 शिक्षक थे. उस समय सुदूर पहाड़ी क्षेत्र के ग्रामीणों के पास स्कूल भवन बनाने के लिए संसाधनों का अभाव था. हालांकि बाद में चीनी सरकार ने ‘गुफाओं वाले समाज’ के अभाव का हवाला देते हुए इसे बंद कर दिया.
भारत के कई रेलवे स्टेशन पर आपको अजीबोगरीब प्रकार के क्लासरूम मिलेंगे. ये स्कूल इमारत में नहीं बल्कि रेलवे प्लेटफ़ॉर्म पर चलते हैं. यह पहल इंदुरजीत खुराना ने उन गरीब बच्चों और भिखारियों को बुनियादी शिक्षा प्रदान करने के लिए शुरू की थी जो स्कूल नहीं जा सकते थे. शिक्षक प्रतिदिन रेलवे प्लेटफ़ॉर्म पर आते हैं और बेघर बच्चों को पढ़ाते हैं. यह अनोखा स्कूल उन बच्चों को शिक्षा प्रदान करता है जो सड़कों पर रहते हैं और गरीबी के कारण पारंपरिक शिक्षा प्रणाली से वंचित हैं.
न्यू मेक्सिको, यूएसए में स्थित एबो एलीमेंट्री स्कूल अमेरिका का पहला पब्लिक स्कूल था, जो पूरी तरह से भूमिगत बनाया गया था. इसका निर्माण 1962 में शीत युद्ध के दौरान हुआ था, जब परमाणु हमले का खतरा बहुत ज़्यादा था. यह स्कूल न केवल एक शैक्षणिक संस्थान के रूप में बल्कि न्यूक्लियर फॉलआउट शेल्टर के रूप में भी डिजाइन किया गया था. इसकी कंक्रीट की छत बच्चों के लिए खेल के मैदान के रूप में काम करती थी, जबकि स्कूल का ज्यादातर हिस्सा जमीन के नीचे था. यह सुरक्षा और शिक्षा के मेल का एक अनूठा उदाहरण था.
पारंपरिक पाठ्यक्रम और कड़े नियम से दूर ब्रुकलिन फ्री स्कूल अपनी लोकतांत्रिक शिक्षण पद्धति के लिए मशहुर है. यहां छात्रों को अपनी कक्षा, शिक्षक और यहां तक कि नियम भी खुद बनाने की पूरी आज़ादी है. यहां कोई ग्रेडिंग प्रणाली नहीं है और कक्षा में उपस्थिति अनिवार्य नहीं है. बच्चे खुद तय करते हैं कि उन्हें क्या और कैसे पढ़ना है. यह स्कूल ‘डेमोक्रेटिक फ्री स्कूल’ आंदोलन का हिस्सा है, जो छात्रों में व्यक्तिगत स्वतंत्रता और स्व-निर्देशित शिक्षा को बढ़ावा देता है.
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