Gambhir vs Dravid vs Shastri
India Coaching Era Comparison: गुवाहाटी में हुए दूसरे टेस्ट की शर्मनाक हार – जिसमें भारत 549 रन के लक्ष्य के जवाब में सिर्फ 140 पर ढेर हो गया – ने टीम की मौजूदा हालत को आइने की तरह साफ़ कर दिया है. यह सिर्फ एक मैच नहीं था, बल्कि पिछले कुछ वर्षों में टीम की टेस्ट पहचान कैसे बदल गई है, इसका संकेत भी था. जैसे ही भारत ने घरेलू मैदान पर 408 रनों के अंतर से अपना टेस्ट इतिहास का सबसे बड़ा पराजय झेला, चर्चा एक बार फिर मौजूदा कोचिंग सेटअप पर टिक गई. ऐसे में अब तुलना स्वाभाविक है, ख़ास तौर पर रवि शास्त्री, राहुल द्रविड़ और गौतम गंभीर के दौर की.
तीनों के दौर की अलग-अलग कहानियां है जिनपर एक बार नज़र डालना ज़रूरी है. नीचे लेख में तीनों की तुलना की गई है:
हेड कोच के तौर पर रवि शास्त्री के समय में, भारत के कुछ सबसे अच्छे टेस्ट नतीजे आए. भारत ने उनकी अगुवाई में 46 टेस्ट खेले और 28 जीते, जिससे उनका जीत का प्रतिशत 60.87% रहा, जो हाल के कोचों में सबसे ज़्यादा है. उनके कार्यकाल में ऑस्ट्रेलिया में दो ऐतिहासिक टेस्ट सीरीज़ जीतना और नंबर 1 टेस्ट टीम के तौर पर लंबे समय तक बने रहना शामिल था.
शास्त्री के दौर में गेंदबाजी की भी मिसाल कायम हुई, जिसमें उन्होंने जसप्रीत बुमराह, मोहम्मद शमी और मोहम्मद सिराज जैसे खिलाड़ियों का इस्तेमाल कर मजबूत आक्रमण तैयार किया. उनके दौर में बल्लेबाजी क्रम भी ठोस रहा, जिसकी रीढ़ चेतेश्वर पुजारा, विराट कोहली, अजिंक्य रहाणे जैसे बैटर थे.
भारत ने विदेशों में भी अच्छा प्रदर्शन किया और मुश्किल हालात में कड़ी मेहनत करने के लिए जाना जाने लगा. इन नतीजों ने ऊंचे मुक़ाम तय किए, जिनके आधार पर उसके बाद हर कोच को आंका गया.
शास्त्री के बाद, राहुल द्रविड़ आए और उन्होंने भारत की टेस्ट टीम को मजबूत बनाना जारी रखा. द्रविड़ की अगुवाई में भारत ने जो 24 टेस्ट खेले, उनमें से टीम ने 14 जीते और 7 हारे. 58% के जीत प्रतिशत के साथ अच्छे जीत-हार के रिकॉर्ड ने स्थिरता दिखाई.
भारत ने घर पर सीरीज़ जीती, बांग्लादेश को बाहर हराया और वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में जगह बनाई. हालांकि भारत वह फाइनल हार गया, लेकिन द्रविड़ के कुल टेस्ट नतीजों ने टीम को एक स्थिर नींव दी.
राहुल द्रविड़ का दौर भी बेहतर रहा, जिसमें उनका बैटिंग-बॉलिंग आर्डर काफी प्रभावशाली रहा.
जब गंभीर हेड कोच बने, तो उनसे बहुत उम्मीदें थीं. उनके साफ़ क्रिकेट आइडिया और हेड कोच के तौर पर बड़े टूर्नामेंट जीतने से लोगों को उम्मीद थी कि वह टेस्ट क्रिकेट में कुछ हिम्मत लाएंगे. और अब तक, नतीजे निराशाजनक रहे हैं.
गंभीर की अगुवाई में 19 टेस्ट में, भारत ने सिर्फ़ 7 जीते हैं, 10 हारे हैं और 2 ड्रॉ किए हैं. उनका 36.82% जीत का प्रतिशत भारत के हाल के टेस्ट कोचों में सबसे कम है. उनके समय का सबसे चौंकाने वाला पल न्यूज़ीलैंड से 3-0 की घरेलू हार थी, जिसने भारत के घर पर लंबे समय से चले आ रहे हार के सिलसिले को तोड़ दिया.
भारत बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में भी 3 मैच हार गया. भले ही इंग्लैंड सीरीज़ 2-2 से बराबर रही, लेकिन भारत अहम मौकों पर कंट्रोल नहीं कर पाया. अब, भारत साउथ अफ्रीका के खिलाफ घरेलू टेस्ट सीरीज़ भी हार गया है, जिससे कोच गंभीर की चिंताएं और बढ़ गई हैं.
गौतम गंभीर के दौर में न केवल बल्लेबाजी ख़राब हुई है, बल्कि स्पिन गेंदबाज़ी का स्तर भी काफी नीचे चला गया है. इसका नतीजा ये हुआ की हम पहले नूज़ीलैंड से अपने ही घर में स्पिन विकेट पर सीरीज 3-0 से हार गए. हमारी परिस्थितियों का नूज़ीलैंड के स्पिन गेंदबाजों ने जहां भरपूर फायदा उठाया वहीं हमारे स्पिनर कमतर साबित हुए. अब लगभग यही हाल दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ हालिया मुकाबले में हुआ है. कोच गौतम गंभीर सही प्लेइंग 11 तक नहीं चुन पाए और उनकी हर रणनीति फेल रही.
Dhurandhar Movie Review: अदित्य धर की फिल्म 'धुरंधर' आज 5 दिसंबर को बड़े पर्दे पर…
IPL 2026: आईपीएल 2026 में कुछ विदेशी खिलाड़ी सिर्फ कुछ ही मैचों के लिए उपलब्ध…
Dhurandhar Second Part: बॉलीवुड एक्टर रणवीर सिंह (Ranveer Singh) की फिल्म “धुरंधर” आज सभी सिनेमा…
सूरत (गुजरात) [भारत], दिसंबर 5: शहर की उभरती शतरंज प्रतिभा और डीपीएस सूरत की कक्षा 2…
Team India ODI Record At Vizag: भारत और साउथ अफ्रीका विशाखापत्तनम में तीसरा वनडे मैच…
Delhi Traffic Restrictions: रुस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा के कारण दिल्ली के…