संबंधित खबरें
Himachal BPL Rules: सरकार ने बदली 'गरीबी' की परिभाषा, जानें अब कौन कहलाएगा गरीब? BPL के नए नियम जारी
नए साल पर घूमने जानें से पहले पढ़े UP-NCR की ट्रैफिक एडवाइजरी, ये हैं रूटों का प्लान
Maha Kumbh 2025: कुंभ की तैयारियों को देख अखिलेश ने बांधे तारीफों के पुल, बोले- कमियों की तरफ खींचते रहेंगे ध्यान
kota Night Shelters: खुले आसमान के नीचे सोने को मजबूर लोग, अब तक नहीं किया गया रैन बसेरे का इंतजाम
Kotputli Borewell Rescue: 65 घंटे से बोरवेल में फंसी मासूम चेतना, रेस्क्यू ऑपरेशन लगातार जारी, मां की बिगड़ी तबीयत
Ajmer Bulldozer Action: दरगाह के पास चला निगम का पीला पंजा, अवैध अतिक्रमण साफ, कार्रवाई से क्षेत्र में मचा हड़कंप
नई दिल्ली : जहां आज पूरी दुनिया में लड़कियों की राइट्स और आजादी को लेकर बात की जा रही हैं। जहां आज लड़कियां हर क्षेत्र में लड़कों के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रही हैं। चाहें वो डिफेंस हो या कॅारपोरेट चाहें घर के ग्रृहस्ती हो या ऑफिस का प्रेसर हर काम को अपने सूझ बूझ और धर्य के साथ करने वली लड़कियों ने खूद को साबीत किया है। लेकिन इन सब के परे धर्म के पूजारियों ने आज भी लड़कियों को पूरूषों के सामान दर्जा नहीं दिया है। जहां लड़कियों को मां काली और दूर्गा के नाम पर पूजा जाता है। वहीं कई मंदिरों में लड़कियों की एंट्री पर प्रतिबंध भी देखने को मिलते हैं। बता दें लड़कियों की आजादी सी जुड़ा एक और मुद्दा पूरे देश में सुर्खियों में है।
दरअसल पुरानी दिल्ली की ऐतिहासिक जामा मस्जिद में अब लड़कियों के अकेले प्रवेश पर पाबंदी लगा दी गई है। इसके लिए जामा मस्जिद प्रशासन की ओर से आदेश जारी किया गया है तथा मस्जिद के गेट पर पट्टी लगाई गई है, जिसमें लिखा गया है कि जामा मस्जिद में लड़कियों का अकेले दाखिल करना मना है। यह पट्टी तीनों गेट पर लगी है। यह मामला ऐसे वक्त में सामने आया है जब पूरे विश्व में इस्लाम समाज की महिलाएं अपने अधिकारों को लेकर संघर्ष कर रही हैं। ईरान में भी हिजाब को लेकर वहां की महिलाएं सड़कों पर प्रदर्शन कर रही है।
बता दें कि जामा मस्जिद के इस आदेश को कट्टरवादी मानसिकता बताकर आलोचना हो रही है। लोग कह रहे हैं कि कैसे आधी आबादी के साथ कोई ऐसा बरताव कर सकता है। इस मामले को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता शहनाज अफजल ने कहा कि भारत जैसे देश में जहां हर किसी को बराबरी का अधिकार मिला हुआ है। उसमें इस तरह का फैसला संविधान को ताक पर रखने जैसा है। उन्होंने आगे कहा कि इस तरह का फैसला किसी भी सूरत में मान्य नहीं है। ये फैसला लेने वाले लोग उस मानसिकता के हैं जो लड़कियों को अंधकार के कुएं में रखना चाहते हैं।
इस मामले को लेकर मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के प्रवक्ता शाहिद सईद ने भी इस फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि यह मानसिकता गलत है। उन्होंने कहा कि इबादत की जगह हर किसी के लिए खुली होनी चाहिए। यहां महिलाओं के साथ दोयम दर्जे का बरताव क्यों। अन्य धर्म के धार्मिक स्थलों में यह अंतर नहीं है।
इस संबंध में जामा मस्जिद के प्रवक्ता सबीउल्लाह ने इस निर्णय का बचाव करते हुए कहा है कि जामा मस्जिद में कई सारे कपल ऐसे आ जाते हैं जिनका व्यवहार धर्म के अनुसार नहीं होता है। साथ ही उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया के लिए वीडियो बनाने के लिए भी यहा कुछ युवतियां आती हैं, जो नमाज स्थल तक आ जाती हैं जिसके कारण नमाजियों को असुविधा होती है। उन्होंने कहा कि अंदर मस्जिद में वीडियो न बनाने के संदेश भी लिखे हैं।
बता दें कि दिल्ली का ऐतिहासिक जामा मस्जिद मुगलों के जमाने की है इसकी गिनती विश्व के सबसे बड़े मस्जिदों में होती है। यह दिल्ली का प्रमुख धार्मिक स्थल में से एक होने के साथ-साथ देश-विदेश के पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र भी है। रमजान के दिनों में यहां इफ्तार के वक्त रौनक देखते ही बनती है, जहां बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा होकर नमाज अदा करते है।
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.