ADVERTISEMENT
होम / Top News / Demonetisation: सुप्रीम कोर्ट ने नोटबंदी मामले में आरबीआई और सरकार से मांगा जवाब, 9 नवंबर को अगली सुनवाई

Demonetisation: सुप्रीम कोर्ट ने नोटबंदी मामले में आरबीआई और सरकार से मांगा जवाब, 9 नवंबर को अगली सुनवाई

BY: Ashish kumar Rai • LAST UPDATED : October 12, 2022, 7:09 pm IST
ADVERTISEMENT
Demonetisation: सुप्रीम कोर्ट ने नोटबंदी मामले में आरबीआई और सरकार से मांगा जवाब, 9 नवंबर को अगली सुनवाई

इंडिया न्यूज़ (दिल्ली) : नोटबंदी मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को सुनवाई हुई। नोटबंदी की संवैधानिक वैधता को लेकर दाखिल की गई याचिका पर कोर्ट ने केंद्र सरकार और आरबीआई से विस्तृत हलफनामा दाखिल करने को कहा है। सरकार और RBI ने कोर्ट में जवाब देने के लिए समय मांगा। इस मामले में अगली सुनवाई 9 नवंबर को होगी।

ज्ञात हो, साल 2016 में केंद्र सरकार ने 500 और 1000 रुपये के नोटों को बंद करने का ऐलान किया था, जिसके खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए बुधवार को कहा कि वह सरकार के नीतिगत फैसलों की न्यायिक समीक्षा पर ‘लक्ष्मण रेखा’ से अवगत है, लेकिन यह तय करने के लिए 2016 के नोटबंदी के फैसले की जांच करनी होगी कि क्या यह मुद्दा केवल “अकादमिक” अभ्यास बन गया है। पांच जजों के एस ए नज़ीर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि जब संविधान पीठ के सामने कोई मुद्दा उठता है, तो जवाब देना उसका कर्तव्य है।

demonetisation

2016 के साल में नोटबंदी हुई थी .

अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणि ने कहा

अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणि ने कहा कि जब तक नोटबंदी पर एक्ट को उचित तरीके से चुनौती नहीं दी जाती, तब तक यह मुद्दा अनिवार्य रूप से अकादमिक रहेगा। विमुद्रीकरण अधिनियम 1978 में कुछ उच्च मूल्य के नोटों के विमुद्रीकरण के लिए जनहित में प्रदान करने के लिए पारित किया गया था ताकि अर्थव्यवस्था के लिए हानिकारक पैसों के अवैध ट्रांसफर की जांच की जा सके।

इन जजों की बेंच कर रही है सुनवाई

जस्टिस एस अब्दुल नजीर, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस ए एस बोपन्ना, जस्टिस वी रामासुब्रमण्यम और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ इस मामले में सुनवाई कर रही है।

कोर्ट की बेंच ने कहा

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह घोषित करने के लिए कि क्या यह एकेडेमिक है या निष्फल है, उसे मामले की जांच करने की जरूरत है क्योंकि दोनों पक्ष सहमत नहीं हैं। कोर्ट ने कहा, ”मुद्दे का जवाब देने के लिए, हमें सुनवाई करनी होगी।”कोर्ट की बेंच ने कहा, “हम हमेशा जानते हैं कि लक्ष्मण रेखा कहां है, लेकिन जिस तरह से इसे किया गया था, उसकी जांच की जानी चाहिए। हमें यह तय करने के लिए वकील को सुनना होगा।” उधर, केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि शैक्षणिक मुद्दों पर अदालत का समय बर्बाद नहीं करना चाहिए।

तुषार मेहता की दलील पर याचिकाकर्ता के वकील ने जताई आपत्ति

मेहता की दलील पर आपत्ति जताते हुए याचिकाकर्ता विवेक नारायण शर्मा का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील श्याम दीवान ने कहा कि वह ‘संवैधानिक पीठ के समय की बर्बादी’ जैसे शब्दों से हैरान हैं, क्योंकि पिछली बेंच ने कहा था कि इन मामलों को एक संविधान बेंच के समक्ष रखा जाना चाहिए। एक पक्ष की ओर से पेश वरिष्ठ वकील पी. चिदंबरम ने कहा कि यह मुद्दा अकादमिक नहीं है और इसका फैसला शीर्ष अदालत को करना है। उन्होंने कहा कि इस तरह की नोटबंदी के लिए संसद के एक अलग एक्ट की आवश्यकता है। बता दें कि 16 दिसंबर, 2016 को तत्कालीन सीजेआई टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली बेंच ने नोटबंदी की वैधता वाली याचिका को पांच न्यायाधीशों की एक बड़ी बेंच के पास भेज दिया था।

Tags:

Demonetisation-caseModiRBISUPRIM COURT

Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.

ADVERTISEMENT

लेटेस्ट खबरें

ADVERTISEMENT