Fake Note Printing Gang Arrested: मध्य प्रदेश में उज्जैन पुलिस ने गुरुवार को नकली नोट छापने और बाजार में चलाने वाले गिरोह का पर्दाफाश करते हुए पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया. इस कार्रवाई में पुलिस ने आरोपियों के पास से 5 लाख रुपये के नकली नोट, सीपीयू, कलर प्रिंटर, कटर, बटर पेपर और रसायन जैसी सामग्री जब्त की. गिरोह लंबे समय से नकली नोटों का कारोबार कर रहा था और बेहद सस्ते दामों पर असली नोटों के बदले नकली नोट बेचकर लोगों को ठग रहा था.
क्या हैं पूरा मामला?
मामले का खुलासा तब हुआ जब अमरदीप नगर निवासी और इलेक्ट्रॉनिक दुकान संचालक हीरालाल ने माधव नगर थाने में शिकायत दर्ज कराई. हीरालाल ने पुलिस को बताया कि उनकी दुकान पर एक ग्राहक दुर्गेश वाशिंग मशीन और मोबाइल खरीदने पहुंचा और 23,000 रुपये का भुगतान नकली नोटों से किया. संदेह होने पर उन्होंने तुरंत पुलिस को सूचना दी. जांच में सामने आया कि दिए गए नोट नकली थे.
पुलिस ने शिकायत दर्ज करने के बाद आरोपी दुर्गेश डाबी को हिरासत में लिया. पूछताछ में उसने खुलासा किया कि वह नकली नोट 30% के भाव पर खरीदता था. यानी, 1 लाख रुपये के नकली नोट खरीदने के लिए वह मात्र 30 हजार रुपये चुकाता था. दुर्गेश की निशानदेही पर पुलिस ने गिरोह के अन्य सदस्यों 22 वर्षीय शुभम, 31 वर्षीय शेखर, 54 वर्षीय प्रहलाद और 48 वर्षीय कमलेश को गिरफ्तार किया। सभी आरोपी उज्जैन के ही निवासी हैं.
गिरोह का नेटवर्क
पुलिस अधीक्षक प्रदीप शर्मा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि इस गिरोह में कुल 6 सदस्य शामिल हैं. इनमें से एक आरोपी सुनील पाटिल फिलहाल जेल में बंद है। सुनील पर पहले से ही नकली नोट छापने से जुड़े 9 प्रकरण दर्ज हैं और वह 10 साल की सजा काट रहा है. जेल में ही उसकी मुलाकात प्रहलाद और कमलेश से हुई थी. दोनों पहले एनडीपीएस एक्ट के मामले में सजा काट चुके हैं। जमानत पर बाहर आने के बाद तीनों ने मिलकर फिर से नकली नोटों का धंधा शुरू कर दिया.
5 लाख रुपए हुए बरामद
अब तक पुलिस ने 5 लाख रुपये के नकली नोट बरामद किए हैं, जबकि गिरोह द्वारा करीब 18 लाख रुपये के नकली नोट छापे जाने की जानकारी सामने आई है. शेष 13 लाख रुपये के संबंध में पुलिस जेल में बंद सुनील पाटिल से पूछताछ करेगी और उसे रिमांड पर लेने की तैयारी कर रही है.