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Israel-Hamas War : ग़ाज़ा ख़ून से लाल, 21 दिन के 21 सवाल

Rashid Hashmi • LAST UPDATED : October 26, 2023, 3:55 pm IST

India News (इंडिया न्यूज), Israel-Hamas War : इज़रायल-हमास जंग के 21 दिन पूरे हो गए हैं। वहीं ग़ाज़ा में अब तक 6546 लोगों की मौत हो गई है। जिनमें से 2704 बच्चे और 1584 महिलाएं शामिल हैं। बता दें कि हमास ने यह कहा है कि सात हज़ार घायलों की जान को ख़तरा है। और जंग के बीच ईरान जो कर रहा है वो उसे असली विलेन बनाता जा रहा है। वहीं ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह ख़ामनेई ने कहा कि ग़ाज़ा में बच्चों के ख़ून का ज़िम्मेदार अमेरिका है। वहीं ईरान ने 1979 के बाद इज़रायल की सबसे बड़ी घेराबंदी कर दी है। साथ ही इज़रायल और ईरान की सरहद भी नहीं लगती है। लेकिन ईरान ने इज़रायल के सरहदी मुल्क़ सीरिया, लेबनान और फ़िलिस्तीन को ख़ुद के प्रभाव में ले रखा है। और हमास को खाद पानी देने वाला ईरान ही है। बता दें कि ईरान की नीयत को लेकर अमेरिका के वॉल स्ट्रीट जर्नल का खुलासा दहलाने वाला है। वहीं अख़बार का दावा है कि 7 अक्टूबर के हमले की ट्रेनिंग हमास के आतंकवादियों को ईरान में दी गई थी। और हमास और इस्लामिक जिहाद को 7 अक्टूबर अटैक के लिए ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड कोर्प्स के नेतृत्व में ट्रेनिंग मिली थी।

इज़रायल के राष्ट्रपति इसाक हर्जोग ने कहा

हमास इतना ख़तरनाक हो चला है कि इज़रायल के राष्ट्रपति इसाक हर्जोग को कहना पड़ा है कि, “हमास सायनाइड बम से हमला करने वाला था। वहीं केमिकल से फौरन मौत का ख़तरा है और हमास लड़ाकों को सायनाइड बम बनाने का ऑर्डर मिल चुका है। बता दें कि ” इज़रायल के राष्ट्रपति हर्जोग का बयान डराने वाला है। हमास की ताक़त है, उनका सुरंग नेटवर्क, जो लगभग 500 किलोमीटर तक फैला हुआ है। वहीं इज़रायल का यह दावा है कि हमास के कई कमांड सेंटर उड़ा दिए गए है, पर सच्चाई ये है कि इसी टनल नेटवर्क ने हमास को ज़िंदा रखा है। 21 दिन बाद भी इज़रायली सैनिक ग़ाज़ा में ज़मीनी लड़ाई के लिए घुस नहीं पाए हैं। 21 दिन बाद अब तक ग़ाज़ा का सुरंग नेटवर्क तबाह नहीं हो पाया। साथ ही हमास के क़साई लीडर्स इस्माइल हानियेह और मोहम्मद दाइफ़ क़तर जैसे मुल्कों के रहम-ओ-करम पर पल रहे हैं। वहीं 21 दिन बाद क़तर शासक शेख़ तमीम बिन हमद अल-थानी का बयान आया है, जिसमें वो कह रहे हैं कि अब बहुत हो चुका, ग़ाज़ा में बहुत ख़ून बह चुका है। 21 दिन बाद भी इज़रायल जंग नहीं जीत सका। ये 21 दिन फ़िक्र और उसके ज़िक्र के हैं।

पूरी दुनिया में कई वॉर फ्रंट खुल चुके हैं

पूरी दुनिया में कई वॉर फ्रंट खुल चुके हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध के डेढ़ साल गुज़र चुके हैं। आरमेनिया-अज़रबैजान जंग के मैदान में हैं, तुर्किए इनकी आग में घी डालने का काम कर रहा है। इज़रायल-हमास की जंग के बीच दुनिया के तीन तानाशाह शासकों की सनक डरा रही है। ये तीन तानाशाह शासक हैं शी जिनपिंग, ब्लादिमिर पुतिन और किम जोंग उन। वहीं 57 मुस्लिम मुल्कों का हमास और फिलिस्तीन के लिए एक साथ आना भी ख़तरनाक इशारा है। दुनिया बहुत बड़ी फ्यूल क्राइसिस की आग में झुलसने वाली है। अमेरिका जैसे मुल्क़ इस वक़्त भी अपना फ़ायदा तलाशने की फ़िराक़ में हैं और युद्ध के मैदान को हथियारों का बाज़ार बना रखा है।

आतंकवादी संगठन हमेशा भस्मासुर ही साबित हुए हैं

कोई भी युद्ध तब ज़्यादा ख़तरनाक़ हो जाता है जब इसे धार्मिक चरमपंथ की आग में झोंक दिया जाए। कोई भी मुल्क़ तब ज्वालामुखी बन जाता है जब मज़हब का मुलम्मा उसे ज़ंग लगा दे। तालिबान का अफ़ग़ानिस्तान, आतंकियों का पाकिस्तान, हिज़्बुल्लाह का लेबनान और हमास का फ़िलिस्तीन अंधी मज़हबी सोच के बारूद पर बैठे हैं। चीन-ताइवान या रूस-यूक्रेन की लड़ाई ज़मीन और ख़ुद के विस्तार की है। लेकिन धर्म के नाम पर मुस्लिम मुल्कों की गोलबंदी डरा रही है। और वहीं ईरान जैसे मुल्क़ आग में घी झोंक रहे हैं, वो बात अलग है कि आतंकवादी संगठन हमेशा भस्मासुर ही साबित हुए हैं- अमेरिका का भस्मासुर तालिबान, इज़रायल का भस्मासुर हमास, पाकिस्तान का भस्मासुर लश्कर, अमेरिका का ही भस्मासुर अल क़ायदा इसका जीता जागता उदाहरण हैं। वहीं टीवी डिबेट में तीसरे विश्वयुद्ध के नैरेटिव कुछ ऐसे सेट किए जा रहे हैं-

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दुनिया एक और हिरोशिमा नहीं झेल पाएगी

विश्वयुद्ध नहीं होना चाहिए, दुनिया एक और हिरोशिमा नहीं झेल पाएगी। वक़्त का तक़ाज़ा है कि ख़ुद को महाशक्ति कहने वाले बड़े देश आगे आएं और युद्धविराम कराएं, वो भी बिना किसी शर्त के। शर्तों में सवाल होता है और सवाल युद्ध के मैदान में बवाल ही करते हैं।

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