Hindi News / Top News / Should Convicted Leaders Be Banned For Life

Convicted Politicians: क्या सजायाफ्ता नेताओं पर आजीवन प्रतिबंध लगना चाहिए?

Convicted Politicians: राजनीति के अपराधीकरण से संबंधित एक याचिका में सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त एमिकस क्यूरी ने सुझाव दिया है कि आपराधिक मामलों में दोषी ठहराए गए नेताओं पर आजीवन प्रतिबंध लगा देना चाहिए। बता दें कि दोषसिद्धि के कारण वर्तमान में चुनाव लड़ने पर छह साल की रोक है। गौरतलब है कि भारत के […]

BY: Sailesh Chandra • UPDATED :
Advertisement · Scroll to continue
Advertisement · Scroll to continue

Convicted Politicians: राजनीति के अपराधीकरण से संबंधित एक याचिका में सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त एमिकस क्यूरी ने सुझाव दिया है कि आपराधिक मामलों में दोषी ठहराए गए नेताओं पर आजीवन प्रतिबंध लगा देना चाहिए। बता दें कि दोषसिद्धि के कारण वर्तमान में चुनाव लड़ने पर छह साल की रोक है। गौरतलब है कि भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने जुलाई 2013 में एक ऐतिहासिक फैसला दिया था जिसमें आपराधिक रिकॉर्ड वाले नेताओं के चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया था। लेकिन संसद ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को पलट दिया और उन नेताओं को चुनाव लड़ने की अनुमति दे दी जो जेल में बंद हैं या हिरासत में हैं।

कई राज्यों में हैं बड़ी संख्या में दागी मंत्री या नेता

संसदीय कानून के पीछे तर्क यह था कि जिन नेताओं को जेल में रखा गया है, उनके अधिकारों का केवल अस्थायी निलंबन हुआ है। शीर्ष अदालत ने कहा था कि केवल उन्हीं लोगों को चुनाव लड़ने की अनुमति दी जानी चाहिए जो मतदान कर सकते हैं। बता दें कि भारत के कई राज्यों में बड़ी संख्या में दागी मंत्री या नेता हैं जिनपर हत्या और बलात्कार जैसे जघन्य अपराध के मामले चल रहे हैं और इसके बाद भी वो चुनाव लड़ रहे हैं। दोषी नेताओं को अयोग्य ठहराने के लिए प्रासंगिक कानून लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम है। इस कानून की धारा 8 का उद्देश्य राजनीति के अपराधीकरण को रोकना और अयोग्यता के लिए आधार निर्धारित करना है।

Kotputli Borewell Rescue: 65 घंटे से बोरवेल में फंसी मासूम चेतना, रेस्क्यू ऑपरेशन लगातार जारी, मां की बिगड़ी तबीयत

Supreme Court

क्या नेताओं के लिए एक अलग पैमाना है?

आजीवन प्रतिबंध का सुझाव इस तर्क पर आधारित है कि यह अन्य बातों के अलावा यह संविधान के समानता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करता है, क्योंकि समान स्थिति में सिविल सेवकों को बर्खास्त कर दिया जाता है। तो यहां सवाल यह उठता है कि क्या नेताओं के लिए एक अलग पैमाना है?

चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगाना उनके अधिकारों के खिलाफ नहीं

आपराधिक रिकॉर्ड वाले नेताओं के चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगाना उनके अधिकारों के खिलाफ नहीं है। ऐसा इसलिए क्योंकि अपराधी का समाज में कोई स्थान नहीं है। उसने गंभीर अपराध के कारण राष्ट्र का प्रतिनिधित्व करने का अधिकार खो दिया है। भारत में अपराधियों को चुनाव लड़ने से रोकना विधायिका और न्यायपालिका की नैतिक जिम्मेदारी है। अच्छे चरित्र और अनुकरणीय नेतृत्व कौशल वाले व्यक्तियों की आवश्यकता है ताकि देश समृद्ध हो सके।

दुनिया भर में अधिकांश कानून आपराधिक रिकॉर्ड वाले लोगों को पद संभालने या सरकारी तंत्र का हिस्सा बनने से रोकते हैं। भारत को छोड़कर दुनिया में कहीं भी बलात्कारियों और दोषियों को चुनाव लड़ने और कानून बनाने का मौका नहीं दिया जाता है। यह धारणा ही हास्यास्पद है कि आपराधिक रिकॉर्ड वाला व्यक्ति किसी देश का नेतृत्व करने की क्षमता रखता है।

लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों का उल्लंघन

अपराधियों के चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध न केवल राष्ट्र के कल्याण के लिए आवश्यक है, बल्कि यह संसद की अखंडता की रक्षा करने का भी एक साधन है। यदि आपराधिक रिकॉर्ड वाले लोगों को चुनाव लड़ने की अनुमति दी जाती है, तो वे अनैतिक तरीकों और जबरदस्ती लोगों को अपने पक्ष में वोट देने के लिए मजबूर कर सकते हैं। यह लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों का उल्लंघन है। यह निंदनीय है कि जिन नेताओं ने हत्या और जबरन वसूली जैसे गंभीर अपराध किए हैं वे पद पर बने रहें।

यह मान लेना गलत है कि जिस व्यक्ति को जेल भेजा गया है उनके अधिकारों का केवल अस्थायी निलंबन हुआ है। यह स्पष्ट है कि जो लोग जेल में हैं, उन्हें देश का राजनीतिक नेतृत्व संभालने का कोई हक नहीं है। दोषी नेताओं के कारण वैश्विक मीडिया में भारत की छवि खराब हुई है। अपराधियों के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय कानून बहुत सख्त हैं। इसके बजाय, हमारी संसद इन कानून तोड़ने वालों को चुनाव लड़ने और राज्य और केंद्रीय विधानसभाओं में देश का प्रतिनिधित्व करने की अनुमति दे रही है।

यदि इन अपराधियों को पद संभालने या चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं दी जाती है तो यह उनके अधिकारों का उल्लंघन नहीं है। यदि भारत विश्व नेता बनना चाहता है, तो हमारे नेताओं को ईमानदार और अच्छे नैतिक मूल्यों वाला होना चाहिए। हमें ऐसे नेतृत्व की आवश्यकता है जो हमारे देश के कानून का पालन करते हैं और ईमानदार हैं। बता दें कि इस सप्ताह 763 वर्तमान सांसदों द्वारा दायर हलफनामों का विश्लेषण करते हुए, एडीआर और नेशनल इलेक्शन वॉच ने कहा है कि 40% पर आपराधिक मामले दर्ज हैं।

Also Read

Tags:

"supreme court of india"

Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.

Advertisement · Scroll to continue

लेटेस्ट खबरें

Advertisement · Scroll to continue