संबंधित खबरें
फिर शुरू होगी Premanand Maharaj की पदयात्रा…विरोध में खड़े हुए सोसाइटी के अध्यक्ष ने पैरों में गिरकर मांगी माफी
Viral Video: आसमान में उड़ रहा था ड्रोन, कि अचानक सामने आ गया बाज, फिर जो हुआ… देख हैरान रह गये लोग
ये हैं दुनिया के सबसे खतरनाक परमाणु देश, जानिए इनमें कहां ठहरता है भारत?
'डिप फ्रॉम होम', अब सिर्फ 500 रुपए में घर से ही लग जाएगी महाकुंभ में डुबकी, वायरल विज्ञापन पर मचा हंगामा
ऐसी क्या मजबूरी थी जो मुस्लिम लड़कों की भीड़ ने पार की सारी हदें? Delhi Metro के इस Video में खुला राज
पहली सैलरी आते ही पति ने दिलाया महंगा फोन तो बॉयफ्रेंड को लगा दिया वीडियो कॉल, फिर हुआ कुछ ऐसा, पूरे राज्य में मच गया हंगामा
बिज़नेस डेस्क/नई दिल्ली (RBI Governor Shaktikanta Das said that India’s banking system remains stable and resilient) : अमेरिका की सिलिकन वैली और सिग्नेचर बैंक, यूरोप की क्रेडिट सुइस बैंक के मुश्किलों में आने के बाद से दुनिया भर के बैंकों पर ग्लोबल बैंक क्राइसिस मंडरा रहा है। ऐसे में एनालिस्ट का मानना है कि भारतीय बैंक वैश्विक स्तर का सामना करन के लिए अच्छी स्थिति में हैं और ग्लोबल क्राइसिस से विपरीत दिशा मे हैं। पिछले सप्ताह भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था कि वैश्विक स्तर पर इस क्षेत्र में हाल की उथल-पुथल के बीच भारत की बैंकिंग प्रणाली स्थिर और लचीली बनी हुई है।
भारतीय बैंकों के पास इन कारणों की वजह से जोखिम नहीं है:
लो फॉरेन क्लेम (Low Foreign Claim):
भारतीय स्टेट बैंक की आर्थिक शोध रिपोर्ट ‘इकोरैप’ के अनुसार भारत पर फॉरेन क्लेम यूके और यूएस जैसे देशों की तुलना में कम हैं। भारतीय बैंकों में भारतीयों के अलावा विदेशी लोगों का भी पैसा होता है, ऐसी स्थिति में अगर वो अपना पैसा निकालना चाहें तो भारतीय बैंकों को उनको उनका पैसा देना होता है। इसी को फॉरेन क्लेम कहते हैं। फॉरेन क्लेम कम होने से वैश्विक अनिश्चितताओं होने पर देश को कम जोखिम है। भारत के पास सिर्फ 104 बिलियन डॉलर का फॉरेन क्लेम है जो पूरी दुनिया में सबसे कम है। वहीं यूएस के पास सबसे ज्यादा 4,345 बिलियन डॉलर का फॉरेन क्लेम है।
वेल कैपिटलाइज्ड (Well Capitalised):
किसी भी बैंक के पास कैपिटल यानी पैसा होना बहुत जरूरी होता है, क्योंकि जितना ज्यादा कैपिटल बैंकों के पास होगा उतना ही ज्यादा लोन बैंक दे पाएंगे। केंद्रीय बैंक द्वारा आयोजित स्ट्रेस टेस्ट और वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय बैंक प्रतिकूल परिस्थितियों में भी न्यूनतम पूंजी आवश्यकताओं का अनुपालन करने में सक्षम हैं। आरबीआई के मानदंडों के अनुसार, भारतीय बैंकों को 9% सीआरएआर (CRAR) बनाए रखने की जरूरत होती है जबकि भारतीय बैंको के पास 16% की सीआरएआर है।
एसेट क्वालिटी पोजिशन ऑफ बैंक (Asset Quality position of banks):
बैंको के पास उनका एसेट उनके द्वारा दिया हुआ लोन होता है। मतलब जो लोन बैंक ने दिया है उसपर ब्याज कमा कर बैंक पैसा कमाते हैं। रिपोर्ट के अनुसार पहले बैंको का एनपीए ज्यादा होता था। सितंबर 2018 में एनपीए 10.8% पहुंच गया था जो अब मार्च 2022 में गिरकर 5.9% और सितंबर 2022 में 5% हो गई है।
ये भी पढ़ें :- छुट्टियों वाला होगा अगला अप्रैल महीना, बैंक 15 दिन और शेयर बाजार 4 दिन रहेगा बंद, चेक करें डेट्स
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.