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जम्मू-कश्मीर में होगी स्मार्ट खेती, फायदे जान कर चौक जाएंगे

जम्मू (smart agriculture in jammu-kashmir): जम्मू और कश्मीर सरकार ने 30.40 करोड़ रुपये की परियोजना “सेंसर-आधारित स्मार्ट कृषि” को मंजूरी दे दी है, इससे कृषि में स्मार्ट टेक्नोलाॉजी को बढ़ावा मिलेगा साथ ही जम्मू-कश्मीर की कृषि-अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। एआई और आईओटी द्वारा संचालित प्रौद्योगिकी के साथ कृषि का एकीकरण कृषि को आकर्षक तथा औऱ पेशेवर […]

BY: Roshan Kumar • UPDATED :
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जम्मू (smart agriculture in jammu-kashmir): जम्मू और कश्मीर सरकार ने 30.40 करोड़ रुपये की परियोजना “सेंसर-आधारित स्मार्ट कृषि” को मंजूरी दे दी है, इससे कृषि में स्मार्ट टेक्नोलाॉजी को बढ़ावा मिलेगा साथ ही जम्मू-कश्मीर की कृषि-अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। एआई और आईओटी द्वारा संचालित प्रौद्योगिकी के साथ कृषि का एकीकरण कृषि को आकर्षक तथा औऱ पेशेवर बनाया जाएगा।

इस परियोजना के लागू होने के बाद पौधों के माइक्रॉक्लाइमैटिक मापदंडों की निगरानी के लिए स्वचालन के साथ वर्ष भर नकदी फसलों की खेती के लिए हाई-टेक पॉली हाउस का उपयोग भी किया जा सकेगा। साथ ही ग्रीनहाउस तकनीक के परिणामस्वरूप पैदावार में वृद्धि होगी और खुले खेत की स्थिति की तुलना में शुरुआती उत्पादन या देर से उपलब्धता के रूप में सब्जियों की मौसमी उपलब्धता बढ़ेगी।

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smart agriculture in jammu-kashmir

70 प्रतिशत से अधिक अर्थव्यवस्था कृषि पर

जम्मू और कश्मीर में 70 प्रतिशत से अधिक अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित है। यह इनपुट उपयोग दक्षता, उत्पादन, उत्पादकता और लाभप्रदता बढ़ाने के लिए डिजिटल कृषि को अपनाने के माध्यम से आजीविका में सुधार के लिए एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है। एक आधिकारिक बयान में कहा गया “प्रौद्योगिकी, विशेष रूप से एआई और आईओटी को कृषि में शामिल करने से कम दक्षता, लाभप्रदता और प्रतिस्पर्धात्मकता जैसी चुनौतियों का समाधान करने की क्षमता है। इससे उद्योग के लिए अधिक आकर्षक और पेशेवर छवि बन सकती है। सेंसर आधारित स्मार्ट कृषि की यह परियोजना जम्मू-कश्मीर की कृषि-अर्थव्यवस्था के लिए परिवर्तनकारी नवाचार हो सकती है। परियोजना के तहत, उच्च घनत्व वाले सेब के बागों, संरक्षित खेती और स्मार्ट पशुधन खेती पर सेंसर आधारित पायलट अध्ययन किया जाएगा।”

दक्षता में 80 प्रतिशत तक वृद्धि

इस टेक्नोलाॉची के माध्यम से संसाधनों के उपयोग को बढ़ाना और दक्षता में 80 प्रतिशत तक सुधार करना है। सेब, सब्जियों और पशुधन के एचडीपी में सटीकता के साथ कृषि कार्यों को स्वचालित करना भी इससे किया जा सकता है। हैंडहेल्ड सेंसर उपकरणों का उपयोग करके कीटों और बीमारियों का एआई-आधारित पता लगाने का उपयोग कठोर परिश्रम और खेती की लागत को 20 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है। कृषि उत्पादन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अटल डुल्लू ने कहा कि परियोजना के परिणाम संसाधन उपयोग दक्षता में 50-80 प्रतिशत की वृद्धि होगी। उन्होंने कहा, “रोबोटिक्स और ड्रोन का उपयोग करके रीयल-टाइम पहचान और परिवर्तनीय दर स्प्रे उत्पादन लागत को 80 प्रतिशत तक कम कर देगा। प्रस्ताव का उद्देश्य पशुधन और फेनोटाइपिंग और उपज भविष्यवाणी के लिए एक सेंसर कॉरिडोर बनाना है।”

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Jammu and Kashmir
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