Delhi-NCR Air Pollution Effect On DNA
Delhi-NCR Air Pollution Effect On DNA: दिल्ली-एनसीआर में खराब वायु गुणवत्ता की वजह से लोगों को सांस लेने में कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इसके अलावा खराब वायु की वजह से लोगों को आंखों में जलन, गले में समस्या जैसे कई गंभीर बीमारियों से लड़ना पड़ रहा है. ज़हरीली हवा में मौजूद मुक्त कण हमारे डीएनए को क्षतिग्रस्त करके म्यूटेशन करने का काम करते हैं, जिससे ट्यूमर सप्रेसर जीन निष्क्रिय (Gene Inactive) हो जाते हैं और फिर फेफड़ों में कैंसर का खतरा तेज़ी से बढ़ने लगता है.
प्रदूषित हवा में मौजूद ज़हरीले प्रदूषक (Toxic Pollutants) न सिर्फ हमारे स्वास्थ्य को पूरी तरह से प्रभावित करते हैं, बल्कि वे हमारे शरीर की सबसे ज्यादा बुनियादी इकाई डीएनए को भी बदलकर (Mutate) अगली पीढ़ियों के स्वास्थ्य को गंभीर रूप से खतरे में डालने का काम करती है.
प्रदूषित हवा में कई हानिकारक कण (जैसे PM 2.5, ओज़ोन, नाइट्रोजन ऑक्साइड और पॉलीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन – PAHs) पूरी तरह से मौजूद होते हैं, ये प्रदूषण फेफड़ों में पहुंचकर रक्तप्रवाह में शामिल हो जाते हैं और फिर डीएनए को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाने का काम करते हैं.
ज़हरीली हवा शरीर में मुक्त कणों यानी (Free Radicals) के उत्पादन को तेज़ी से बढ़ाने का काम करती है. दरअसल, यह मुक्त कण डीएनए की संरचना पर भी एक तरह से हमला करने का भी काम करते हैं, जिससे हमारे डीएनए के बेस (Adenine, Thymine, Guanine, Cytosine) पूरी तरह से बदलने की कोशिश करते हैं या फिर क्षतिग्रस्त हो जाते हैं. इसी को उत्परिवर्तन (Mutation) भी कहते हैं.
दरअसल, यह डीएनए का सीधा बदलाव नहीं है, बल्कि यह नियंत्रित करने का काम भी करता है. कौन से जीन कब ऑन (On) या ऑफ (Off) होंगे. प्रदूषक, डीएनए के पैकेजिंग प्रोटीन (Histones) और डीएनए मिथाइलेशन पैटर्न को भी पूरी तरह से बदल देता है. इससे महत्वपूर्ण सुरक्षात्मक जीन (जैसे ट्यूमर सप्रेसर जीन) ‘ऑफ’ हो सकते हैं और रोग-संबंधी जीन ‘ऑन’ हो सकते हैं.
DNA उत्परिवर्तन और फेफड़ों का कैंसर प्रदूषण की वजह से होने वाले डीएनए उत्परिवर्तन फेफड़ों के कैंसर का एक प्रमुख कारण हैं. जब प्रदूषक ट्यूमर सप्रेसर जीन (Tumor Suppressor Genes) (जैसे $p53$ जीन) को पूरी तरह से निष्क्रिय कर देते हैं, तो कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं.
जिसपर वैज्ञानिकों ने पाया है कि $PM 2.5$ के कण सीधे फेफड़ों की कोशिकाओं को खराब करने की कोशिश करते हैं और साथ ही उन उत्परिवर्तनों को सक्रिय करते हैं जो कैंसर कोशिकाओं के विकास को बढ़ावा देने का काम करते हैं.
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