होम / High Court order: यूपी के सहायक अध्यापकों को मिली राहत, हाईकोर्ट का आया बड़ा फैसला

High Court order: यूपी के सहायक अध्यापकों को मिली राहत, हाईकोर्ट का आया बड़ा फैसला

Himanshu Pandey • LAST UPDATED : January 30, 2024, 2:38 am IST

India News (इंडिया न्यूज़), High Court order: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्राथमिक विद्यालयों के सहायक अध्यापकों की सेवा समाप्ति के आदेश को रद्द कर उन्हें सेवा निरंतरता के साथ बहाल करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि काम नहीं तो दाम नहीं के सिद्धांत पर याचिकाकर्ता सेवा से बाहर रहने की अवधि का वेतन पाने का हकदार नहीं होगा. यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने अजय कुमार व अन्य तथा पंकज कुमार व अन्य की याचिकाओं को निस्तारित करते हुए दिया है। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने 2015 में सहायक अध्यापकों के 15 हजार पदों की भर्ती के लिए अधूरी और गलत जानकारी के साथ आवेदन किया था। आवेदन के समय उनका बीटीसी परिणाम घोषित नहीं हुआ था लेकिन अंक प्राप्त हो गये थे। हाई कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद लंबी चयन प्रक्रिया में फॉर्म की गलतियां सुधारने का मौका दिया गया, जिसका याचिकाकर्ताओं ने फायदा भी उठाया। सरकार ने खुद 15 जनवरी 2016 तक छूट दी थी।

बर्खास्तगी के आदेश को किया गया रद्द 

कोर्ट ने कहा कि फॉर्म में गलत जानकारी दी गई है, इसलिए वे चयन के बाद सेवा में बने रहने के पात्र नहीं हैं, लेकिन उन्हें गलती सुधारने की छूट दी गई है। मौका मिलते ही गलती सुधार ली गई। याची आवेदन के समय पात्र नहीं था लेकिन दो-तीन दिन में ही उसका बीटीसी परिणाम घोषित कर दिया गया और उसने फॉर्म सही करा लिया और चयन होने पर उसे सहायक अध्यापक पद पर नियुक्त कर दिया गया। कोर्ट ने कहा कि सुधार का मौका देने के बाद चयन को शून्य घोषित कर सेवा समाप्त करना उचित नहीं है। याचिकाकर्ता सहानुभूति का हकदार है। कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं के 5 सितंबर 2023 और 23 अगस्त 2023 के बर्खास्तगी आदेश रद्द कर दिए और याचिकाकर्ताओं को तीन सप्ताह के भीतर चार्ज सौंपने का निर्देश दिया।

गलत जानकारी देकर कराया रजिस्ट्रेशन

कोर्ट ने बेसिक शिक्षा परिषद को भविष्य में होने वाली भर्तियों में एक कॉलम उपलब्ध कराने का भी निर्देश दिया है, जिसमें बीटीसी परिणाम की स्थिति का स्पष्ट उल्लेख हो। इस मामले में याचियों को बीटीसी अंक मिले थे। कुछ दिनों बाद परिणाम घोषित कर दिया गया. सभी पास हो गए लेकिन फॉर्म अधूरा था। मालूम हो कि याचियों ने विज्ञापन के समय सहायक अध्यापक भर्ती का फॉर्म नहीं भरा था, लेकिन छूट मिलने के बाद बीटीसी के अंकों की जानकारी मिलने पर उन्होंने फॉर्म भरा और जब उन्हें गलती सुधारने का मौका मिला तो उन्होंने फॉर्म भर दिया। आवेदन किया, उन्होंने इसका लाभ उठाया और चयनित होकर नियुक्ति प्राप्त कर ली। उनके खिलाफ कोई शिकायत नहीं है। विभागीय जांच में पाया गया कि विज्ञापन की तिथि पर याची के पास बीटीसी योग्यता नहीं थी। गलत जानकारी देकर कराया रजिस्ट्रेशन। वे धोखाधड़ी के दोषी हैं। उनका चयन शून्य घोषित कर दिया गया, जिसे चुनौती दी गई।

Also Read:

ADVERTISEMENT

लेटेस्ट खबरें

ADVERTISEMENT