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Lingayats in Karnataka: कर्नाटक में उठा लिंगायत का मुद्दा, कांग्रेस पर सरकारी दफ्तरों में दरकिनार का आरोप 

BY: Reepu kumari • LAST UPDATED : October 1, 2023, 8:25 am IST
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Lingayats in Karnataka: कर्नाटक में उठा लिंगायत का मुद्दा, कांग्रेस पर सरकारी दफ्तरों में दरकिनार का आरोप 

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ( PC : PTI )

India News (इंडिया न्यूज), Lingayats in Karnataka: चुनाव का माहौल आते ही सियासी घमासान शुरू हो जाता है। सबसे ज्यादा नेता जाति समुदाय के तवे पर अपनी राजनीतिक रोटी सेंकते हैं। कुछ ऐसा ही हाल है कर्नाटक का है। जहां के राजनीतिक माहौल को देख कर लग रहा है कि वहां कांग्रेस पार्टी में लिंगायत समुदाय को लेकर खटास पैदा हो गई है। जिसे लेकर पार्टी से टकराव की खबरें आ रही हैं। इस आग की हवा तब उठी जब वरिष्ठ कांग्रेस नेता और विधायक शमनूर शिवशंकरप्पा ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने अपने आरोप में कहा कि सरकारी दफ्तरों में लिंगायतों को दरकिनार किया जा रहा है। जिसका जवाब देते हुए कांग्रेस की ओर से कहा गया है कि सरकारी दफ्तरों में लोगों की पोस्टिंग जाति के आधार पर नहीं की जाती है।

 कौन हैं शमनूर शिवशंकरप्पा

बता दें कि शमनूर शिवशंकरप्पा एक दिग्गज लिंगायत नेता हैं। जो कि दावणगेरे से विधायक बन कर काम कर रहे हैं। इसके अलावा वो विधानसभा के सबसे ज्यादा उम्रदराज सदस्य भी है। चुनावी माहौल में लिंगायत नेता की ओर से अपनी ही पार्टी पर ऐसा आरोप चर्चा में हैं। इसकी एक और खास वजह ये है कि कर्नाटक में इस साल हुए विधानसभा चुनाव के दौरान लिंगायत समुदाय पर नेताओं ने खूब वोट बटोरे थे। इस पार्टी की वहां अपनी पैठ है।  जिसके कारण बीजेपी और कांग्रेस के अलावा जेडीएस जैसी पार्टी भी इसे अपने साथ करना चाहती थी।

कांग्रेस विधायक का आरोप 

मीडिया में चल रही खबरों के अनुसार विधायक का आरोप है कि सरकारी कार्यालयों में टॉप अधिकारियों को चुनने के दौरान लिंगायतों को दरकिनार कर दिया जाता है। उनका (सरकार) कहना है कि उन्होंने सात लिंगायतों को मंत्री पद दिया है, लेकिन सदस्यों की संख्या तो 74 है।

 लिंगायत आबादी प्रतिशत के हिसाब से सबसे ज्यादा हैं। हम दूसरों के साथ मिलकर भी सरकार बना सकते हैं।  मैं इस बारे में मुख्यमंत्री से बात कर सकता हूं।  मुझे किसी से डरने की जरूरत नहीं है।  कांग्रेस विधायक ने कहा कि इस मामले में लोगों के बीच असंतोष है।  हमारे लोगों (लिंगायत) को अन्याय सहना पड़ रहा है।  हमें सरकार को चेताना होगा।  लिंगायत अधिकारियों को उचित पद नहीं दिया जा रहा है।

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