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Gajendra Singh Shekhawat: गजेंद्र सिंह शेखावत फोन टैपिंग मामले में नया मोड़, इन लोगों की बढ़ी मश्किलें

Poonam Rajput • LAST UPDATED : September 11, 2024, 9:40 am IST

Gajendra Singh Shekhawat

India News Rajasthan (इंडिया न्यूज़), Gajendra Singh Shekhawat: केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के कथित फोन टैपिंग मामले में मंगलवार को नया मोड़ आ गया है। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में राजस्थान की भजनलाल सरकार की ओर से दायर याचिका को स्वीकार कर लिया। यह मामला राज्य की पिछली गहलोत सरकार के कार्यकाल में सुप्रीम कोर्ट में दायर किया गया था। तब गहलोत सरकार ने गजेंद्र सिंह शेखावत के फोन टैपिंग से जुड़े मामले में दिल्ली पुलिस को राजस्थान में जांच करने से रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।

अब दिल्ली क्राइम ब्रांच फिर करेगी जांच

लेकिन पिछले साल राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद भजनलाल सरकार ने 20 जुलाई को गहलोत के कार्यकाल में दायर याचिका को रद्द करने की मांग की थी। जिसे मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार कर लिया। इस याचिका को मंजूरी मिलने के साथ ही दिल्ली क्राइम ब्रांच के लिए इस मामले में फिर से जांच शुरू करने का रास्ता खुल गया है।

गहलोत के ओएसडी लोकेश समेत कई की मुश्किलें बढ़ेंगी

राज्य सरकार ने राजस्थान के अतिरिक्त महाधिवक्ता शिव मंगल शर्मा की सलाह पर याचिका दायर की थी। भजन लाल सरकार की याचिका सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्वीकार किए जाने के बाद अब दिल्ली क्राइम ब्रांच इस मामले में नए सिरे से जांच शुरू करेगी। ऐसे में इस मामले में पूर्व सीएम अशोक गहलोत के ओएसडी लोकेश शर्मा समेत कई लोगों की मुश्किलें बढ़ जाएंगी।

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शेखावत ने दिल्ली क्राइम ब्रांच में दर्ज कराया था मामला

मालूम हो कि यह मामला अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली राजस्थान की पिछली सरकार के दौरान दर्ज हुआ था। उस समय इस मामले में कई दौर के राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप भी लगे थे। गजेंद्र सिंह शेखावत ने दिल्ली क्राइम ब्रांच में राजस्थान की गहलोत सरकार के खिलाफ मामला दर्ज कराया था। जिसमें उन्होंने अवैध फोन टैपिंग की बात कही थी। शेखावत ने इस मामले में दिल्ली क्राइम ब्रांच में FIR दर्ज कराई थी।

गहलोत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी

शेखावत द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर के खिलाफ गहलोत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि राजस्थान मामले की जांच का अधिकार राजस्थान के पास ही रखा जाए। दिल्ली क्राइम ब्रांच को मामले की जांच का अधिकार नहीं है। इस मामले में एक-दो सुनवाई हुई थी। लेकिन 2023 के चुनाव के बाद कांग्रेस राज्य की सत्ता से बाहर हो गई।

जिसके बाद भजनलाल सरकार ने दिल्ली क्राइम ब्रांच की जांच रोकने के लिए राज्य सरकार द्वारा दायर याचिका को वापस लेने के लिए आवेदन किया। जिसे सुप्रीम कोर्ट ने मंजूर कर लिया है।

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लोकेश शर्मा से पहले भी हो चुकी है पूछताछ

इस मामले में दिल्ली क्राइम ब्रांच पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के ओएसडी लोकेश शर्मा से कई बार पूछताछ कर चुकी है। याचिका वापस लेने के बाद अब दिल्ली क्राइम ब्रांच की जांच फिर से गति पकड़ेगी। ऐसे में लोकेश शर्मा समेत फोन टैपिंग मामले के अन्य किरदारों से भी जांच शुरू होगी।

सरकार का तर्क- राजस्थान के पास ज्यादा जांच और मामले

इस फोन टैपिंग मामले में राजस्थान सरकार ने तर्क दिया कि दिल्ली क्राइम ब्रांच द्वारा भारतीय दंड संहिता, भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम और आईटी की विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज एफआईआर संख्या 50/2021 से संबंधित कथित अपराधों की जांच और मुकदमा चलाने का अधिकार केवल राजस्थान को है।

एजी ने तर्क दिया- मुकदमेबाजी से कोर्ट का समय बर्बाद होगा

कई सुनवाई के बावजूद सुप्रीम कोर्ट में इस संबंध में कोई अंतरिम आदेश पारित नहीं हुआ। अतिरिक्त एजी शिव मंगल शर्मा ने मामले की जांच करने के बाद राजस्थान सरकार को केस वापस लेने की सलाह दी। उनकी राय में इस बात पर जोर दिया गया कि ट्रायल जारी रखने से कोर्ट का कीमती समय बर्बाद होगा।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के साथ ही मामला खत्म हो गया

नतीजतन, सिविल प्रक्रिया संहिता के आदेश 23 नियम 1 के तहत केस वापस लेने की अनुमति मांगने के लिए एक आवेदन दायर किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार करने के बाद याचिका स्वीकार कर ली और मामला खत्म हो गया।

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2020 में सामने आया था फोन टैपिंग का मामला

साल 2020 में राजस्थान में पूर्व की अशोक गहलोत सरकार में फोन टैपिंग का मुद्दा सामने आया था। इस मामले में गजेंद्र सिंह शेखावत और अशोक गहलोत दोनों आमने सामने आए थे। जिसमें गजेंद्र सिंह शेखावत ने साल 2021 में दिल्ली हाईकोर्ट में अशोक गहलोत और उनके तत्कालीन OSD लोकेश शर्मा के खिलाफ मामला दर्ज कराया था।

जांच के लिए दिल्ली पुलिस राजस्थान आई थी

उस समय मामला दर्ज होने के बाद दिल्ली पुलिस की एक टीम जांच के लिए राजस्थान आई थी, जिसे राज्य सरकार ने रोक दिया था। वहीं, इस जांच को रोकने के लिए अशोक गहलोत की सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। जिस पर आज तक सुनवाई नहीं हो सकी।

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