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बिज़नेस डेस्क/नई दिल्ली (Currently, the government holds 75.15% stake in the company): दुनिया के सबसे पुराने और सबसे बड़े एयरोस्पेस और डिफेंस मैन्युफैक्चर्स, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) में अब सरकार और विनेवेश करने जा रही है। इस बार सरकार इस कंपनी का 3.5% करीब 11.5 लाख से अधिक शेयर बेचने जा रही है। आपको बता दें कि सरकार यह हिस्सेदारी ऑफर फॉर सेल यानी OFS के जरिए बेचेगी जिसके लिए 2,450 रुपए का फ्लोर प्राइस तय किया गया है।
रेगुलेटरी फाइलिंग के अनुसार एचएएल में हिस्सेदारी खरीदने के इच्छुक नॉन-रिटेल निवेशक 23 मार्च को शेयर खरीद सकते हैं, वहीं रिटेल निवेशक एक दिन के बाद यानि 24 मार्च को एचएएल के शेयर खरीद पाएंगे। भारत सरकार ने इसका जो फ्लोर प्राइस तय किया है वह बाजार की कीमत से 6.6% कम है। आज बाजार बंद होने के बाद HAL के शेयरों में 30 रुपए की गिरावट देखने को मिली है। HAL आज 30 रुपए गिरकर 2,625 रुपए पर बंद हुआ। 2,450 की फ्लोर प्राइस के हिसाब से सरकार को 2867 करोड़ रुपए मिलेंगे।
एक समय में 100% सरकारी हिस्सेदारी वाली एचएएल आज 90 फीसदी से भी कम सरकार के बची है। अब और 3.5% की कमी से सरकार की पकड़ थोड़ी और धीली होगी। आपको बता दें कि एचएएल शेयर बाजार में साल 2018 में लिस्ट हुई थी। फिलहाल सरकार के पास इस कंपनी में 75.15% की हिस्सेदारी है। इससे पहले सरकार ने साल 2020 में कंपनी की 15% हिस्सेदारी बेची थी। इससे सरकार को 1001 रुपए के प्रति शेयर के हिसाब से 5,000 करोड़ रुपए मिले थे।
एचएएल यानी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड शुरुआत में हिंदुस्तान एयरक्राफ्ट लिमिटेड था जिसे 23 दिसंबर 1940 को भारत के सेठ वालचंद हीराचंद और अमेरिकी विलियम डगलस पावले ने शुरू किया था। यह एक एयरोस्पेस और रक्षा कंपनी है जिसका हेडक्वार्टर बंगलुरु में है। ये कंपनी दुनिया के सबसे पुराने और सबसे बड़े एयरोस्पेस और डिफेंस मैन्युफैक्चर्स में से एक है।
सन् 1941 में सरकार ने कंपनी की एक-तिहाई हिस्सेदारी खरीद ली थी और 1951 में हिंदुस्तान एयरक्राफ्ट लिमिटेड को रक्षा मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में ले लिया। इसके बाद अक्टूबर 1964 में हिंदुस्तान एयरक्राफ्ट लिमिटेड का एयरोनॉटिक्स इंडिया लिमिटेड के साथ विलय कर दिया गया जिसके बाद हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) की शुरुआत हुई।
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