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इंडिया न्यूज, नई दिल्ली :
Paxlovid Tablet : बीते दिनों कोरोना वायरस के उपचार के लिए अमेरिका ने फाइजर की पैक्सलोविड टैबलेट को मंजूरी दे दी। यह दवा 12 साल या उससे अधिक उम्र के लोगों के कोविड-19 महामारी के दौरान इलाज में इस्तेमाल हो सकेगी। पैक्सलोविड टैबलेट कोविड महामारी में लाखों लोगों के इलाज में सहायक बनेगी। अमेरिका ने पैक्सलोविड नामक टैबलेट को बनाकर कोरोना से जूझ रहे लोगों में मौत का खतरा कम होने का दावा किया है।
आपको बता दें कि यह पहली दवा है जिसे नए संक्रमित मरीज अब अस्पताल से बाहर रहने के लिए घर पर ले जा सकते हैं। वह इसे कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में फाइजर की पैक्सलोविड टैबलेट को इस्तेमाल कर सकेंगे। हालांकि भारत में इस दवा के इस्तेमाल की मंजूरी के लिए अभी कुछ और समय लगेगा। (Paxlovid Tablet)
ये एक एंटीवायरल दवा है जिसे पीएफ-07321332 नाम दिया गया है। इस एंटीवायरल दवा को एचआईवी मेडिसिन रीटोनाविर के लो डोज के साथ मिक्स कर दिया जाता है। यानी कोविड-19 की एक नई दवा को पहले से मौजूद रीटोनाविर के साथ दिया जाएगा। दवाओं के कॉम्बिनेशन के इस कोर्स को पैक्सलोविड नाम दिया गया है। (Paxlovid Tablet)
ट्रायल में ये दवा कोरोना के खिलाफ बेहद कारगर रही है। कंपनी ने इसकी इफेक्टिवनेस जानने के लिए 2,250 लोगों पर ट्रायल किए थे। लक्षण नजर आने के तीन दिन बाद ये दवा हल्के लक्षणों से पीड़ित मरीजों को हॉस्पिटलाइजेशन और मौत से रोकने में दवा 89फीसदी कारगर रही है। लक्षण नजर आने के पांच दिन बाद लेने पर हॉस्पिटलाइजेशन और मौत रोकने में 88 फीसदी कारगर है। (Paxlovid Tablet)
फाइजर ने जब दवा के ट्रायल किए थे तब ओमिक्रॉन वेरिएंट नहीं आया था। ओमिक्रॉन वेरिएंट के आने के बाद कंपनी ने दोबारा टेस्ट किए। कंपनी ने इसके लिए लैब में एक ऐसे प्रोटीन को विकसित किया था, जिसका इस्तेमाल ओमिक्रॉन रिप्रोडक्शन के लिए करता है। टेस्ट के नतीजों में सामने आया कि ये दवा ओमिक्रॉन पर असरदार है।
अमेरिका में दवाई के इमरजेंसी यूज आथराइजेशन (ईयूए) को मंजूरी मिली है। जिन कोरोना पॉजिटिव रोगी को हॉस्पिटलाइजेशन की जरूरत है या मौत हो जाने का खतरा है उन्हें ये दी जा सकती है। ये मरीज उम्र में 12 साल से बड़े और 40 किलोग्राम से ज्यादा वजनी होने चाहिए। दवाई लेने के लिए डॉक्टर का प्रेस्क्रिप्शन जरूरी है। (Paxlovid Tablet)
पैक्सलोविड का जेनेरिक वर्जन बनाने के लिए कई इंडियन ड्रग मैन्युफेक्चरर तैयारी कर रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक इनमें सन फार्मा, डॉक्टर रेड्डी और ऑप्टिमस फार्मा के नाम शामिल हैं। 16 नवंबर को फाइजर ने यूनाइटेड नेशंस के मेडिसिन पेटेंट पूल (एमपीपी) के साथ डील की है।
डील के तहत, दुनियाभर के जेनेरिक मेडिसिन मैन्युफेक्चरर को पैक्सलोविड के प्रोडक्शन और डिस्ट्रीब्यूशन के लिए लाइसेंस दिए जाएंगे। फाइजर का लक्ष्य है कि उनकी ये दवा 95 देशों की 53 फीसदी आबादी तक पहुंच जाए। इन 95 देशों में लो और मिडिल इनकम देश शामिल हैं, जिसमें भारत का भी नाम है। (Paxlovid Tablet)
डील के तहत लो इनकम देशों से फाइजर इस दवा की रॉयल्टी भी नहीं लेगा। भारतीय ड्रग मैन्युफेक्चरर को भी इसी तरह की डील साइन करनी होगी। यानी उम्मीद है कि जल्द ही इस दवा का जेनेरिक वर्जन बनाने के लिए किसी भारतीय ड्रग मैन्यूफेक्चरर के साथ डील की जा सकती है। अगर ऐसा होता है तो भारत में भी जल्द ही दवा के इस्तेमाल का रास्ता खुलेगा। हां। अभी जो नियम-कायदे हैं उनके हिसाब से तो भारत में भी दवा के क्लिनिकल ट्रायल करने होंगे। ( Paxlovid Tablet)
कंपनी फिलहाल 8 करोड़ डोसेज का प्रोडक्शन कर रही है, जिसे 2022 तक बढ़ाकर 12 करोड़ करने की तैयारी है। करीब एक करोड़ डोसेज के लिए अमेरिकी सरकार ने फाइजर से एग्रीमेंट किया है। इन एक करोड़ में से 65 हजार डोसेज दिसंबर अंत तक सप्लाई कर दिए जाएंगे। अमेरिका के कई राज्यों में कंपनी ने दवा की सप्लाई शुरू कर दी है। कैलिफोर्निया, फ्लोरिडा, न्यूयॉर्क और टैक्सास में तीन हजार से ज्यादा डोसेज सप्लाई हो चुके हैं। (Paxlovid Tablet)
हां। अमेरिका ने पैक्सलोविड के बाद मर्क कंपनी की मोलनुपिराविर को भी मंजूरी दे दी है। इसे कोरोना से संक्रमित 18 साल से ज्यादा उम्र के गंभीर मरीजों को दिया जाएगा। मोलनुपिराविर दवा वायरस के जेनेटिक कोड में गड़बड़ी कर उसकी फोटोकॉपी होने से रोकती है। ये भी 40 गोलियां का एक कोर्स है, जिसे पांच दिन में मरीज को दिया जाता है।
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