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India News (इंडिया न्यूज), Lower Earth Orbit: धरती की निचली कक्षा, जिसे लोअर अर्थ ऑर्बिट (LEO) कहा जाता है, अब बहुत तेजी से जाम होती जा रही है। यह कक्षा 100 से 1000 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थित है, और यहां पहले से ही 14,000 से अधिक सैटेलाइट्स मौजूद हैं। इनमें से लगभग 3,000 सैटेलाइट्स काम नहीं कर रहे, जबकि इसके अलावा 12 करोड़ किलोग्राम से भी ज्यादा अंतरिक्ष का कचरा इस ऑर्बिट में घूम रहा है। ऐसे में अंतरिक्ष की इस सीमित जगह में बढ़ते ट्रैफिक की वजह से भविष्य में बड़ी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं, जैसे सैटेलाइट्स की टक्कर और महत्वपूर्ण मिशनों को नुकसान।
अंतरिक्ष के इस कचरे के कारण सबसे बड़ा खतरा यह है कि भविष्य में मानव मिशन और अंतरिक्ष यान को इस कचरे और बेकार सैटेलाइट्स के बीच से गुजरना होगा। अगर इन कचरों और सैटेलाइट्स के बीच टक्कर होती है, तो उससे और अधिक कचरा फैल सकता है, जिससे आने वाले समय में अंतरिक्ष यात्रा और वैज्ञानिक मिशनों के लिए खतरनाक स्थिति पैदा हो सकती है।
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संयुक्त राष्ट्र के आउटर स्पेस अफेयर्स कार्यालय की निदेशक आरती होला-मैनी ने इस स्थिति पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि अगर हम इस समस्या को अब नहीं सुलझाते, तो भविष्य में इन कचरों और सैटेलाइट्स की टक्कर से अंतरिक्ष यात्रा के लिए गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इसके अलावा, स्पेस मिशन और मानवयुक्त अंतरिक्ष यान को इन कचरों के बीच से गुजरते समय जोखिम का सामना करना पड़ेगा।
अंतरिक्ष कचरे के बढ़ते खतरे को देखते हुए, संयुक्त राष्ट्र का स्पेस ट्रैफिक कॉर्डिनेशन पैनल इस समय देशों, कंपनियों और कॉर्पोरेट्स से सैटेलाइट लॉन्चिंग पर नियंत्रण लगाने की अपील कर रहा है। आरती होला-मैनी ने यह भी कहा कि सैटेलाइट्स की संख्या को सीमित करने की आवश्यकता है, क्योंकि यदि ट्रैफिक इसी गति से बढ़ता रहा, तो अंतरिक्ष में टक्कर की आशंका बहुत बढ़ जाएगी, जिससे वैश्विक अंतरिक्ष मिशन और सुरक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
इस समस्या का एक समाधान यह हो सकता है कि अलग-अलग देशों द्वारा किए जाने वाले सैटेलाइट लॉन्च को एक साथ मिलकर एक सैटेलाइट में समाहित किया जाए। इससे न केवल कचरे की मात्रा कम होगी, बल्कि स्पेस में होने वाली टक्करों की संभावना भी घट जाएगी। हालांकि, इस पहल को लेकर चीन और रूस जैसे देशों से विरोध हो सकता है, जो अंतरिक्ष में अपनी गतिविधियों को बढ़ा रहे हैं।
चीन और रूस, जिनकी अंतरिक्ष गतिविधियां बढ़ रही हैं, इस समस्या का एक बड़ा हिस्सा बन रहे हैं। अगस्त में चीन के एक रॉकेट का हिस्सा लोअर अर्थ ऑर्बिट में फट गया था, जिससे हजारों कचरे के टुकड़े फैल गए। इसी तरह, जून में एक रूसी सैटेलाइट के फटने से इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के अंतरिक्षयात्रियों को खतरनाक स्थिति का सामना करना पड़ा था।
इन घटनाओं से स्पष्ट हो गया है कि अगर इस बढ़ते अंतरिक्ष कचरे को नियंत्रित नहीं किया गया, तो भविष्य में अंतरिक्ष में काम कर रहे सभी मिशनों के लिए खतरा बढ़ सकता है।
धरती की निचली कक्षा में सैटेलाइट्स और अंतरिक्ष कचरे की बढ़ती संख्या अंतरिक्ष यात्रा के लिए गंभीर समस्याएं उत्पन्न कर सकती है। इसलिए, अंतरिक्ष से कचरा साफ करने और सैटेलाइट्स की संख्या को सीमित करने की आवश्यकता है। अंतरिक्ष में सहयोग और साझा सैटेलाइट मिशन लॉन्च करने की दिशा में ठोस कदम उठाए जाने चाहिए, ताकि भविष्य में अंतरिक्ष यात्रा सुरक्षित और किफायती हो सके।
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