मदन गुप्ता सपाटू, ज्योतिर्विद्
Makar Sankranti 2022 14 जनवरी ,शुक्रवार को मकर संक्रांति है। 14 जनवरी को सूर्य देव का मकर राशि में प्रवेश दोपहर 02 बजकर 29 मिनट पर होना है। मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव धनु राशि से निकलकर मकर राशि में लगभग 1 माह के लिए आते हैं। इस बार मकर संक्रांति की शुरूआत रोहणी नक्षत्र में हो रही है। जो कि शाम को 08 बजकर 18 मिनट तक रहेगा। इस नक्षत्र को शुभ नक्षत्र माना जाता है।
इस नक्षत्र में स्नान दान और पूजन करना शुभफलदायी होता है। इसके साथ ही इस दिन ब्रह्म योग और आनंदादि योग का निर्माण हो रहा है जो कि भी अनंत फलदायी माना जाता है। मकर संक्रांति के दिन से शुभ कार्यों जैसे विवाह मुंडन, विवाह, गृह प्रवेश जैसे कार्य आरंभ हो जाते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति से ही देवता का दिन 6 माह के लिए प्रारंभ हो जाता है।
सूर्य के उत्तरायण की अवस्था को देवताओं का दिन कहा जाता है। मकर संक्रांति को सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होते हैं. इस नदी पवित्र नदियों में स्नान करने और उसके बाद दान करने का महत्व होता है. साल में 12 संक्रांतियां पड़ती हैं, लेकिन इनमें से मकर संक्रांति का विशेष महत्व है। इस दिन सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के साथ उत्तरायण होना शुरू हो जाता है। इसलिए ही इस दिन को उत्तरायण भी कहते हैं। इस दिन से देश में दिन बड़े और रातें छोटी हो जाती हैं। शीत ऋतु का प्रभाव कम होने लगता है।
ज्योतिषीय गणना के अनुसार, 14 तारीख से भारत की प्रभावराशि मकर पर सूर्य- बुध- शनि योग होने से केंन्द्रीय तथा कई राज्य मंत्रीमंडलों में विशेष परिवर्तन हो सकते हैं और आगामी चुनावों में अभूतपूर्व दृश्य सामने आएंगे। माघ मास में 5 मंगलवार होने के कारण, देश में सत्ता परिवर्तन, आपसी टकराव, साम्प्रदायिक व हिंसक घटनाओं की संभावना है। यही नहीं, किसी प्रमुख नेता, अभिनेता,विशिष्ट व्यक्ति के अपदस्थ या आक्स्मिक मृत्यु के भी योग हैं।इस वर्ष सफेद एवं पीली वस्तुुओं के मूल्य बढ़ेंगे।
सरकार के प्रति जनता आक्रोश दिखाती रहेगी। किसान आंदोलन अप्रत्यक्ष रुप से लंबा खिंचेगा। जनाक्रोश या कोई भी आन्दोलन हिंसक या संम्प्रदायिक रुप ले सकता है। महामारी के प्रसार में कमी आएगी तथा ,प्रचार और दवा वितरण में वृद्धि होगी। संक्रमण की गति 21 अप्रैल के बाद कम होनी आरंभ हो जाएगी। मकर राशि के जातकों पर शनि की साढ़ेसाती का भी प्रभाव रहेगा।
इस दिन पवित्र नदियों एवं तीर्थों में स्नान, दान,देव कार्य एवं मंगलकार्य करने से विशेष लाभ होता है। महाभारत युद्ध में भीष्म पितामह ने भी प्राण त्यागने के लिए इस समय अर्थात सूर्य के उत्तरायण होने तक प्रतीक्षा की थी। सूर्योदय के बाद खिचड़ी आदि बनाकर तिल के गुड़वाले लडडू प्रथम सूर्यनारायण को अर्पित करना चाहिए बाद में दानादि करना चाहिए। अपने नहाने के जल में तिल डालने चाहिए।
मंत्रः ओम नमो भगवते सूर्याय नमः या ओम सूर्याय नमः का जाप करें ।माघ माहात्म्य का पाठ भी कल्याणकारी है । सूर्य उपासना कल्याण कारी होती है। सूर्य ज्योतिष में हडिड्यों के कारक भी हैं अतः जिन्हें जोड़ों के दर्द सताते हैं या बार बार दुर्घनाओं में फ्रैक्चर होते हैं उन्हें इस दिन सूर्य को जल अवश्य अर्पित करना चाहिए।
पतंग उड़ाने की प्रथा भी इसी लिए बनाई गई ताकि खेल के बहाने, सूर्य की किरणों को शरीर में अधिक ग्रहण किया जा सके।
देव स्तुति , पित्तरों का स्मरण करके तिल, गुड़, गर्म वस्त्रों कंबल आदि का दान जनसाधारण , अक्षम या जरुरतमंदो या धर्मस्थान पर करें। माघ मास माहात्म्य सुनें या करें । इस दिन को धार्मिक अनुष्ठानों के लिए विशेष फलदायी माना जाता है। मान्यता है कि इस अवसर पर दिया गया दान सौ गुणा फल देता है।
उत्तर भारत में इस त्योहार को माघ मेले के रुप में मनाया जाता है तथा इसे दान पर्व माना जाता है।
इस दिन खिचड़ी सेवन तथा इसके दान का विशेष महत्व है। इस दिन को खिचड़ी भी कहा जाता है। महाराष्ट्र् में इस दिन गुड़ तिल बांटने की प्रथा है। यह बांटने के साथ साथ मीठा बोलने के लिए भी आग्रह किया जाता है। गंगा सागर में भी इस मौके पर मेला लगता है। कहावत है- सारे तीरथ बार बार – गंगा सागर एक बार।
मकर संक्राति का पर्व कैसे भी मनाएं परंतु, कोविड,ओमीक्रोन के बढ़ते हुए केस देखते हुए, हर तरह की सुरक्षा रखें, नियमों का पालन अवश्य करें।
(Makar Sankranti 2022)
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