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इंडिया न्यूज़ (दिल्ली) : खबर ऐसी है दिल्ली शराब घोटाले में डिप्टी CM मनीष सिसोदिया की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। CBI सूत्रों के मुताबिक, मामले में सिसोदिया का एक सहयोगी सरकारी गवाह बन गया है। ज्ञात हो, पिछले हफ्ते दिल्ली की एक अदालत से बिजनेसमैन दिनेश अरोड़ा को बेल मिल गई थी, जिसका CBI ने विरोध नहीं किया था।
सोमवार को CBI ने कोर्ट में एक याचिका दायर कर बताया कि अरोड़ा शराब घोटाला केस में सिसोदिया के खिलाफ सरकारी गवाह बन गए हैं। जांच एजेंसी ने बताया कि अरोड़ा ने हमें केस से जुड़ी कई महत्वपूर्ण जानकारियां मुहैया करवाईं हैं। वे हमें पूरा सहयोग कर रहे हैं।
दिल्ली शराब घोटाला में CBI ने अगस्त में FIR दर्ज की थी। इसमें लिखा था कि अमित अरोड़ा, दिनेश अरोड़ा और अर्जुन पांडे मनीष सिसोदिया के करीबी हैं और इनकी जिम्मेदारी थी लिकर लाइसेंस बेचकर मिलने वाले पैसों को अलग-अलग अकाउंट में डिपोजिट करना, ताकि कोई उस पैसे तक न पहुंच सके। FIR के मुताबिक, दिनेश अरोड़ा राधा इंडस्ट्रीज का मालिक है।
CBI को सबूत मिले हैं कि आबकारी विभाग के दो पूर्व आला अधिकारी और एक मौजूदा अधिकारी भी नई शराब नीति का खाका तैयार करने वालों में शामिल हैं। CBI के मुताबिक अमित अरोड़ा, दिनेश अरोड़ा और अर्जुन पांडेय ने सिसोदिया के साथ मिलकर लाइसेंस होल्डर्स से मिले अवैध फंड को इस तरह डायवर्ट किया, जिससे मामला खुले भी तो अधिकारियों को दोषी ठहराया जा सके।
डिप्टी CM मनीष सिसोदिया ने 1 अगस्त 2022 को ऐलान किया था कि पुरानी शराब नीति लागू होगी। लेकिन इस मामले में CBI जांच शुरू होने के बाद उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा- केंद्र सरकार ने इस पॉलिसी में CBI की एंट्री करा दी, जिससे कोई भी ठेका लेने के लिए तैयार नहीं है। इसलिए हम नई व्यवस्था लागू नहीं करेंगे। डिप्टी CM ने कहा था कि नई एक्साइज पॉलिसी से भाजपा का भ्रष्टाचार खत्म हो जाता और साल में 9,500 करोड़ का राजस्व आता। वर्तमान में दिल्ली में 468 शराब दुकानें चल रही हैं। भाजपा का मकसद है कि दिल्ली में अवैध शराब बिके।
पूरी दिल्ली को 32 जोन में बांटकर हर जोन में 27 लिकर वेंडर रखने की बात कही गई थी।
इसमें फैसला किया गया कि दिल्ली सरकार अब शराब बेचने का काम नहीं करेगी।
अब दिल्ली में शराब बेचने के लिए सिर्फ प्राइवेट दुकानें होंगी।
हर वार्ड में 2 से 3 वेंडर को शराब बेचने की अनुमति दी जाएगी।
शराब दुकानों के लिए लाइसेंस देने की प्रोसेस को आसान और फ्लेक्सिबल बनाया जाएगा।
GNCTD अधिनियम 1991
व्यापार नियमों के लेनदेन (TOBR)-1993
दिल्ली उत्पाद शुल्क अधिनियम-2009
दिल्ली उत्पाद शुल्क नियम-2010
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