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लाखों खर्च कर पहुंचे America, बेड़ियों में कैद लौटे वापस, Haryana के इस शख्स ने बयां की दर्दभरी आपबीती

Haryana Youth Deported From USA: अमेरिका जाने का सपना कई भारतीय युवाओं के लिए आज भी बेहतर जिंदगी और सुनहरे भविष्य की उम्मीद से जुड़ा होता है.  लेकिन हर सपना हकीकत में नहीं बदलता कुछ सपने टूटकर ज़िंदगीभर का सबक दे जाते हैं. हरियाणा के अंबाला जिले के जगोली गांव के हरजिंदर सिंह की कहानी भी कुछ ऐसी ही है. रोजगार की तलाश में अमेरिका पहुंचे हरजिंदर का सपना वहां की सख्त नीतियों और अमानवीय बर्ताव के कारण चकनाचूर हो गया.

35 लाख खर्च कर पहुंचे अमेरिका

हरजिंदर सिंह एक साधारण किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं। परिवार की उम्मीदों और वर्षों की मेहनत की कमाई को उन्होंने एक ही मकसद के लिए जोड़ा विदेश जाकर अपनी किस्मत बदलने के लिए. अमेरिका पहुंचने का रास्ता आसान नहीं था. एजेंटों के माध्यम से उन्होंने लगभग 35 लाख रुपये खर्च किए, जो उनके माता-पिता की जीवनभर की जमा-पूंजी थी. हरजिंदर को विश्वास था कि फ्लोरिडा में रसोइए की नौकरी उन्हें एक बेहतर जीवन देगी और वह अपने परिवार को आर्थिक रूप से संबल दे पाएंगे.

अमेरिका पहुंचकर हुआ हकीकत का सामना

लेकिन वहां पहुंचने के बाद हालात कुछ और ही निकले. अमेरिकी प्रशासन की कड़ी आव्रजन नीतियों के तहत, खासकर ट्रंप सरकार के आदेशों के बाद, कई भारतीय प्रवासियों को अवैध रूप से ठहरने या काम करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया. हरजिंदर भी उनमें से एक थे. उन्होंने बताया कि गिरफ्तारी के बाद 50 भारतीय नागरिकों, जिनमें छह हरियाणा से थे, को डिपोर्टेशन सेंटर में रखा गया. लेकिन जो सबसे दर्दनाक अनुभव रहा, वह था 25 घंटे तक बेड़ियों में कैद रहना.

हरजिंदर की आवाज में दर्द साफ झलकता है जब वह बताते हैं कि उन्हें और बाकी युवाओं को लोहे की जंजीरों से जकड़कर रखा गया. हमारे हाथों और पैरों में बेड़ियां थीं। कई साथियों के पैरों में सूजन आ गई थी। हमें इंसानों जैसा नहीं, बल्कि अपराधियों जैसा बर्ताव झेलना पड़ा.  

 

हरजिंदर सिंह ने सरकार से किया ये निवेदन

कई घंटे की यातना झेलने के बाद, सभी भारतीयों को डिपोर्ट कर भारत भेज दिया गया. अंबाला लौटे हरजिंदर अब भी सदमे में हैं. उन्होंने कहा कि मेरे माता-पिता ने अपनी सारी पूंजी मेरे भविष्य पर लगा दी थी. अब हमारे पास न पैसा बचा, न उम्मीदें. हरजिंदर अब सरकार से निवेदन कर रहे हैं कि बेरोजगार युवाओं के लिए देश में ही बेहतर रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए जाएं. उनका कहना है कि अगर हमारे देश में अच्छे अवसर हों, तो कोई भी अपनी मिट्टी छोड़कर विदेश नहीं जाएगा। कोई भी अपनी मां-बाप की जमा पूंजी गंवाकर बेड़ियों में कैद होने नहीं जाएगा.

 

shristi S

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