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India News (इंडिया न्यूज), Maharashtra New CM: एक हफ्ते से ज्यादा के इंतजार के बाद आखिरकार बुधवार, 4 दिसंबर को महाराष्ट्र के नए सीएम को लेकर सस्पेंस खत्म हो गया। अनुमान के मुताबिक एक बार फिर भाजपा ने देवेंद्र फडणवीस को सीएम बना दिया। इस घोषणा के बाद शपथ ग्रहण समारोह की तैयारियां शुरू हो गई हैं, लेकिन इस घोषणा के बाद एक सवाल भी उठ रहा है। राजनीतिक गलियारों में इस पर खूब चर्चा हो रही है। लेकिन सवाल यह है कि बीजेपी ने महाराष्ट्र में मध्य प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा जैसा फॉर्मूला क्यों नहीं अपनाया। भाजपा ने यहां किसी नए चेहरे को मौका क्यों नहीं दिया। आइए आपको कुछ बिंदुओं में इस सवाल का जवाब बताते हैं।
महाराष्ट्र की राजनीति की बात करें तो देवेंद्र फडणवीस की गिनती अनुभवी और साफ-सुथरे नेताओं में होती है। वे 6 बार से विधायक का चुनाव जीतते आ रहे हैं। उन्होंने संगठन से लेकर सरकार तक काम किया है। हर वर्ग और इलाके में उनकी अच्छी पैठ मानी जाती है। 2. शिंदे सरकार से पहले 2014 से 2019 तक फडणवीस महाराष्ट्र के सीएम रहे हैं। अक्टूबर 2019 में उन्होंने दूसरी बार सीएम पद की शपथ ली, लेकिन शिवसेना द्वारा समर्थन वापस लेने के कारण 3 दिन बाद ही उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। जब एकनाथ शिंदे कई विधायकों को तोड़कर अपने साथ ले आए, तो उनके साथ बीजेपी ने सरकार बनाई और उसमें फडणवीस को डिप्टी सीएम बनाया गया। बार-बार बड़ी जिम्मेदारियां मिलना यह दर्शाता है कि फडणवीस काफी लोकप्रिय हैं।
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उद्धव ठाकरे के सीएम बनने के बाद जब बीजेपी विपक्ष में आई, तब भी फडणवीस ने अच्छा काम किया। फडणवीस विपक्ष के नेता थे। तब उन्होंने कोरोना काल में अव्यवस्था से लेकर भ्रष्टाचार तक के मामलों पर उद्धव सरकार पर खूब हमला बोला था। उनके हमलों की वजह से उद्धव सरकार कई बार बैकफुट पर नजर आई थी। यहां से भी फडणवीस का कद बढ़ा।
2022 में जब शिवसेना टूटी और शिंदे कुछ विधायकों के साथ भाजपा में आए, तो भाजपा के पास ज्यादा विधायक थे, लेकिन यहां फडणवीस ने पूरा ध्यान सरकार बनाने पर लगाया और खुशी-खुशी सीएम की कुर्सी शिंदे को दे दी। वे डिप्टी सीएम बने रहे। उन्होंने कभी पार्टी हाईकमान के फैसले का विरोध नहीं किया। इससे उनकी छवि एक अच्छे नेता के तौर पर भी बनी।
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विधानसभा चुनाव 2024 में भी फडणवीस ने महायुति के सामने आने वाली सभी चुनौतियों का सामना किया और उसका अच्छा समाधान निकाला। चाहे शिवसेना और एनएसपी के साथ सीट शेयरिंग हो या स्थानीय मुद्दे उठाना। हर जगह देवेंद्र फडणवीस एक ऑलराउंडर के तौर पर उभरे।
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