इलेक्ट्रिक स्कूटर में आग लगने की घटनाएं 70% कम, नए बैटरी सेफ्टी नियमों ने इसे कैसे संभव बनाया

E Scooter: भारत और दुनिया भर में इलेक्ट्रिक स्कूटर में आग लगने की घटनाओं को 2025 तक करीब 70% कम करने की दिशा में बैटरी सुरक्षा नियमों की भूमिका बहुत अहम हो गई है. इलेक्ट्रिक वाहनों की दुनिया में ई-स्कूटर ने यात्रा को सस्ता, पर्यावरण के अनुकूल और स्मार्ट बना दिया है. ई-स्कूटर के मॉडल आकर्षक, स्टाइलिश और सबसे महत्वपूर्ण बात, पर्यावरण के अनुकूल हैं.

2022 में ई-स्कूटरों में आग लगने की घटनाओं ने भारतीय उपभोक्ताओं के मन में इन वाहनों की सुरक्षा को लेकर संदेह पैदा कर दिया था. जिसका मुकाबला करने के लिए कंपनियों ने अपनी रणनीति बदलली, क्योंकि सुरक्षा सर्वोपरि है. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि आग लगने के मुख्य कारण क्या हैं और किन उपायों से इनसे बचा जा सकता है.

ई-स्कूटर की बैटरी में आग क्यों लगती है?

ई-स्कूटर की बैटरी में आग लगने के पीछे कई कारण हो सकते हैं. प्लास्टिक कैबिनेट का पिघलना, हीट सिंक का कम होना, शॉर्ट सर्किट की स्थिति, अत्यधिक तापमान से बैटरी का गरम होना, मैन्युफैक्चरिंग डिफेक्ट होना इन्हीं सब वजहों से बैटरी का तापमान असामान्य रूप से बढ़ जाता है, जिससे आग लगने का खतरा होता है.

नई बैटरियों पर ज्यादा कड़े टेस्ट अनिवार्य

सरकार ने अब बैटरी पैक और सेल्स के लिए ऐसे टेस्ट अनिवार्य कर दिए हैं. जैसे थर्मल रनअवे (अचानक गर्म होकर आग पकड़ लेना), शॉर्ट सर्किट, ओवरचार्ज की स्थिति आदि. बैटरी थर्मल मैनेजमेंट और शॉर्ट-सर्किट नियंत्रण के लिए अतिरिक्त परीक्षण, बैटरी पैक में सेंसर और सुरक्षा फ़्यूज़ का अनिवार्य होना, ओड का दिशानिर्देश कि अगर तापमान या वोल्टेज असामान्य रूप से बढ़े तो सिस्टम खुद को बंद कर दे

Battery Management System की मजबूती

सेल तापमान सेंसर जोड़ता है, ओवरचार्ज और ओवरहीटिंग को रोकता है, असामान्य लोड पर तुरंत बिजली काट देता है. ये फीचर्स पहले व्यापक रूप से अनिवार्य नहीं थे, लेकिन नए नियमों के बाद सभी निर्माताओं के लिए अनिवार्य हो गए हैं.

बैटरी निर्माण में बेहतर तकनीकों का इस्तेमाल

नए सुरक्षा नियमों के अनुरूप निर्मित बैटरियों में अब अधिक सुरक्षित सेल रसायन (सुरक्षित थर्मल रनअवे प्रतिरोध) का उपयोग करती है, बेहतर पैक संरचना और इन्सुलेशन, आग फैलने से रोकने वाले मटेरियल का उपयोग करती हैं. इस तरह की तकनीकों को अब मेन्यूफैक्चरिंग मानकों के तहत कड़ा परीक्षण पास करना पड़ता है. इससे पहले की बैटरियाँ बिना इतने सख्त टेस्ट के बाज़ार में आती थीं, जिससे आग की घटनाएं ज्यादा थीं.

उपभोक्ता जागरूकता और बेहतर चार्जिंग व्यवहार
सरकार और इंडस्ट्री सुरक्षा जागरूकता अभियान चला रही हैं. जैसे कि रात में unattended चार्जिंग से बचें, मानक चार्जर और केबल का इस्तेमाल करें, सुरक्षित स्थान पर चार्ज करें,  ये आदतें भी आग के जोखिम को कम करती हैं.

Vipul Tiwary

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