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India News (इंडिया न्यूज़),Israel War: इस समय पूरी दुनिया की निगाहें गाजा पट्टी पर टिकी हुई है। यह इलाका संघर्ष का केंद्र बना हुआ है। इस संघर्ष में मासूमों की जान जा रही है। जान लेने वाला कोई और नहीं बल्कि हम जैसा इंसान ही है। एक तरफ हमास के लड़ाके हैं तो दूसरी ओर इजरायल की पावरफुल सेना। कोई भी पीछे हटने को तैयार नहीं। जारी जंग की शुरुआत हमास ने बीते 7 अक्टूबर के सुबह इजरायल पर 500 से ज्यादा रॉकेट दागकर की।
इजरायल की ओर से कहा गया कि शुरुआत उन्होंने की है खत्म हम करेंगे। मिटने और मिटाने के चक्कर में मानवता खत्म हो रही है। मासूम, बेसहारा लोगों की जान जा रही है। इन सब की वजह हमास, फिलिस्तीन, गाजा पट्टी और इजरायल जैसे शब्द हैं। आज हम आपको आसान भाषा में इन सभी सवालों के जवाब बताएंगे। आइए एक-एक कर इन शब्दों को समझने की कोशिश करते हैं।
हमास एक फिलिस्तीनी आतंकी संगठन है। गाजा पट्टी पर इसका शासन है. हमास का अरबी में शाब्दिक अर्थ उत्साह (Zeal) है। इसका नाम हरकत अल-मुकावामा अल-इस्लामिया, या “इस्लामिक प्रतिरोध आंदोलन” का संक्षिप्त रूप है। हमास का गठन 1987 में शेख अहमद यासिन ने किया था। इस संगठन ने इजरायल को खत्म कर एक इस्लामिक देश बनाने की कसम खाई है।
आपको बता दें, हमास दो धड़ों में बंटा है। एक धड़ फिलिस्तीन की राजनीति में सक्रिय है तो दूसरा सशस्त्र गुट इजरायल से दो दो हाथ करता है। 2007 में शासन में आने के बाद हमास ने इजरायल से कई बार जंग लड़ी है। यह संगठन एक साथ हजारों रॉकेट इजरायल पर कभी भी दाग देता है। इसका ताजा उदाहरण हमें बीते 7 अक्टूबर को देखने को मिला. जब उसने 500 से ज्यादा रॉकेट दागकर जंग की शुरुआत की।
हालांकि, 2007 से ही हमास का राजनीतिक दल और मिलिटेंट ग्रुप गाजा पट्टी पर शासन कर रहे हैं। हमास के पास कई प्रकार की मिसाइल, मोर्टार और गोला, बम बारूद हैं। इजरायल, अमेरिका, यूरोपीय संघ और यूनाइटेड किंगडम आदि ने हमास को आतंकी संगठन घोषित कर रखा है। वहीं दूसरी ओर ईरान हमास के लड़ाकों को ट्रेनिंग के साथ फंडिंग और उच्च तकनीकी के हथियार मुहैया कराता है।
गाजा पट्टी भूमध्य – सागर, मिस्त्र और इजरायल से घिरा हुआ 41 किलोमीटर लंबा और 10 किलोमीटर चौड़ा एक इलाका है। यह दुनिया की सबसे ज्यादा घनत्व वाला इलाका है। यहां करीब 23 लाख लोग रहते हैं। शुरुआत में यह इलाका मिस्त्र द्वारा काबिज किया गया था। बता दें, 1967 की जंग में इजरायल ने मिस्त्र को हरा गाजा पट्टी, वेस्ट बैंक और पूर्वी यरुशलम पर कब्जा कर लिया।
2005 में इजरायल ने अपने लगभग 7 हजार नागरिकों और सैनिकों को गाजा पट्टी से हटा लिया। वहीं, गाजा पट्टी की समुद्री सीमा और एयर स्पेस पर अभी भी इजरायल का कंट्रोल है। गाजा पट्टी पर खाद्य सामग्री से लेकर लोगों के आने जाने तक जो इजरायल के बॉर्डर से जाता है उस पर इजरायल का कंट्रोल है। इसी तरह मिस्त्र का भी बॉर्डर पर इजरायल की ही तरह कंट्रोल है।
वहीं, गाजा पट्टी पर रहने वाली लगभग 80 फीसदी आबादी अंतरराष्ट्रीय सहायता पर आश्रित रहती है। यूनाइटेड नेशन की मानें तो लगभग 10 लाख लोग ऐसे है जो रोजाना के खाने पर निर्भर रहते हैं। यानी उनके पास अपने जीवन यापन का कोई साधन नहीं है। हमास के इजरायल पर अप्रत्याशित हमले के बाद इजरायल ने गाजा पट्टी की पावर सप्लाई काट दी है। इसके साथ-साथ सामान, भोजन, पानी और तेल की सप्लाई पर भी रोक लगा दी है।
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बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार गाजा पट्टी पर रह रहे लोगों की बिजली का एकमात्र विकल्प जनरेटर है अगर उनके पास पर्याप्त मात्रा में फ्यूल है। गाजा पट्टी का पावर स्टेशन फ्यूल से चलता है। बिना लाइट के गाजा की वाटर और सीवेज सिस्टम भी बंद हो सकता है।
इजरायल के बनने से पहले गाजा, पट्टी, वेस्ट बैंक और आज का इजरायल का पूरा इलाका फिलिस्तीन का था। 20 शताब्दी से पहले बाइबिल के अनुसार यह यहूदी राज्यों की भूमि थी। इसे यहूदी अपनी मातृभूमि के रूप में देखते हैं। फिर 1947 में यूएन ने फिलिस्तीन को बांट इजरायल बनाया। हालांकि बहुत से लोग आज भी इजरायली जमीन को फिलिस्तीन ही कहते हैं क्योंकि वो इजरायल का अस्तित्व ही नहीं मानते हैं। जो फिलिस्तीनी है वो वेस्ट बैंक, गाजा और पूर्व यरुशलम के लिए फिलिस्तीन शब्द का ही इस्तेमाल करते हैं।
बीते 7 अक्टूबर को हमास ने इजरायल पर अप्रत्याशित हमला किया। यह हमला इजरायल और फिलिस्तीन के बढ़ते तनाव के बीच हुआ। वेस्ट बैंक में रह रहे फिलिस्तीनियों ने साल 2023 में बहुत संघर्ष किया। फिलिस्तीनियों के इसी संघर्ष ने शायद हमास को इजरायल पर हमला करने के लिए मजबूर किया हो। साथ ही साथ यह भी हो सकता है कि फिलिस्तीनियों के दिल में अपनी जगह को और मजबूत करने के लिए हमास ने इजरायल पर विजय प्राप्त करने की दृष्टि से यह हमला किया हो।
वर्तमान मीडिया में ये कहा जा रहा है कि ये हमाल इजरायल के कट्टर दुश्मन ईरान ने यह हमला करवाया है। हालांकि, ईरान ने इस बात को नकार दिया है। सऊदी अरब और इजरायल के बीच हुई ऐतिहासिक शांति समझौते से ईरान पहले ही खुन्न खाया हुआ है। शायद हमास ने इसलिए यह हमला किया हो।
बताते चलें, हमास द्वारा इजरायल पर किए गए हमले की तुलना 1973 के योम किप्पुर वार से भी की जा रही है। आज से लगभग 50 साल पहले यहूदियों के पवित्र दिन योम किप्पुर के दिन इजरायल मिस्र और सीरिया ने एक साथ हमला किया था। उस दौरान 2456 इजरायली सैनिक मारे गए थे। जबकि हजारों घायल हुए थे। वहीं अरब की ओर से 18 हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे और हजारों लोग घायल थे। इस हमले से इजरायल ने बहुत ही सफर किया था। इसके बाद उसने अपनी सेना को और मजबूत बनाया ताकि भविष्य में ऐसा हमला कभी न हो।
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