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इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि आज ऐसे संकल्प लेने का समय है जो देश को आने वाले 25 वर्ष में नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे। नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में पहली अखिल भारतीय जिला कानूनी सेवा प्राधिकरण बैठक (डीएलएसए मीट) के शुभारंभ अवसर पर उन्होंने यह बात कही। उन्होंने कहा कि यह हमारी आजादी के अमृतकाल का समय है और देश की इस अमृतयात्रा में अमृतयात्रा में ईज आफ डूइंग बिजनेस व ईज आफ लिविंग की तरह ईज और जस्टिस भी जरूरी है।
प्रधानमंत्री ने कहा, किसी भी समाज के लिए न्यायिक प्रणाली तक पहुंच जितनी जरूरी है, उतना ही हर व्यक्ति को न्याय मिलना भी जरूरी है। इसमें ज्यूडिशियल इंफ्रास्ट्रक्टर का भी अहम योगदान होता है। बीते आठ साल में देश के ज्यूडिशियल इंफ्रास्ट्रक्टर को मजबूत करने के लिए तेज गति से काम हुआ है। मोदी ने कहा कि ई-कोर्ट्स मिशन के तहत देश में वर्चुअल कोर्ट्स शुरू किए जा रहे हैं। यातायात उल्लंघन जैसे अपराधों के लिए 24 घंटे चलने वाली अदालतों में भी काम शुरू हो गया है। लोगों की सुविधा हेतु अदालतों में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग ंफ्रास्ट्रक्टर का विस्तार भी किया जा रहा है।
तकनीक आम नागरिक के लिए बड़ी भूमिका अदा कर सकती है। तकनीक के जरिये आम नागरिक संविधान मे मौजूद अपने अधिकारों से परिचित हो सकता है। उसे इससे अपने कर्तव्यों की जानकारी हो सकती है। देश के नागरिक को संवैधानिक संरचनाओं व अपने संविधान की जानकारी के नियमों व उपायों की जानकारी होना जरूरी है। टेक्नोलॉजी का इसमें अहम योगदान हो सकता है।
कानून मंत्री ने कहा, राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (एनएएलएसए) ने पात्र कैदियों की पहचान के मकसद से गत 16 जुलाई से एक अभियान ‘रिलीज यूटीआरसी@75’ शुरू किया है। उन्होंने कहा कि ट्रायल रिव्यू कमेटी के अंतर्गत फिट मामलों को जारी करने की भी एनएएलएसए ने सिफारिश की है। राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण व न्याय विभाग सामान्य हित के तीन क्षेत्रों में कानूनी सेवाओं की एकीकृत डिलीवरी प्रदान करता है। इन तीनों क्षेत्रों में टेली-ला के जरिये परामर्श को मजबूत करना, नि:शुल्क वकीलों के आधार को बढ़ाकर व कानूनी साक्षरता के साथ नागरिकों को मजबूत बनाना शामिल है।
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