इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
History of Mahindra Thar: पुरानी फिल्मों में पुलिस के पास एक जीप हुआ करती थी, जो अपराधियों को पकड़ने में सहायक बनती थी। रेगिस्तान से लेकर पहाड़ी रास्तों पर पुलिस इंस्पैक्टर इसमें बैठ झट से मुलजिमों को पकड़ लेते थे। जिसका असली नाम था विल्ली जीप जिसे महिंद्रा साल 1949 में भारत में लेकर आई। 7 दशक से महिंद्रा का यह उत्पाद पुलिस से लेकर सेना तक के अधिकारियों की पहली पसंद बने रहे।
यही नहीं गांव में भी जगीरदार महिंद्रा की खुली जीप में जब निकलते तो सब उसे देखते ही रह जाते थे। इस सिलसिले को कंपनी ने आज भी बरकरार रखा हुआ है। पुराने जमाने की जीप से लेकर आज के समय की थार तक का यह सफर बेहद रोचक रहा। ब्रांड बन चुकी कंपनी ने समय के साथ-साथ कई उतार चढ़ाव देखे हैं। जो आज हर भारतीय को दिवाना बना रहे हैं।
History of Mahindra Thar
वास्तव में जीप की शुरूआत द्वितीय विश्व युद्ध से जोड़ कर देखी जाती है। जब अमेरिका को एक ऐसी गाड़ी की जरूरत थी जो हर रास्ते पर सरपट दौड़े। कार निर्माता कंपनियों से डिजाइन मंगवाए गए। उस समय सबसे पहले बैंटम, विल्ली और फोर्ड कंपनी ने डिजाइन पेश किया, जिसमें से विल्ली का चयन कर लिया गया क्योंकि वह अमेरिकी सेना को भारी संख्या में कारें देने में सक्षम थी। उसके बाद वर्ष 1940 में कंपनी ने जीप ट्रेड मार्क रजिस्टर करवाते हुए 6 लाख कारों का निर्माण किया।
विश्व युद्ध के समाप्त होने पर अमेरिकी सेना ने गाड़ियां लेना बंद कर दिया जिसके बाद कंपनीं ने आम लोगों को बेचना शुरू कर दिया, लेकिन लोगों में इसे खरीदने में कोई दिलचस्पी नहीं थी। उस समय देश के दो दिग्गज केसी महिंद्रा और जेसी महिंद्रा ने कंपनी के साथ 1949 में सौदा तय किया और जीपों को भारत ले आए। लेकिन भारत में अभी भी अधिकतर लोगों की पहुंच से दूर नजर आई।
60 के दशक में महिंद्रा ने शुरू किया जीप का निर्माण लोगों की मांग को देखते हुए महिंद्रा ने फिर से कार निमार्ता कंपनी विल्ली से करार करते हुए इसे बनाने का लाइसेंस हासिल कर लिया और देश में पेट्रोल कार का उत्पादन शुरू कर दिया। देखते ही देखते कार जगत के 25 प्रतिशत हिस्से पर कब्जा जमा लिया।
यह जीप अमेरिका से तैयार होकर आती थी जिसका नियंत्रण बाएं हाथ में होता था, जिसमें बदलाव करते हुए भारतीय कंपनी ने इसमें राइट हैंड ड्राइव में तबदील किया और फिर 70 के दशक में इसको डीजल से चलने वाली कार बना दिया। इसके बाद महिंद्रा ने 40 सालों तक सड़क से लेकर लोगों के दिलों पर राज करते हुए अनेक उत्पादों का निर्माण किया।
जैसे ही बाजार में अन्य कार बनाने वाली कंपनियों ने प्रवेश किया तो सरकारी विभागों से लेकर सामान्य उपभोक्ताओं तक ने महिंद्रा की गाड़ियों से मुंह फेरना शुरू कर दिया क्योंकि कार जगत में जिप्सी दस्तक दे चुकी थी जिसे सभी ने सराहते हुए अपना लिया। ऐसे में कंपनी को एक ऐसी गाड़ी तैयार करनी थी जो ‘आॅफ रोड’ में भी बेहतर परफोर्मेंस दे सके। 2010 में कंपनी ने थार लॉन्च करते हुए ग्राहकों को आकर्षित करने का प्रयास किया जिसमें महिंद्रा कामयाब भी रही।
हालांकि अभी भी कंपनी की यह कार उतनी सुरक्षित नहीं थी जितनी की होनी चाहिए जिसके चलते मनचाही ब्रिकी नहीं हो सकी। फिर 2015 में इसमें कुछ बदलाव करते हुए री-लॉन्च किया गया इस बार थार पहले से ज्यादा आकर्षक नजर आई लेकिन सरकारी नियमों में फेल हो गई। कंपनी ने 2019 में बची हुई 700 कारों को बेचने के लिए थार-700 के नाम से एडिशन बनाया और आनंद महिंद्रा के साइन का सहारा लेकर इन्हें बेचा गया।
लेकिन महिंद्रा ने हार मानना सीखा ही नहीं सदियों की मेहनत को कामयाब करने के लिए गत वर्ष थार का एक और नया वर्जन बना कर बाजार में उतारा तो लोग एक बार फिर से कार के दिवाने होते दिखे। बता दें कि पिछले साल अक्टूबर में नई थार को लॉन्च किया गया था और इस एक साल में 75 हजार कारों की बिक्री हो चुकी है। वहीं खरीदारों को अभी इसे हासिल करने में एक साल प्रतिक्षा करनी पड़ेगी।
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