जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम के वेटलिफ्टिंग ऑडिटोरियम में रविवार को ज़बरदस्त तालियों की गूंज सुनाई दी, जब पंजाब की जसप्रीत कौर ने Khelo India Para Games 2025 में पावरलिफ्टिंग में नया राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया। 30 वर्षीय जसप्रीत ने 45 किग्रा वर्ग में 101 किग्रा भार उठाकर अपने ही पिछले रिकॉर्ड (100 किग्रा, 16 मार्च 2025) को तोड़ दिया।
लेकिन जसप्रीत की सफलता की यह कहानी सिर्फ रिकॉर्ड बनाने तक सीमित नहीं है। कभी 80 किग्रा वजन वाली एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर, जसप्रीत ने 40 किग्रा वजन कम कर न केवल अपनी फिटनेस सुधारी, बल्कि पावरलिफ्टिंग में राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना ली। अब उनका लक्ष्य 2028 लॉस एंजेलेस पैरालंपिक्स में भारत के लिए पदक जीतना है।
जसप्रीत कौर
2020 में, जब जसप्रीत अपनी सॉफ़्टवेयर इंजीनियरिंग की नौकरी कर रही थीं, तो उन्हें डॉक्टरों ने एक चेतावनी दी – “आपकी रीढ़ की हड्डी पर अधिक दबाव पड़ रहा है, अगर आपने वजन कम नहीं किया, तो आपको व्हीलचेयर की जरूरत पड़ सकती है।”
“डॉक्टरों की बात मेरे लिए वेक-अप कॉल थी। मैं 80 किलो की थी और लंबे समय तक बैठकर काम करना मेरी सेहत के लिए खतरनाक साबित हो रहा था। मैं डर गई थी कि कहीं मैं चलने-फिरने में असमर्थ न हो जाऊं।” – जसप्रीत ने SAI मीडिया को बताया। जसप्रीत बचपन में पोलियो से प्रभावित थीं, जिससे उनकी एक टांग कमजोर थी। वजन अधिक होने के कारण उनकी स्पाइन पर दबाव बढ़ रहा था, जिससे वे संतुलन खोने लगी थीं। इस डर ने उन्हें जीवनशैली में बड़ा बदलाव लाने के लिए प्रेरित किया।
“मैंने ठान लिया था कि मुझे वजन कम करना ही है। लेकिन मैंने कोई फैंसी डाइट या जिम नहीं अपनाया। मैं खुद अपनी न्यूट्रीशनिस्ट बनी और एक संतुलित आहार अपनाया।”
फिटनेस यात्रा: फास्ट फूड और शुगर पूरी तरह छोड़ी, दिन में दो बार गुनगुना पानी पीना शुरू किया, देसी घी और पोषणयुक्त आहार को प्राथमिकता दी, चार बार संतुलित भोजन लिया, कभी भूखी नहीं रही ।
“मुझे समझ आया कि भूखा रहना सेहत के लिए नुकसानदायक होता है। सही खानपान और अनुशासन से ही फिट हुआ जा सकता है।”
2020 में अपनी इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़ने के बाद जसप्रीत ने UPSC की तैयारी शुरू की। मात्र 7 महीनों में उन्होंने प्री-एग्जाम पास कर लिया, लेकिन इसी दौरान उन्होंने पैरालंपिक खेलों के बारे में अखबारों में पढ़ा।
फिर उन्होंने पंजाब के प्रसिद्ध पैरा-पावरलिफ्टर्स राजिंदर सिंह रहेलू और परमजीत कुमार से संपर्क किया। “उनकी कहानियां सुनकर मैं प्रेरित हुई और पावरलिफ्टिंग को आज़माने का फैसला किया।” उनका पहला राष्ट्रीय मुकाबला 2022 में हुआ, जहां उन्होंने 70 किग्रा भार उठाकर गोल्ड मेडल जीता। यह प्रदर्शन उन्हें गुजरात के SAI (स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया) गांधीनगर सेंटर तक ले गया, जहां उन्होंने पेशेवर प्रशिक्षण प्राप्त किया।
जसप्रीत ने अपनी सफलता का पूरा श्रेय अर्जुन अवार्डी और 2004 एथेंस पैरालंपिक्स के ब्रॉन्ज मेडलिस्ट राजिंदर सिंह रहेलू को दिया। “राजिंदर सर ने मुझे हर कदम पर गाइड किया। मैंने उनकी हर सलाह को बिना किसी सवाल के फॉलो किया और इसका नतीजा यह है कि मैं आज राष्ट्रीय चैंपियन हूं।” SAI गांधीनगर ने जसप्रीत को बेहतर डाइट और अनुशासित ट्रेनिंग का माहौल दिया, जिससे वे अपने लक्ष्य की ओर लगातार आगे बढ़ती रहीं।
जसप्रीत अब 2026 बैंकॉक पैरा एशियन गेम्स और 2028 लॉस एंजेलेस पैरालंपिक्स की तैयारी कर रही हैं। “मेरा सपना है कि मैं भारत के लिए ओलंपिक स्तर पर मेडल जीतूं और अपने कोच के नक्शेकदम पर चलूं।” इसके साथ ही, जसप्रीत फिट इंडिया साइक्लिंग मिशन का भी हिस्सा हैं और “फाइट अगेंस्ट ओबेसिटी” (मोटापे के खिलाफ लड़ाई) अभियान का समर्थन करती हैं।
“ओवरवेट व्यक्ति आत्मविश्वास खो देता है। मैं भी खुद को लोगों से दूर रखती थी। लेकिन अब मैं मजबूत महसूस करती हूं। मुझे किसी सहारे की जरूरत नहीं, मैं खुद अपने पैरों पर चल सकती हूं और देश के लिए पदक जीत सकती हूं!”
Khelo India Para Games 2025 में जसप्रीत कौर की रिकॉर्ड-तोड़ जीत सिर्फ एक खेल उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह आत्म-परिवर्तन और दृढ़ संकल्प की मिसाल है। उनकी कहानी यह साबित करती है कि चुनौतियों से डरने की बजाय, उन्हें हराकर अपने सपनों को साकार किया जा सकता है। जसप्रीत अब भारत की अगली पैरालंपिक स्टार बनने की राह पर हैं, और आने वाले वर्षों में उनकी इस यात्रा को देखना बेहद रोमांचक होगा।