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Maharashtra Political Crisis: शिंदे सरकार आज बचेगी या नहीं? सुप्रीम कोर्ट में होगा फैसला, मामले की पूरी टाइमलाइन यहां देखें

PUBLISHED BY: Roshan Kumar • LAST UPDATED : May 11, 2023, 9:55 am IST
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Maharashtra Political Crisis: शिंदे सरकार आज बचेगी या नहीं? सुप्रीम कोर्ट में होगा फैसला, मामले की पूरी टाइमलाइन यहां देखें

Maharashtra Political Crisis

India News (इंडिया न्यूज़), Maharashtra Political Crisis , दिल्ली: क्या महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को इस्तीफा देना पड़ेगा? क्या उद्धव ठाकरे फिर से सीएम बनेंगे? क्या एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने रहेंगे ? क्या शिंदे गुट के विधायक अयोग्यता हो जाएंगे? क्या महाराष्ट्र में दोबारा चुनाव होंगे? इन सब सवालों का जवाब आज देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट से मिलने वाला है।

  • अगस्त में मामला संविधान पीठ के पास गया
  • जून 2022 में हुआ पूरा मामला
  • कई याचिकाएं कोर्ट में लगी थी

सुप्रीम कोर्ट आज पिछले साल के महाराष्ट्र राजनीतिक संकट से जुड़ें कई याचिकाओं के एक बैच पर अपना फैसला सुनाएगा। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस एमआर शाह, कृष्ण मुरारी, हेमा कोहली और पीएस नरसिम्हा की पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने मामले की सुनवाई की थी।

इन बातों पर सुनवाई


1.
पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को फ्लोर टेस्ट का सामना करने के लिए कहने के फैसले की वैधता।

2. बागी गुट के नेता एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के लिए कहने के राज्यपाल के फैसले की वैधता।

3. संविधान की दसवीं अनुसूची के तहत कार्य करने के लिए अध्यक्ष की शक्ति और क्या उन्हें दल-बदल विरोधी कानून के तहत कार्य करने से अक्षम किया जा सकता है यदि उनके पद से हटाने की मांग का नोटिस लंबित है।

4. राजनीतिक दल के विधायकों (विधायी विंग) के भीतर विभाजन की स्थिति में राजनीतिक दल का कौन सा गुट वास्तविक राजनीतिक दल होने का दावा कर सकता है।

5. क्या नबाम रेबिया मामले (अरुणाचल प्रदेश में 2016 के राजनीतिक संकट से संबंधित) में पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ द्वारा 2016 के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले में यह फैसला दिया गया था कि एक अध्यक्ष दल-बदल को रोकने के लिए दसवीं अनुसूची के तहत कार्य करने में अक्षम है, इस पर फिर से विचार करने की आवश्यकता है और सात जजों की बेंच को रेफर कर दिया।

शिंदे गुट ने यह कहा

सुनवाई के समापन के दौरान कोर्ट ने सवाल उठाया था कि क्या वह उस मुख्यमंत्री को बहाल कर सकता है जिसने बहुमत परीक्षण का सामने किए बिना इस्तीफा दे दिया। इससे पहले शिंदे खेमे की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता नीरज किशन कौल ने दलील दी थी कि ‘राजनीतिक दल’ और ‘विधायी दल’ आपस में जुड़े हुए हैं। इस प्रकार, ठाकरे खेमे द्वारा दिया गया यह तर्क कि गुट एक विधायक दल का प्रतिनिधित्व करते हैं न कि एक राजनीतिक दल का, एक भ्रम है। कौल ने तर्क दिया कि “असहमति लोकतंत्र की पहचान है।”

कोर्ट ने उठाए सवाल

अदालत ने कहा था “सरकार का फ्लोर टेस्ट केवल सत्तारूढ़ दल के विधायकों के बीच मतभेदों के आधार पर नहीं बुलाया जा सकता है क्योंकि यह एक निर्वाचित सरकार को गिरा सकता है। किसी राज्य का राज्यपाल किसी विशेष परिणाम को प्रभावित करने के लिए अपने कार्यालय को उधार नहीं दे सकता है”. पीठ ने यह सवाल भी किया था कि शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस गठबंधन की ”खुशहाल शादी” बीच में ही क्यों टूट गई? कोर्ट ने कहा, ‘तीन साल आप एक गठबंधन में साथ रहे, और एक दिन, आपने तलाक का फैसला किया। बागी विधायक दूसरी सरकार में मंत्री बने। राज्यपाल को खुद से ये सवाल पूछने चाहिए था कि आप लोग इतने लंबे समय से क्या कर रहे थे और अब अचानक आप तलाक चाहते हैं।’

संकट की पूरी टाइमलाइन

20 जून– राज्य में एमएलसी के चुनाव हुए, शिवसेना के कई विधायकों ने बीजेपी उम्मीदवारों के पक्ष में वोट किया। एकनाथ शिंदे ने शिवसेना के बागी विधायकों के साथ बगावत कर दी।

21 जून– शिंदे ने दावा किया कि उनके पास 40 विधायकों का समर्थन है और वह विधायकों को लेकर सूरत चले गए। मुंबई से सूरत की दूरी सिर्फ महज पांच घंटे की है। मुंबई से कई शिवसेना नेता इन विधायकों से मिलने पहुंचे।

22 जून- शिंदे विधायकों को लेकर सूरत से असम की राजधानी गुवाहटी चले गए।

25 जून– तब महाराष्ट्र विधानसभा में स्पीकर का पद खाली था। डिप्टी स्पीकर नरहरि जिरवल ने शिवसेना के 16 बागी विधायकों की सदस्यता रद्द करने का नोटिस भेजा। दो दिन का समय नोटिस का जवाब देने के लिए दिया गया। बागी विधायक सुप्रीम कोर्ट पहुंचे।

27 जून– सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों (शिवसेना, केंद्र, डिप्टी स्पीकर को नोटिस भेजा) बागी विधायकों को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली और तब कोर्ट ने 12 जून तक नोटिस का जवाब देने के लिए समय दिया था।

28 जून– तब विपक्ष के नेता देवेद्र फडणवीस सुबह दिल्ली पहुंचे शाम को मुंबई, राज्यपाल भगत सिंह कोशयारी से मुलाकात की सरकार के अल्पमत में होने का दावा किया। राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने उद्धव ठाकरे को 30 जून तक बहुमत साबित करने के लिए कहा। उद्धव गुट इस फैसले के खिलाफ SC पहुंचा।

29 जून– सुप्रीम कोर्ट ने फ्लोर टेस्ट पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, जिसके बाद उद्धव ठाकरे फेसबूक पर लाइव आए और मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।

30 जून– एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने। भाजपा के देवेंद्र फडणवीस उप मुख्यमंत्री बनाए गए.

3 जुलाई– विधानसभा के नए स्पीकर राहुल नार्वेकर ने शिंदे गुट को सदन में मान्यता दे दी। अगले दिन शिंदे ने विश्वास मत हासिल कर लिया।

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